Maa Saraswati ji ki Vrat Katha 2025: बसंत पंचमी के दिन पढ़ें मां सरस्वती की ये व्रत कथा, करियर में मिलेगी ग्रोथ

Maa Saraswati Puja Vrat Katha 2025: बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा करने से व्यक्ति को परम ज्ञान की प्राप्ति होती है तो वहीं, इस दिन माता की व्रत कथा पढ़ने से करियर में सफलता मिलती है और व्यक्ति की उन्नति होती है। 
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हिन्दू पंचाग के अनुसार, इस साल बसंत पंचमी जिसे सरस्वती पूजा के नाम से भी जाना जाता है, वह 3 फरवरी, दिन सोमवार को पड़ रही है। शास्त्रों में वर्णित है कि जहां एक ओर बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा करने से व्यक्ति को परम ज्ञान की प्राप्ति होती है तो वहीं, इस दिन माता की व्रत कथा पढ़ने से करियर में सफलता मिलती है और व्यक्ति की उन्नति होती है। ऐसे में आइये जानते हैं ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से बसंत पंचमी की व्रत के बारे में विस्तार से।

बसंत पंचमी पर सरस्वती मां की व्रत कथा

बसंत पंचमी का पर्व विशेष रूप से मां सरस्वती के पूजन के लिए समर्पित है, और इसे उनके जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। इस दिन का महत्व पौराणिक कथाओं से जुड़ा हुआ है, जो हमें यह बताती है कि किस प्रकार से संसार में वाणी और संवाद की शुरुआत हुई थी।

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कथा के अनुसार, एक दिन ब्रह्माजी अपने कमंडल के साथ संसार का भ्रमण करने निकले। जब वे चारों ओर देख रहे थे, तो उन्होंने पाया कि सारा संसार बिल्कुल शांत और मूक है। हर स्थान पर घनघोर चुप्पी छाई हुई थी। यह दृश्य देखकर ब्रह्माजी को यह आभास हुआ कि संसार की रचना करते समय शायद कोई महत्वपूर्ण तत्व छूट गया है। उन्हें महसूस हुआ कि जब तक संवाद नहीं होगा, तब तक संसार में जीवन और विकास संभव नहीं होगा।

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यह सोचकर ब्रह्माजी एक स्थान पर रुके और उन्होंने अपने कमंडल से थोड़ा जल निकाला और उसे भूमि पर छिड़क दिया। जल की छिड़काव के बाद वहां एक अद्भुत ज्योतिपुंज प्रकट हुआ, जिसमें से एक दिव्य रूप वाली देवी प्रकट हुईं। देवी के हाथ में वीणा थी और उनके चेहरे से अत्यधिक तेज और आभा निकल रही थी। यह देवी कोई और नहीं, बल्कि मां सरस्वती थीं, जो ज्ञान, वाणी और कला की देवी मानी जाती हैं।

मां सरस्वती ने ब्रह्माजी को प्रणाम किया, और फिर ब्रह्मा जी ने उन्हें देखा और कहा, "माँ, संसार में सभी प्राणियों के पास कोई वाणी नहीं है। वे एक दूसरे से संवाद नहीं कर सकते हैं, और इस कारण संसार में शांति और समझ का अभाव है। मां सरस्वती ने विनम्रता से पूछा, "प्रभु, आपके लिए क्या आज्ञा है?"

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तब ब्रह्माजी ने उन्हें आदेश दिया, "आप अपनी वीणा से ध्वनि उत्पन्न करें, जिससे संसार के प्राणियों के बीच संवाद हो सके और वे एक दूसरे की परेशानियों और विचारों को समझ सकें।"

मां सरस्वती ने ब्रह्माजी की आज्ञा का पालन किया। उन्होंने अपनी वीणा बजाई, और उसी समय से संसार में वाणी का संचार हुआ। सभी प्राणियों के पास वाणी आ गई, जिससे वे एक दूसरे के साथ संवाद कर सके, अपनी समस्याओं को व्यक्त कर सकें और उनके बीच आपसी समझ और संवाद स्थापित हो सके। इस प्रकार, ब्रह्माजी की कृपा से संसार में संवाद का प्रारंभ हुआ और यह सभी प्राणियों के जीवन में एक नया आयाम लेकर आया।

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यह कथा हमें यह भी सिखाती है कि वाणी और संवाद मानव जीवन के सबसे महत्वपूर्ण पहलुओं में से एक हैं, जो जीवन को आसान और सामंजस्यपूर्ण बनाता है। बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा करते हुए भक्त उनके आशीर्वाद से ज्ञान और वाणी की प्राप्ति की कामना करते हैं। इस दिन विशेष रूप से विद्या, कला और संगीत के विद्यार्थियों और शौक़ीनों द्वारा उनकी पूजा की जाती है, ताकि वे जीवन में सफलता, समृद्धि और आशीर्वाद प्राप्त कर सकें।

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image credit: herzindagi

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