Ganga Saptami 2024: गंगा सप्तमी के दिन घर पर ऐसे करें मां गंगा की पूजा, पूरी होगी हर मनोकामना

हिन्दू धर्म में गंगा सप्तमी का बहुत महत्व माना जाता है। पंचांग के अनुसार, वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को गंगा सप्तमी के रूप में मनाया जाता है। 

ganga saptami  puja at home

Ganga Saptami 2024 Puja At Home: हिन्दू धर्म में गंगा सप्तमी का बहुत महत्व माना जाता है। पंचांग के अनुसार, वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को गंगा सप्तमी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन मां गंगा को भगवान शिव ने अपनी जटाओं में धारण किया था, इसी कारण से इस दिन मां गंगा की पूजा के साथ-साथ भगवान शिव की आराधना करने का भी विधान है। ऐसे में ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से आइये जानते हैं कि घर पर मां गंगा की पूजा कैसे करें।

गंगा सप्तमी 2024 घर पर मां गंगा की पूजा करने की विधि

how to perform ganga puja at home on ganga saptami

गंगा सप्तमी के दिन सबसे पहले शुद्ध जल से स्नान कर लें। फिर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और तांबे के लोटे में गंगाजल भरें। फिर उस गंगाजल से भरे लोटे को लाल रंग का वस्त्र उढ़ा दें, जैसे किसी को चुनरी उढ़ाते हैं।

इसके बाद लोटे के ऊपरी भाग पर कलावा बांधें और उसपर लाल या पीले चंदन से स्वास्तिक बनाएं। इसके बाद उस लोटे को एक चौकी पर स्थापित कर दें। गंगाजल से भरा यह लोटा मां गंगा का ही प्रतीक माना जाएगा।

यह भी पढ़ें:Ganga Saptami 2024: गंगा सप्तमी के दिन घर के मंदिर में जरूर रखें ये एक चीज, होगा धन लाभ

इसके बाद अक्षत, धूप, दीप, नैवेद्य आदि चीजें उस लोटे के आगे अर्पित करें। इसके बाद मां गंगा के मंत्रों का जाप करें। मां गंगा के स्तोत्र का पाठ करें और गंगा चालीसा पढ़ना न भूलें। फिर मां गंगा को भोग अर्पित करें।

आखिर में मां गंगा की आरती उतारें और भोग को प्रसाद के रूप में वितरित करें। इसके अलावा, घर पर ही भगवान शिव की पूजा करना न भूलें। भगवान शिव के 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का जाप अवश्य करें।

गंगा सप्तमी 2024 मां गंगा का स्तोत्र

how to perform ganga puja at home on ganga saptami

देवि सुरेश्वरि भगवति गङ्गे त्रिभुवनतारिणि तरलतरङ्गे । शङ्करमौलिविहारिणि विमले मम मतिरास्तां तव पदकमले ॥१॥

भागीरथि सुखदायिनि मातस्तव जलमहिमा निगमे ख्यातः । नाहं जाने तव महिमानं पाहि कृपामयि मामज्ञानम् ॥ २॥

हरिपदपाद्यतरङ्गिणि गङ्गे हिमविधुमुक्ताधवलतरङ्गे । दूरीकुरु मम दुष्कृतिभारं कुरु कृपया भवसागरपारम् ॥ ३॥

तव जलममलं येन निपीतं, परमपदं खलु तेन गृहीतम् । मातर्गङ्गे त्वयि यो भक्तः किल तं द्रष्टुं न यमः शक्तः ॥ ४॥

पतितोद्धारिणि जाह्नवि गङ्गे खण्डितगिरिवरमण्डितभङ्गे । भीष्मजननि हे मुनिवरकन्ये, पतितनिवारिणि त्रिभुवनधन्ये ॥ ५॥

कल्पलतामिव फलदां लोके, प्रणमति यस्त्वां न पतति शोके । पारावारविहारिणि गङ्गे विमुखयुवतिकृततरलापाङ्गे ॥ ६॥

तव चेन्मातः स्रोतःस्नातः पुनरपि जठरे सोऽपि न जातः । नरकनिवारिणि जाह्नवि गङ्गे कलुषविनाशिनि महिमोत्तुङ्गे ॥ ७॥

यह भी पढ़ें:क्या आप जानती हैं पौराणिक कथाओं के अनुसार गंगा नदी के उद्गम की कहानी

पुनरसदङ्गे पुण्यतरङ्गे जय जय जाह्नवि करुणापाङ्गे । इन्द्रमुकुटमणिराजितचरणे सुखदे शुभदे भृत्यशरण्ये ॥ ८॥

रोगं शोकं तापं पापं हर मे भगवति कुमतिकलापम्। त्रिभुवनसारे वसुधाहारे त्वमसि गतिर्मम खलु संसारे॥ ९॥

अलकानन्दे परमानन्दे कुरु करुणामयि कातरवन्द्ये । तव तटनिकटे यस्य निवासः खलु वैकुण्ठे तस्य निवासः ॥ १०॥

वरमिह नीरे कमठो मीनः किं वा तीरे शरटः क्षीणः । अथवा श्वपचो मलिनो दीनस्तव न हि दूरे नृपतिकुलीनः॥ ११॥

भो भुवनेश्वरि पुण्ये धन्ये देवि द्रवमयि मुनिवरकन्ये । गङ्गास्तवमिमममलं नित्यं पठति नरो यः स जयति सत्यम् ॥ १२॥

येषां हृदये गङ्गाभक्तिस्तेषां भवति सदा सुखमुक्तिः । मधुराकान्तापज्झटिकाभिः परमानन्दकलितललिताभिः ॥ १३॥

गङ्गास्तोत्रमिदं भवसारं वाञ्छितफलदं विमलं सारम् । शङ्करसेवकशङ्कररचितं पठति सुखी स्तव इति च समाप्तः ॥ १४॥

देवि सुरेश्वरि भगवति गङ्गे त्रिभुवनतारिणि तरलतरङ्गे । शङ्करमौलिविहारिणि विमले मम मतिरास्तां तव पदकमले ॥

आप भी इस लेख में दी गई जानकारी के माध्यम से यह जान सकते हैं कि आखिर गंगा सप्तमी के दिन घर पर कैसे करनी चाहिए मां गंगा की पूजा। अगर हमारी स्टोरीज से जुड़े आपके कुछ स वाल हैं, तो वो आप हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।

image credit: herzindagi

HzLogo

HerZindagi ऐप के साथ पाएं हेल्थ, फिटनेस और ब्यूटी से जुड़ी हर जानकारी, सीधे आपके फोन पर! आज ही डाउनलोड करें और बनाएं अपनी जिंदगी को और बेहतर!

GET APP