Ganesh Chaturthi 2024: गणेश चतुर्थी मनाने की क्या है परंपरा, जानें इतिहास और महत्व

गणेश चतुर्थी आने में अब कुछ ही दिन शेष है। इस दौरान बप्पा की पूजा-अर्चना विधिवत रूप से करने का विधान है। आइए इस लेख में जानते हैं कि गणेश चतुर्थी मनाने के परंपरा और इतिहास क्या है? 

Ganesh Chaturthi  puja rituals history and significance ()

सनातन धर्म में गणेश चतुर्थी का पर्व बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। यह पर्व देशभर में विधिवत रूप से मनाई जाती है। लेकिन महाराष्ट्र में इसकी धूम विशेष रूप से देखने को मिलती है। बप्पा के आगमन के लिए पहले से ही तैयारियां आरंभ हो जाती है। विभिन्न प्रकार के थीम के पंडाल तैयार किए जाते हैं। बप्पा की बड़ी-बड़ी मूर्तियां तैयार किए जाते हैं। भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप 10 दिनों तक उत्सव धूमधाम के सात मनाया जाता है। वहीं अनंत चतुर्दशी के दिन बप्पा का विसर्जन कर दिया जाता है। आपको बता दें, इस साल गणेश चतुर्थी, 07 सितंबर को विधि-विधान के साथ मनाई जाएगी। अब ऐसे में गणेश चतुर्थी मनाने की परंपरा क्या है। इस पर्व का इतिहास क्या है। इसके बारे में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।

कैसे शुरू हुई गणेशोत्सव की शुरुआत?

ganesh puja on wednesday

गणेशोत्सव की शुरुआत महाराष्ट्र की राजधानी पुणे से हुई। ऐसा कहा जाता है कि इसका इतिहास मराठा साम्राज्य के सम्राट छत्रपति शिवाजी महाराज से जुड़ा हुआ है। ऐसी मान्यता है कि भारत में मुगलों के शासन के दौरान अपनी सनातन संस्कृति को बचाने के लिए छत्रपति शिवाजी ने अपनी माता जीजीबाई के साथ गणेश महोत्सव की शुरुआत की थी। वहीं इस महोत्सव की शुरुआत करने के बाद मराठा साम्राज्य के और पेशवा भी गणेश महोत्सव को मनाने लगे। गणेश चतुर्थी के दौरान मराठा पेशवा ब्राह्मणों को भोजन कराते थे। साथ ही दान-पुण्य भी विशेष रूप से करते थे। वहीं पेशवा के बाद ब्रिटिश हुकूमत भारत में हिंदूओं के सभी त्योहारों पर रोक लगा दी थी, लेकिन बाल गंगाधर तिलक ने गणेश चतुर्थी के महोत्सव को दोबारा मनाने की शुरुआत की थी। इसके बाद 1892 में भाऊ साहब जावले के द्वारा पहली भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित की गई।

गणेश चतुर्थी क्यों मनाई जाती है?

गणेश चतुर्थी बप्पा के जन्मोत्सव के रूप में मनाई जाती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान गणेश का जन्म भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को हुआ था। वहीं गणेशोत्सव के दौरान बप्पा 10 दिनों तक सभी के घरों में विराजते हैं और उनकी विधिवत पूजा-अर्चना करते हैं। ऐसा कहा जाता है कि किसी भी नए काम की शुरुआत से पहले बप्पा की पूजा विधिवत रूप से करने की परंपरा है। इन्हें विघ्नहर्ता भी कहा जाता है।

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गणेश चतुर्थी पर्व का महत्व क्या है?

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भगवान गणेश को सौभाग्य, समृद्धि और ज्ञान का देवता कहा जाता है। कहते हैं कि बप्पा की पूजा विधिवत रूप से करने से व्यक्ति के जीवन में चल रही परेशानियां दूर हो जाती है। साथ ही जीवन में सुख-सौभाग्य और संपन्नता का भी आगमन होता है।

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Image Credit- HerZindagi

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