शुरू हो चुका है चातुर्मास 2025, जानें इन चार महीनों में क्या करें क्या नहीं

चातुर्मास वो चार महीनों की अवधि होती है जब भगवान विष्णु योगनिद्रा में चले जाते हैं। साथ ही, चातुर्मास में ग्रहों की शुभता भी कम हो जाती है। ऐसे में आइये जानते हैं कि चातुर्मास के दौरान के करना चाहिए और क्या नहीं एवं कब से शुरू हो रहा है चातुर्मास।
chaturmas 2025 start date

हिन्दू धर्म में चातुर्मास को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि चातुर्मास वो चार महीनों की अवधि होती है जब भगवान विष्णु योगनिद्रा में चले जाते हैं और संसार का पालन भगवान शिव करते हैं। चातुर्मास में ग्रहों की शुभता भी कम हो जाती है और अगर किसी की कुंडली में कोई ग्रह दोष है या फिर कोई ग्रह कमजोर है तो चातुर्मास के दौरान उसका दुष्प्रभाव और भी गंभीर हो सकता है। इसी कारण से ऐसा माना जाता है कि चातुर्मास में ज्यादा से ज्यादा पाठ-पूजा करनी चाहिए, हवन-अनुष्ठान करने चाहिए ताकि इन चार महीनों में सुख-समृद्धि एवं शुभता बनी रहे। ऐसे में ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से चलिए जानते हैं कि कब से शुरू हो रहा है चातुर्मास और इन चार मीनों में क्या करना चाहिए और क्या नहीं।

चातुर्मास 2025 कब से शुरू है?

चातुर्मास का आरंभ इस साल आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की देवशयनी एकादशी यानी कि 6 जुलाई, दिन रविवार से हो रहा है। वहीं, इसका समापन कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की देवउठनी एकादशी यानी कि 2 नवंबर, दिन रविवार को होगा।

chaturmas 2025 mein kya na kare

देवशयनी एकादशी की पूजा के बाद से भगवान विष्णु पातळ में निवास के लिए प्रस्थान करेंगे और फिर उसके बाद देवउठनी एकादशी के दिन भगवान शिव उन्हें पाताल में लेने जाएंगे और भगवान विष्णु को संसार का पालन पुनः सौपेंगे।

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चातुर्मास 2025 में क्या करें?

इस दौरान भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना विशेष फलदायी होती है। प्रतिदिन सुबह और शाम भगवान की आरती करें और संभव हो तो विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें। मंदिर जाएं और धार्मिक प्रवचनों में भाग लें।

अपने इष्टदेव के मंत्रों का जाप करें। यह मन को शांत करने और एकाग्रता बढ़ाने में मदद करता है। ध्यान और मेडिटेशन के लिए भी यह एक उत्तम समय है जो आंतरिक शांति प्रदान करता है।

चातुर्मास में सात्विक भोजन ग्रहण करना चाहिए। इसमें प्याज, लहसुन, मांसाहार और शराब का सेवन नहीं करना चाहिए। हल्का और सुपाच्य भोजन लें, जैसे दाल, चावल, सब्जियां, फल और दूध।

अपनी क्षमता अनुसार दान करें। गरीब और जरूरतमंद लोगों की मदद करें। यह आपको पुण्य दिलाता है और मन को संतोष देता है। इस दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करने की सलाह दी जाती है। यह शारीरिक और मानसिक शुद्धि के लिए महत्वपूर्ण है।

चातुर्मास में कुछ विशेष नियमों का पालन किया जाता है। जैसे एक समय भोजन करना, जमीन पर सोना, या मौन व्रत रखना। ये व्यक्तिगत श्रद्धा पर निर्भर करता है। धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन करें और ज्ञान प्राप्त करें। यह आत्मिक उन्नति में सहायक होता है।

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चातुर्मास 2025 में क्या न करें?

चातुर्मास के दौरान विवाह, मुंडन, गृहप्रवेश, नए व्यापार का शुभारंभ जैसे शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दौरान भगवान विष्णु योगनिद्रा में होते हैं जिससे इन कार्यों में विघ्न आ सकता है।

लंबी यात्राओं से बचना चाहिए, खासकर उन यात्राओं से जिनमें अधिक जोखिम हो। प्याज, लहसुन, बैंगन, मांसाहार, शराब, और अन्य तमासिक भोजन का सेवन न करें। ये शरीर और मन को अशुद्ध करते हैं।

chaturmas 2025 mein kya kare

कई लोग इस दौरान बाल कटवाने और दाढ़ी बनवाने से परहेज करते हैं। यह भी एक प्रकार की तपस्या मानी जाती है। अत्यधिक मनोरंजन, फिल्म देखना या विलासितापूर्ण जीवनशैली से बचना चाहिए। यह समय आत्म-संयम का है।

किसी की निंदा न करें, झूठ न बोलें और किसी का अपमान न करें। अपनी वाणी पर संयम रखें। अनावश्यक बातें करने से बचें और जहां तक संभव हो, कम बोलें।

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image credit: herzindagi

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FAQ

  • चातुर्मास में कौन सा दीपक जलाना चाहिए? 

    चातुर्मास के चार महीनों तक रोजाना रूई की बाती से सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए।