वैदिक परंपराओं में भोजन किसी के शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक कल्याण को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। हिंदू दर्शन और ज्योतिष के अनुसार, भोजन को मन और शरीर पर उसके प्रभाव के आधार पर तीन प्रकारों में वर्गीकृत किया जाता है-सात्विक, राजसिक और तामसिक।
भोजन का व्यक्ति की ऊर्जा और स्वभाव पर अलग प्रभाव पड़ता है। सात्विक भोजन शुद्धता और आध्यात्मिक स्पष्टता को बढ़ावा देता है, राजसिक भोजन गतिविधि और इच्छा को उत्तेजित करता है और तामसिक भोजन भारीपन, सुस्ती और अज्ञानता को प्रेरित करता है।
ऐसे में एक प्रमुख प्रश्न यह उठता है कि क्या तामसिक भोजन करने के बाद मंदिर जाना चाहिए। दरअसल मंदिर जाने के लिए भी कुछ विशेष नियम बनाए गए हैं और सबसे प्रमुख है मंदिर जाने से पहले किस तरह का भोजन करना चाहिए। इस बारे में हमने नारद संचार के ज्योतिष अनिल जैन जी से बात की। आइए इसके बारे में उनसे जानें विस्तार से।
भोजन का मंदिर दर्शन से क्या है संबंध
भोजन तीन प्रकार का होता है राजसी, सात्विक और तामसिक। ये तीन प्रकार की प्रवृत्तियां भी हमारे भीतर इन तीन तरह के भोजन को करने से होती हैं। जैसा कि कहा जाता है कि तामसिक भोजन जिसमें लहसुन प्याज और मांसाहार शामिल होता है वो आपकी प्रवृत्ति को भी तामसिक बना देता है। मंदिर हम जब भी जाते हैं तब मानसिक शांति के लिए जाते हैं, चित्त की एकाग्रता के लिए जाते हैं या फिर ईश्वर का आशीर्वाद लेने के लिए जाते हैं। ऐसे में यदि आप तामसिक भोजन का उपभोग करके मंदिर जाते हैं तब ये आपके मन में अपवित्रता का भाव पैदा करते हैं। ज्योतिष की मानें तो दो ग्रह ऐसे हैं जो जीवन को संचालित करते हैं राहु और शनि। ये हमारी कई तरह की गतिविधियों को संचालित करते हैं और हमारे लिए अच्छे या बुरे परिणाम देते हैं। ऐसे में यदि हम तामसिक भोजन ग्रहण करके मंदिर दर्शन के लिए जाते हैं तो ये ग्रह भी नकारात्मक प्रभाव दिखाने लगते हैं और आपको मंदिर दर्शन का शुभ फल नहीं मिलता है।
तामसिक भोजन क्या होता है
वैदिक साहित्य और आयुर्वेद के संदर्भ में, तामसिक भोजन वह भोजन माना जाता है जो शरीर और मन में भारीपन या सुस्ती की भावना पैदा करता है।
ऐसे खाद्य पदार्थ किसी की ऊर्जा और कंपन आवृत्ति को कम कर देते हैं, जिससे व्यक्ति आध्यात्मिक गतिविधियों से दूर हो जाता है। वास्तव में ये भोजन आपके मन में भी कई बार एकाग्रता को कम करने और ईश्वर पर ध्यान केंद्रित न कर पाने के विचारों को प्रेरित करता है।
जब हम तामसिक भोजन की बात करते हैं तो उसमें मांस और मछली, शराब, बासी, बचा हुआ या खराब भोजन, प्याज और लहसुन,अत्यधिक मसालेदार, चिकना या तला हुआ भोजन शामिल होते हैं। ऐसा माना जाता है कि ये खाद्य पदार्थ क्रोध, आलस्य, नकारात्मकता और भ्रम जैसे गुणों को बढ़ावा देते हैं, जो आध्यात्मिक विकास में बाधा बन सकते हैं। इसी वजह से इस तरह का भोजन करने के बाद मंदिर जाने की मनाही होती है।
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क्या तामसिक भोजन करके मंदिर जाना ठीक है?
मंदिर को एक पवित्र स्थान माना जाता है जहां दैवीय ऊर्जा केंद्रित होती है। यह प्रार्थना, ध्यान और देवताओं से आशीर्वाद मांगने का स्थान है। मंदिर जाना केवल एक भौतिक कार्य नहीं है बल्कि एक आध्यात्मिक कार्य है, जहां भक्त अपनी आंतरिक ऊर्जा को दिव्य उपस्थिति के साथ संरेखित करते हैं।
किसी मंदिर में प्रवेश करते समय, किसी को वहां रहने वाली उच्च ऊर्जाओं से जुड़ने के लिए आदर्श रूप से शारीरिक और मानसिक शुद्धता की स्थिति में होना चाहिए। यही कारण है कि कई स्थानों जिनका ईश्वर से संबंध होता है जैसे मंदिर या अन्य धार्मिक स्थान उनमें प्रवेश से पहले स्वच्छता, विचारों की शुद्धता और उचित आचरण पर जोर दिया जाता है।
उसी तरह ऐसे स्थानों पर तामसिक भोजन ग्रहण करके न जाने की सलाह भी दी जाती है क्योंकि ये भोजन आपके विचारों को अशुद्ध कर सकते हैं और आपका ध्यान पूजा से विरक्त कर सकते हैं।
तामसिक भोजन का सेवन करने के बाद मंदिर जाने के प्रभाव
तामसिक भोजन करने के बाद मंदिर जाने के आपके जीवन में कई तरह के प्रभाव हो सकते हैं। आइए जानें उनके बारे में -
आभा एवं ऊर्जा क्षेत्र पर प्रभाव
ज्योतिष के अनुसार, भोजन सीधे व्यक्ति की आभा या ऊर्जा क्षेत्र पर प्रभाव डालता है। ऐसा माना जाता है कि तामसिक भोजन आभामंडल को प्रदूषित करता है, जिससे यह मंदिर जैसे पवित्र वातावरण के लिए अशुद्ध हो जाता है। जब कम ऊर्जा अवस्था वाला कोई व्यक्ति मंदिर जैसे उच्च-कंपन वाले स्थान में प्रवेश करता है, तो यह उस पवित्र स्थान में ऊर्जा के संतुलन को बिगाड़ सकता है। व्यक्ति के भीतर मौजूद अंधकार के कारण भक्त और परमात्मा के बीच सूक्ष्म ऊर्जा का आदान-प्रदान बाधित होता है।
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तामसिक भोजन का ग्रहों के प्रभाव से संबंध
ज्योतिषीय रूप से, तामसिक भोजन शनि, राहु और केतु जैसे ग्रहों से जुड़ा होता है। ये ग्रह जीवन के गहरे पहलुओं जैसे चुनौतियों, कठिनाइयों, भ्रम और बाधाओं को नियंत्रित करते हैं। जब कोई व्यक्ति तामसिक भोजन का सेवन करता है, तो वह इन ग्रहों के प्रभाव को बढ़ा देता है, जिससे आध्यात्मिक रुकावटें पैदा हो सकती हैं और दैवीय आशीर्वाद प्राप्त करना मुश्किल हो सकता है।
तामसिक भोजन करने के बाद मंदिर जाने से, इन ग्रहों की नकारात्मक ऊर्जा तीव्र हो सकती है, जिससे दैवीय उपस्थिति से जुड़ना और अधिक कठिन हो जाता है। इसके परिणामस्वरूप अशांति की भावनाएँ, प्रार्थना के दौरान ध्यान की कमी, या यहां तक कि किसी की प्रार्थना का उत्तर न मिलना जैसे परिणाम देखने को मिल सकते हैं।
यहां बताए कारणों की वजह से आपको मंदिर जाने से पहले तामसिक भोजन न करने की सलाह दी जाती है। आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर शेयर और लाइक जरूर करें। इसी तरह और भी आर्टिकल पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से। अपने विचार हमें कमेंट बॉक्स में जरूर भेजें।
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