हिंदू धर्म में अनेक तीज-त्योहारों का वर्णन मिलता है, जिनमें उत्तर भारत में मनाया जाने वाला हरतालिका तीज विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है। यह व्रत विशेष रूप से सुहागिन महिलाएं रखती हैं, जिसमें वे भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं और अपने वैवाहिक जीवन की खुशहाली की कामना करती हैं। इस दिन महिलाएं पूर्ण श्रृंगार करती हैं, जिससे उनका रूप और भी निखर उठता है।
हालांकि, हर स्त्री के लिए पूरा सोलह श्रृंगार करना संभव नहीं होता। इसी संदर्भ में हमने बात की ज्योतिषाचार्य डॉ. शेफाली गर्ग से। उन्होंने बताया, "हरतालिका तीज व्रत सुहागिनों के लिए बहुत ही शुभ और पुण्यदायक होता है। यदि आप सोलह श्रृंगार न भी कर पाएं, तो कुछ मुख्य श्रृंगार सामग्रियां ऐसी हैं जिन्हें जरूर धारण करना चाहिए।"
डॉ. शेफाली ने इस अवसर पर पहनने योग्य मुख्य श्रृंगार सामग्रियों की जानकारी दी, जैसे सिंदूर, चूड़ियां, बिंदी, मंगलसूत्र और पायल, जिनका न केवल धार्मिक, बल्कि ज्योतिषीय दृष्टि से भी विशेष महत्व होता है। इनसे नारी का सौभाग्य और आत्मबल दोनों ही बढ़ते हैं।
हरतालिका तीज पर सुहागिनों के लिए श्रृंगार सामग्री
हरतालिका तीज पर सुहागन महिलाएं सोलह श्रृंगार करती हैं, जो सौभाग्य और वैवाहिक सुख का प्रतीक माने जाते हैं। इनमें से कुछ प्रमुख श्रृंगार सामग्रियों का विशेष महत्व होता है:
1. सिंदूर
- यह सुहाग का सबसे पवित्र प्रतीक है।
- मांग में सिंदूर भरने से पति की लंबी उम्र की कामना की जाती है।
- ज्योतिष अनुसार यह ऊर्जा और शक्ति प्रदान करता है।
2. बिंदी
- बिंदी माथे पर सजाई जाती है और सुंदरता का प्रतीक होती है।
- यह आज्ञा चक्र को सक्रिय कर मानसिक शांति देती है।

3. नथ
- नथ स्त्रीत्व और पारंपरिकता का प्रतीक है।
- आयुर्वेद के अनुसार यह कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं को एक्टिव करती है।
4. हार
- गले में पहना जाने वाला हार प्रेम और बंधन का प्रतीक है।
- मंगलसूत्र भी इसका मुख्य भाग होता है।
5. चूड़ियां
- विवाहित स्त्री की पहचान होती हैं।
- इनकी खनक से वातावरण में सकारात्मकता बनी रहती है।
6. महावर
- पैरों पर लाल रंग का आलता सजाया जाता है, जो शुभता और वैवाहिक जीवन की स्थिरता का प्रतीक है।
- इन श्रृंगारों से हरतालिका तीज व्रत को पूर्णता मिलती है और यह जीवन में शुभता लाते हैं।
हर श्रृंगार न केवल सजने-संवरने के लिए होता है, बल्कि इसके पीछे आध्यात्मिक, मानसिक और शारीरिक संतुलन से जुड़े कई रहस्य भी छिपे हैं। यह सभी श्रृंगार मिलकर एक महिला के अंदर ऊर्जा, सौभाग्य और प्रेम का संचार करते हैं। यह जानकारी आपको पसंद आई हो तो लेख को शेयर और लाइक करें। इसी तरह और भी आर्टिकल्स पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।
1. सिंदूर
- यह सुहाग का सबसे पवित्र प्रतीक है।
- मांग में सिंदूर भरने से पति की लंबी उम्र की कामना की जाती है।
- ज्योतिष अनुसार यह ऊर्जा और शक्ति प्रदान करता है।
2. बिंदी
- बिंदी माथे पर सजाई जाती है और सुंदरता का प्रतीक होती है।
- यह आज्ञा चक्र को सक्रिय कर मानसिक शांति देती है।

3. नथ
- नथ स्त्रीत्व और पारंपरिकता का प्रतीक है।
- आयुर्वेद के अनुसार यह कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं को एक्टिव करती है।
4. हार
- गले में पहना जाने वाला हार प्रेम और बंधन का प्रतीक है।
- मंगलसूत्र भी इसका मुख्य भाग होता है।
5. चूड़ियां
- विवाहित स्त्री की पहचान होती हैं।
- इनकी खनक से वातावरण में सकारात्मकता बनी रहती है।
6. महावर
- पैरों पर लाल रंग का आलता सजाया जाता है, जो शुभता और वैवाहिक जीवन की स्थिरता का प्रतीक है।
- इन श्रृंगारों से हरतालिका तीज व्रत को पूर्णता मिलती है और यह जीवन में शुभता लाते हैं।
हर श्रृंगार न केवल सजने-संवरने के लिए होता है, बल्कि इसके पीछे आध्यात्मिक, मानसिक और शारीरिक संतुलन से जुड़े कई रहस्य भी छिपे हैं। यह सभी श्रृंगार मिलकर एक महिला के अंदर ऊर्जा, सौभाग्य और प्रेम का संचार करते हैं। यह जानकारी आपको पसंद आई हो तो लेख को शेयर और लाइक करें। इसी तरह और भी आर्टिकल्स पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।
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