Hartalika Teej 2024: कैसे पड़ा हरतालिका तीज का नाम, जानें महत्व

हरतालिका तीज हिंदू धर्म में महिलाओं का एक महत्वपूर्ण त्योहार है, विशेष रूप से विवाहित महिलाओं के लिए। यह त्योहार भगवान शिव और माता पार्वती के पवित्र बंधन का प्रतीक है। आइए इस लेख में जानते हैं कि हरतालिका तीज का नाम कैसे पड़ा। 

Hartalika teej  Name and its significance ()

हरतालिका तीज, श्रावण महीने की शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाई जाती है। इस दिन महिलाएं पूरे दिन व्रत करती हैं। ऐसी मान्यता है कि हरतालिका तीज के दिन व्रत करने से संतान सुख, पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। हरतालिका तीज के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा का विशेष महत्व है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, ऐसा कहा जाता है कि माता पार्वती ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कठोर तपस्या की थी और इस तपस्या के दौरान उन्होंने बहुत कठिन व्रत भी रखा था। इसी कारण इस दिन व्रत और पूजा करने की मान्यता है। अब ऐसे में सवाल है कि इस तीज का नाम हरतालिका तीज कैसे पड़ा। आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।

कैसे पड़ा हरतालिका तीज का नाम?

hartalika teej vrat katha

हरत का अर्थ है अपहरण करना और आलिका का अर्थ है सखी। ऐसी मान्यता है कि देवी पार्वती ने भगवान शिव को पाने के लिए कठोर तपस्या की थी। लेकिन उनके पिता हिमालय चाहते थे कि उनकी शादी भगवान विष्णु से हो। जब देवी पार्वती ने अपनी सखी को अपना दुख बताया, तो उनकी सखी ने उन्हें भगवान विष्णु से विवाह करने से रोकने के लिए एक योजना बनाई। उन्होंने देवी पार्वती का अपहरण कर लिया और उन्हें एकांत स्थान पर ले गई, जहां देवी पार्वती ने भगवान शिव की आराधना जारी रखी।

देवी पार्वती के इस अपहरण के कारण ही इस त्योहार का नाम हरतालिका तीज पड़ा। यह त्योहार देवी पार्वती और भगवान शिव के मिलन का प्रतीक है और सुहागिन महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखता है।

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हरतालिता तीज का महत्व क्या है?

  hartalika teej vrat

हरतालिका तीज मुख्य रूप से सुहागिन महिलाओं का त्योहार है। वे अपने पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए व्रत रखती हैं। यह पतिव्रता धर्म का प्रतीक है और पति-पत्नी के बीच प्रेम और विश्वास को गहरा बनाता है। यह त्योहार माता पार्वती की आराधना का दिन भी है। महिलाएं माता पार्वती की तरह सुंदर और पतिव्रता बनने की कामना करती हैं। यह त्योहार अखंड सौभाग्य का प्रतीक है। महिलाएं मानती हैं कि इस दिन व्रत रखने से उनका सौभाग्य सदैव बना रहेगा। देवी पार्वती और उनकी सखी के बीच के प्रेम का प्रतीक है। यह सखी भाव को दर्शाता है और महिलाओं के बीच बंधन को मजबूत करता है।

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Image Credit- HerZindagi

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