क्या सच में भगवान शिव के अश्रुओं से जन्मा है रुद्राक्ष? जानें इसकी उत्पत्ति का रहस्य

रुद्राक्ष की माला सामने आते ही कई बार मन में एक सवाल जरूर आता है कि आखिर इस अद्भुत बीज की उत्पत्ति कैसे हुई होगी। आइए आपको बताते हैं इसके जन्म की कुछ प्रचलित कथाओं और इसके शिव जी को प्रिय होने के कारणों के बारे में।
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रुद्राक्ष एक पवित्र और शक्तिशाली मनका माना जाता है, जो भगवान शिव के साथ गहराई से जुड़ा हुआ है। इसकी उत्पत्ति के बारे में कई कथाएं और मान्यताएं हैं, जो उसकी पवित्रता और महत्व को दर्शाती हैं। कभी रुद्राक्ष को माले के रूप में पिरोया जाता है, तो कभी इसकी माला का इस्तेमाल पूजा-पाठ में किया जाता है। यही नहीं रुद्राक्ष को भगवान शिव का प्रिय माना जाता है। रुद्राक्ष की उत्पत्ति का रहस्य एक ऐसी कहानी है जो भगवान शिव की शक्ति और कृपा को दर्शाती है। इसके बारे में कई कथाएं प्रचलित हैं जो हमें यह बताती हैं कि इसकी उत्पत्ति का रहस्य भगवान शिव से कहीं न कहीं जरूर जुड़ा हुआ है। इनमें से ही एक कथा बताती है कि प्राचीन काल में एक बार भगवान शिव ने राक्षसों को नष्ट करने के लिए अपनी आंखें बंद कर ले थीं और फिर उन्हें जब खोला तब उनकी आंखों से अश्रु गिरे जो रुद्राक्ष के बीज में परिवर्तित हो गए। उसी समय को रुद्राक्ष की उत्पत्ति माना जाता है। आइए यहां रुद्राक्ष की उत्पत्ति के रहस्य को जानते हैं और इसके महत्व को समझते हैं।

कैसे हुई रुद्राक्ष की उत्पत्ति?

rudraksh origin and history

यदि हम रुद्राक्ष की उत्पत्ति की बात करें तो इसकी उत्पत्ति के पीछे एक बड़ा ही रोचक तथ्य देखने को मिलता है। रुद्राक्ष का अर्थ है रूद्र और अक्ष यानी कि आंसू। इसका मतलब हुआ भगवान शिव के आंसू। इसी वजह से माना जाता है कि रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव के आंसुओं से हुई। इसके पीछे एक पौराणिक कथा है कि त्रिपुरासुर नामक असुर ने प्राचीन काल में त्राहि मचा रखी थी और पूरे स्वर्ग लोक में कब्ज़ा कर लिया था। ऐसे में सभी देवतागण भगवान शिव के पास गए और त्रिपुरासुर नामक दैत्य का विनाश करने की प्रार्थना की। ऐसे में भगवान शिव ने देवताओं की प्रार्थना को स्वीकार किया, लेकिन त्रिपुरासुर का अंत एक अघोरा नामक अस्त्र से ही हो सकता था। उस अस्त्र को प्राप्त करने के लिए भगवान शिव ने पूरे हजार सालों तक खुली आंखों से तपस्या की और जब उनकी तपस्या पूर्ण हुई और उन्हें अघोरा अस्त्र मिल गया तब शिव जी ने पालक झपकी और उनकी आंख से आंसू गिरा, इसी आंसू से रुद्राक्ष की उत्पत्ति हुई।

रुद्राक्ष को क्यों माना जाता है भगवान शिव का प्रिय?

  • प्राचीन समय से ही रुद्राक्ष को भगवान शिव के अंश के रूप में पूजा जाता है। भगवान शिव और रुद्राक्ष के संबंध को शास्त्रों में बहुत ही विस्तार से बताया गया है।
  • यह भी बताया है कि रुद्राक्ष कैसे शिव जी की आंख से निकले आंसू से उत्पन्न हुआ था। आध्यात्मिक मान्यता के अनुसार ही रुद्राक्ष को भगवान शिव का अंश माना जाता है।
  • इसी वजह से रुद्राक्ष का इस्तेमाल भगवान शिव की पूजा में किया जाता है। यही नहीं शिवजी की उपासना में रुद्राक्ष के प्रयोग को धार्मिक दृष्टिकोण से भी बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है।
  • ऐसी मान्यता भी है कि रुद्राक्ष धारण करने वाले व्यक्ति से देवाधिदेव महादेव सबसे ज्यादा प्रसन्न रहते हैं, इसी वजह से शिवभक्त गले में या हाथ में रुद्राक्ष धारण करते हैं।

रुद्राक्ष की उत्पत्ति से जुड़ी एक कथा

rudraksh origion and benefits

ऐसा माना जाता है कि जिस समय माता सती के अग्नि में जले हुए शरीर को भगवान शिव उठाकर ले जा रहे थे, उस समय उनकी आंखों में अश्रु की धारा थी। ऐसे में वो आंसू जिन स्थानों पर भी गिरे वहां रुद्राक्ष के वृक्ष की उत्पत्ति हुई। तभी से ये मान्यता है कि रुद्राक्ष की उत्पत्ति शिव जी के आंसुओं से हुई है। यह कथा रुद्राक्ष की पवित्रता और महत्व को दर्शाती है और इसे धारण करने से भगवान शिव की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होता है। रुद्राक्ष एक ऐसा प्रतीक है जो भगवान शिव की शक्ति और प्रेम को दर्शाता है और इसे धारण करने से व्यक्ति को आध्यात्मिक शांति और संतुष्टि की प्राप्ति होती है।

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रुद्राक्ष का महत्व क्या है?

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  • रुद्राक्ष एक पवित्र बीज माना जाता है जो भगवान शिव के साथ गहराई से जुड़ा हुआ होता है। इसका महत्व हिंदू धर्म में बहुत ज्यादा होता है जिसकी वजह से लोग इसे धारण करते हैं।
  • ऐसा माना जाता है कि रुद्राक्ष धारण करने से भगवान शिव की कृपा और आशीर्वाद पूर्ण रूप से बना रहता है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है।
  • जो व्यक्ति पूरे नियम के साथ रुद्राक्ष धारण करता है उसके जीवन में आध्यात्मिक शांति और संतुष्टि बनी रहती है। यही नहीं रुद्राक्ष को मानसिक शांति और एकाग्रता का प्रतीक भी माना जाता है और इसे धारण करने से व्यक्ति का मन किसी भी काम में आसानी से लगता है।
  • ऐसी मान्यता है कि रुद्राक्ष को धारण करने से जीवन में सदैव सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है और कोई भी नकारात्मक शक्ति दूर रहती है।

रुद्राक्ष पहनने से व्यक्ति को भगवान शिव की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होता है और जीवन में सुख और शांति की प्राप्ति होती है। यही नहीं इसकी उत्पत्ति शिव जी के आंसुओं से हुई है जिसकी वजह से इसे उनका ही अंश मानकर पूजा जाता है।
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Images: freepik.com

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