हरतालिका तीज का व्रत सबसे कठिन व्रतों में से एक माना जाता है क्योंकि यह व्रत निर्जला रखा जाता है। यह व्रत भाद्रपद शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को रखा जाता है और अगले दिन इसका पारण किया जाता है। आज हतालिका तीज का व्रत रखा जा रहा है और आज के दिन सुहागिन महिलाएं माता पार्वती एवं भगवान शिव की पूजा करेंगी। वहीं, वृंदावन के ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स ने हमें बताया कि हरतालिका तीज के व्रत का पारण 27 अगस्त को होगा। ऐसे में आइये जानते हैं हरतालिका तीज व्रत पारण का शुभ मुहूर्त और सही तरीका व्रत खोलने का।
हरतालिका तीज व्रत का पारण चतुर्थी तिथि को यानी अगले दिन, सूर्योदय के बाद किया जाता है। इस साल हरतालिका तीज का व्रत पारण 27 अगस्त, बुधवार के दिन सुबह 5 बजकर 57 मिनट के बाद कभी भी किया जा सकता है क्योंकि यह सूर्योदय का समय है।
हरतालिका तीज व्रत का पारण इसके महत्व को दर्शाता है कि यह व्रत बिना किसी बाधा के सफलतापूर्वक पूरा हुआ, और इसके बाद ही व्रत का पूर्ण फल प्राप्त होता है। हरतालिका तीज का व्रत पारण करने पर आपको इसका चौगुना फल मिलता है।
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सुबह की पूजा: व्रत का पारण करने से पहले, सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें। इसके बाद, भगवान शिव और माता पार्वती की विधिवत पूजा करें।
प्रसाद ग्रहण: पूजा समाप्त होने के बाद, सबसे पहले प्रसाद के रूप में कुछ मीठा खाएं। पारंपरिक रूप से, इस दिन खीर, हलवा, या कोई अन्य मिठाई खाई जाती है।
जल ग्रहण: मीठा खाने के बाद, जल ग्रहण करके व्रत का पारण करें।
सात्विक भोजन: व्रत पारण के बाद, केवल सात्विक और हल्का भोजन ही करें। तामसिक भोजन, जैसे लहसुन और प्याज, का सेवन नहीं करना चाहिए।
दान: व्रत का पूर्ण फल पाने के लिए, अपनी क्षमता के अनुसार किसी जरूरतमंद या ब्राह्मण को दान-दक्षिणा दें। आप सुहागिन महिलाओं को श्रृंगार का सामान भी दान कर सकती हैं।
सही समय पर पारण: व्रत का पारण हमेशा चतुर्थी तिथि को, यानी अगले दिन, सूर्योदय के बाद ही करना चाहिए। व्रत के दौरान और सूर्योदय से पहले पानी या भोजन का सेवन वर्जित माना जाता है।
पूजा के बाद ही पारण: व्रत खोलने से पहले, भगवान शिव और माता पार्वती की विधिवत पूजा और आरती अवश्य करें। पूजा किए बिना व्रत का पारण नहीं करना चाहिए।
सबसे पहले मीठा खाएं: व्रत का पारण हमेशा किसी मीठी चीज़ से ही करना चाहिए। पारंपरिक रूप से, खीर, हलवा या कोई अन्य मिठाई खाकर व्रत खोला जाता है। माना जाता है कि ऐसा करने से वैवाहिक जीवन में मधुरता बनी रहती है।
तामसिक भोजन से बचें: व्रत खोलने के बाद, तामसिक भोजन, जैसे लहसुन और प्याज, का सेवन नहीं करना चाहिए। इस दिन और उसके बाद भी सात्विक और हल्का भोजन ही करना शुभ माना जाता है।
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पारण के बाद दान करें: व्रत का पूर्ण फल पाने के लिए, पारण के बाद अपनी सामर्थ्य के अनुसार दान-दक्षिणा अवश्य दें। सुहागिन महिलाओं को श्रृंगार का सामान, जैसे सिंदूर, बिंदी, चूड़ी और मेहंदी, दान करना बहुत शुभ माना जाता है।
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