बद्रीनाथ मंदिर को क्यों कहते हैं धरती का वैकुण्ठ धाम, जानें किस रूप में विराजमान हैं भगवान

Badrinath Dham: बद्रीनाथ धाम को धरती का वैकुण्ठ भी कहा जाता है। इसलिए चार धाम की यात्रा में इस स्थान का खास महत्व माना गया है। हर कोई अपनी यात्रा के दौरान बद्रीनाथ धाम जरूर जाता है।
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Badrinath Dham Uttrakhand: बद्रीनाथ धाम के कपाट 4 मई को खुल गए हैं। ऐसे में अब आप सभी लोग बद्री नारायण के दर्शन करने के लिए बद्रीनाथ धाम जा सकते हैं। उत्तराखंड के चार धाम यात्रा में बद्रीनाथ का खास महत्व है। यहां पर आपको भगवान विष्णु के दर्शन करने को मिलते हैं। इसी वजह से बद्रीनाथ को लोग वैकुण्ठ भी कहते हैं। लेकिन ऐसा क्यों इसको लेकर हर किसी के दिल में सवाल आता है? चलिए आपको भी बताते हैं बद्रीनाथ धाम को वैकुण्ठ क्यों कहते हैं। साथ ही, इस स्थान की क्या महत्ता है।

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बद्रीनाथ धाम को क्यों कहते हैं वैकुण्ठ

बद्रीनाथ धाम चार धामों में काफी महत्व रखता है। इसलिए इसे धरती का वैकुण्ठ भी कहते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि यहां पर यहां पर भगवान विष्णु निवास करते हैं। हिंदू धर्म में इसलिए प्रमुख धाम का स्थान दिया गया है। ऐसा कहा जाता है कि अगर व्यक्ति अपने जीवन में बद्रीनाथ के दर्शन कर लेता है, तो उसे जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्ति मिल जाती है। इसका मतलब होता है उसे मोक्ष की प्राप्ति होगी। इसलिए इसे दिव्य लोक भी कहते हैं। यहां पर भगवान साक्षात्कार करते हैं।

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बद्रीनाथ में किस रूप में विराजमान हैं भगवान

बद्रीनाथ धाम में भगवान विष्णु बद्री नारायण के रूप में विराजमान हैं। यहां पर उनकी एक मीटर ऊंची काले पत्थर की स्वयंभू मूर्ति स्थापित है, जिसे आदि शंकराचार्य ने नारद कुंड से निकालकर स्थापित की थी। इस मूर्ति को देखकर आपको लगेगा जैसे भगवान पद्मासन मुद्रा में ध्यानमग्न होकर बैठे हैं। उनके दाहिनी ओर कुबेर, लक्ष्मी और नारायण की मूर्तियां भी स्थापित की गई है। यह मूर्ति भगवान विष्णु की आठ स्वयं प्रकट हुई प्रतिमाओं में से एक मानी जाती है। आपको इस मूर्ति के पास बस दीये जले हुए दिखाई देंगे।

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बद्रीनाथ धाम में कैसे करें दर्शन

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  • इसके लिए आपको सुबह भोर में उठकर पहले गर्म कुंड में स्नान करना है।
  • फिर आपको नए वस्त्र को पहनना है।
  • फिर आदि ईश्वर महादेव मंदिर के दर्शन करें।
  • इसके बाद आपको वहां पर मिलने वाले प्रसाद को लेना है और भगवान के दर्शन करने हैं।
  • आप चाहें तो ऑनलाइन पंजीकरण करके आरती भी कर सकते हैं।

बद्रीनाथ धाम अलकनंदा नदी और पर्वतों के बीच स्थित है। वहां पर बस घंटी की आवाज और नदी की लहरों की आवाज ही सुनाई देती है। आप भी दर्शन करने जा रहे हैं, तो वहां पर बद्री नारायण के दर्शन को अच्छे से करें।

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Image Credit-Uttrakhand tourism

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