पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जब भी जीवन में कोई संकट आता है और आपकी राहें कठिन हो जाती हैं तब एक नाम हर एक कष्ट से बाहर निकलने का रास्ता दिखाता है। वो नाम है भगवान हनुमान का। वास्तव में उन्हें स्वयं ही कई नामों से जाना जाता है जैसे संकट मोचक, बल और भक्ति के प्रतीक, बजरंगबली और अंजनी पुत्र। भगवान श्री हनुमान का जन्मोत्सव हनुमान जयंती के रूप में पूरे देश में भक्ति, श्रद्धा और उल्लास से मनाया जाता है। हनुमान जी न केवल श्रीराम के अनन्य भक्त हैं, बल्कि वे ब्रह्मांड की अद्भुत शक्तियों के स्वामी भी हैं। ऐसा कहा जाता है कि हनुमान जी को माता सीता से अष्ट सिद्धि और नव निधि का आशीर्वाद मिला था, जो आज भी उनके भक्तों के लिए आस्था और शक्ति का स्त्रोत है।
अष्ट सिद्धियां हनुमान जी को योगबल से प्राप्त विशेष शक्तियां थीं, जबकि नव निधियां समृद्धि और ऐश्वर्य का प्रतीक मानी जाती हैं। आइए हनुमान जयंती के पावन अवसर पर ज्योतिर्विद पंडित रमेश भोजराज द्विवेदी से जानें कि हनुमान जी को अष्ट सिद्धि और नव निधि की ये दिव्य शक्तियां कैसे प्राप्त हुईं और उनका जीवन में क्या महत्व है।
हनुमान चालीसा में हनुमान जी की दिव्य शक्तियों का उल्लेख अत्यंत भावपूर्ण तरीके से मिलता है। हनुमान चालीसा की एक प्रसिद्ध चौपाई 'अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता, अस बर दीन जानकी माता' इस बात का प्रमाण है कि हनुमान जी को विशेष सिद्धियों और निधियों का वरदान प्राप्त है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जब हनुमान जी ने लंका में माता सीता को खोज लिया और उनका संदेश श्रीराम पहुंचाने का वचन दिया, उस समय प्रसन्न होकर माता सीता ने हनुमान जी अष्ट सिद्धियों और नव निधियों का आशीर्वाद प्रदान किया था।
ये सिद्धियां उन्हें आध्यात्मिक बल, ज्ञान, आकार परिवर्तन, गति, इच्छा पूर्ति जैसी कई विशेष शक्तियां प्रदान करती हैं। वहीं नव निधियां जीवन की समृद्धि और ऐश्वर्य का प्रतीक मानी जाती हैं। इस चौपाई से स्पष्ट होता है कि हनुमान जी केवल शक्ति और भक्ति के प्रतीक नहीं, बल्कि समस्त ऐश्वर्य के भी दाता हैं।
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पौराणिक कथाओं के अनुसार, अष्ट सिद्धियां वो आठ दिव्य शक्तियां हैं, जिन्हें प्राप्त करके साधक किसी भी कठिन से कठिन कार्य को आसानी से सफल बना सकता है। ऐसे ही हनुमान जी को ये अष्ट सिद्धियां माता सीता के आशीर्वाद से प्राप्त हुई थीं। इस बात का वर्णन हनुमान चालीसा में में भी मिलता है। आइए जानें उन अष्ट सिद्धियों के बारे में विस्तार से-
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श्री हनुमान जी को केवल बल, बुद्धि और भक्ति के प्रतीक के रूप में ही नहीं पूजा जाता है, बल्कि वे नौ निधियों के भी स्वामी भी माने जाते हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, यह नौ निधियां दिव्य और रहस्यमयी संपत्तियों का प्रतिनिधित्व करती हैं, जिन्हें हनुमान जी को माता सीता के आशीर्वाद से प्राप्त हुआ था। ‘निधि’ का अर्थ होता है ऐसी संपदा जो न केवल भौतिक समृद्धि का प्रतीक हो, बल्कि आध्यात्मिक और मानसिक संतुलन का स्रोत भी बने।
इन नौ निधियों के नाम हैं- पद्म, महापद्म, शंख, मकर, कच्छप, मुकुंद, नंद, नील और खर्जूरवा। प्रत्येक निधि अलग-अलग प्रकार की ऊर्जा, शक्ति और ऐश्वर्य का प्रतीक है।
हनुमान जी की इन निधियों का उद्देश्य केवल धन-संपदा नहीं, बल्कि जीवन में संतुलन, आध्यात्मिक उन्नति और आत्मविश्वास को बढ़ाना भी है। संकट मोचन हनुमान जी जब किसी भक्त को कृपा प्रदान करते हैं, तो वह जीवन के सभी क्षेत्रों जैसे भौतिक, मानसिक और आत्मिक- में समृद्धि की ओर अग्रसर होता है।
हनुमान जी की नौ निधियां यह दर्शाती हैं कि सच्ची भक्ति, सेवा और निष्ठा के साथ यदि उन्हें स्मरण किया जाए, तो जीवन में किसी भी प्रकार की कमी नहीं रहती है।
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