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Ganga Saptami 2024: भगवान शिव की जटाओं में कैसे और क्यों समाई मां गंगा, जानें धरती पर आने से पहले क्या हुआ था ऐसा?

गंगा सप्तमी का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। पंचांग के अनुसार, यह हर साल वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि के दिन मनाया जाता है, जो कि इस बार 14 मई को है।
Editorial
Updated:- 2024-05-10, 20:25 IST

हिंदू धर्म में गंगा सप्तमी का विशेष महत्व है। पंचांग के अनुसार, यह हर साल वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि के दिन मनाया जाता है। इस साल यह त्योहार 14 मई, 2024 को है। कहते हैं इस दिन गंगा में स्नान करने और मां गंगा की पूजा करने से व्यक्ति की मनोकामना पूर्ण हो सकती है।

मान्यता के अनुसार, गंगा सप्तमी के दिन ही मां गंगा का सृष्टि पर प्राकट्य हुआ था। इसलिए हर साल गंगा मां के अवतरण दिवस को यह खास त्योहार मनाया जाता है। तो चलिए आगे मां गंगे से संबंधित कुछ रोचक तथ्य के बारे में जानते हैं कि कैसे वह भगवान शिव की जटाओं में समाई थी और कैसे उनका धरती पर अवतरण हुआ था। 

भगवान शिव की जटाओं में कैसे समाई मां गंगा

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पौराणिक हिंदू कथाओं के अनुसार महाराज भगीरथ ने अपने पूर्वजों को मोक्ष दिलाने के लिए स्वर्गलोक से मां गंगा को धरती पर लाने के लिए कठोर तप किए थे। मां गंगा उनके तप से प्रसन्न भी हो गई थी। लेकिन भागीरथ को गंगी की तेज धारा के बारे में पता था, तो इसके उपाय के लिए वे ब्रह्माजी के पास गए। वहां पर ब्रह्माजी ने भागीरथ से भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कहा। फिर, भागीरथ ने अपनी कठोर तपस्या से शिव जी को प्रसन्न किया और महादेव ने उनसे कुछ वरदान मांगने को कहा जिस पर भागीरथ ने मां गंगा को धरती पर लाने की मांग की। तभी भोलेनाथ ने गंगा के वेग से पृथ्वी को बचाने के लिए अपनी जटाएं खोल दी। 

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शिव जी की जटाओं में कब और क्यों समाई मां गंगा?

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धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भागीरथ की कठोर तपस्या से मां गंगा धरती पर अवतरित हुई थीं। लेकिन, उनकी धारा तेज होने के कारण देव लोक से सीधा धरती पर आना संभव नहीं था। यही कारण है कि भगवान शिव ने उन्हें धरती पर अवतरित कराने के लिए सबसे पहले अपनी जटाओं में उतारा। कहा जाता है कि धरती को बचाने के लिए शिवजी ने मां गंगा को अपनी जटाओं में धारण किया था। अगर ऐसा नहीं होता तो मां गंगा अपनी तीव्र धारा से धरती पर उतरती और सीधा पृथ्वी को चीरते हुए पाताल पहुंच जाती, जिससे संसार नष्ट हो जाता।

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