हिंदू धर्म में एकादशी का व्रत अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है और इनमें देवशयनी एकादशी का विशेष स्थान है। यह आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पड़ती है। इस दिन से भगवान विष्णु चार मास के लिए क्षीरसागर में शयन करने चले जाते हैं, जिसे चातुर्मास कहा जाता है। इन चार महीनों में कोई भी शुभ कार्य जैसे विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश आदि नहीं किए जाते हैं। आपको बता दें, देवशयनी एकादशी के साथ ही चातुर्मास का आरंभ हो जाता है, जो कार्तिक मास की देवउठनी एकादशी तक चलता है। इस अवधि में विवाह जैसे मांगलिक कार्यों को वर्जित माना जाता है। इस दौरान भक्त अपने आराध्य की भक्ति में लीन रहते हैं और धर्म-कर्म के कार्यों पर विशेष ध्यान देते हैं।
अब ऐसे में अगर आपकी कुंडली में पितृदोष है तो एकादशी तिथि के दिन कुछ ऐसे उपाय हैं। जिसे करने से लाभ हो सकता है। आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।
देवशयनी एकादशी के दिन पितरों को दें जल
देवशयनी एकादशी के दिन सुबह स्नान आदि से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें. इसके बाद दक्षिण दिशा की ओर मुख करके खड़े हों. अपने दोनों हाथों में जल लेकर अंजुलि बनाएं और उसमें थोड़ा सा काला तिल भी डाल लें. अब 'ऊं पितृभ्यः नमः' मंत्र का उच्चारण करते हुए उस जल को धीरे-धीरे धरती पर छोड़ें। यह क्रिया कम से कम तीन बार करें। जल अर्पित करते समय अपने पितरों का स्मरण करें और उनसे अपनी गलतियों के लिए क्षमा याचना करें।
देवशयनी एकादशी के दिन करें पीपल के पेड़ की पूजा
हिंदू धर्म में पीपल के पेड़ को अत्यंत पूजनीय माना जाता है। इसे ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों देवताओं का वास माना जाता है। श्रीमद्भगवद्गीता में भगवान कृष्ण ने स्वयं कहा है कि "वृक्षों में मैं पीपल हूं"। यही कारण है कि पीपल के पेड़ की पूजा से कई तरह के दोषों से मुक्ति मिलती है, जिनमें पितृदोष भी प्रमुख है। पितृदोष का अर्थ है पूर्वजों का असंतोष या उनका आशीर्वाद प्राप्त न होना, जिसके कारण व्यक्ति के जीवन में कई तरह की बाधाएं आती हैं।
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देवशयनी एकादशी के दिन पितृ स्तोत्र का करें पाठ
पितृ स्तोत्र का पाठ करने से पितृ प्रसन्न होते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है। यह स्तोत्र का पाठ करने से पितरों को शांति मिलती हैं और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। देवशयनी एकादशी के दिन इसका पाठ करना विशेष फलदायी माना गया है। अगर आप पितृ स्तोत्र का पाठ करने से व्यक्ति के जीवन में चल रही समस्याएं दूर हो सकती है और व्यक्ति को पितृदोष से छुटारा मिल सकता है।
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