रास्ते में अचानक अर्थी दिख जाना एक ऐसी घटना है जिसे देखकर कई लोग असहज महसूस करते हैं। हालांकि, भारतीय संस्कृति में इसके कुछ विशेष महत्व और मान्यताएं हैं। कुछ लोग शाव यात्रा को देखकर शुभ मानते हैं, वहीं कुछ लोग इसे अशुभ संकेत भी मानते हैं। जबकि बात अगर ज्योतिषशास्त्र की करें तो इसमें शव यात्रा को देखना बेहद शुभ माना जाता है। कहा जाता है कि अगर आप किसी काम के लिए जा रहे हैं और अचानक सड़क पर अर्थी दिख जाए, तो आपके काम पूरे हो जाते हैं। हालांकि, लोग इसे देखकर कुछ ऐसी गलतियां कर बैठते हैं, जो इस दौरान भूलकर भी नहीं करनी चाहिए। इससे जीवन में मुसीबतें बढ़ सकती हैं। आइए इस आर्टिकल में ज्योतिषाचार्य अरविंद त्रिपाठी से जानते हैं कि रास्ते में अर्थी दिखने पर किन बातों का ध्यान रखना चाहिए और किन गलतियों से बचना चाहिए।
अर्थी को देखकर मुंह फेर लेना, हंसना, या किसी भी प्रकार का अनादर दिखाना अशुभ माना जाता है। यह मृतक आत्मा के प्रति असम्मान व्यक्त करता है और नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित कर सकता है।
चलती हुई अर्थी के सामने से निकल जाना या उसका रास्ता काटना अत्यंत अशुभ माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि यह मृतक की आत्मा की शांति में बाधा डालता है और आपके कार्यों में विघ्न उत्पन्न कर सकता है।
अर्थी के पास से गुजरते समय या उसे देखते समय तेज आवाज में बात करना, गाना गाना या किसी भी प्रकार का शोर करना उचित नहीं माना जाता है। इस समय मौन रहना और शांति बनाए रखना चाहिए।
अर्थी देखने के बाद नकारात्मक विचार मन में लाना या डरना नहीं चाहिए। इसे जीवन की सच्चाई के रूप में देखना चाहिए और सकारात्मक बने रहना चाहिए।
कुछ मान्यताओं के अनुसार, अर्थी देखने के तुरंत बाद कोई नया या महत्वपूर्ण शुभ कार्य शुरू करना उचित नहीं माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि यह समय शोक और शांति का होता है।
कुछ लोग मानते हैं कि अर्थी देखने के तुरंत बाद भोजन करना अशुद्ध माना जा सकता है। इसलिए, अर्थी देखने के कुछ देर बाद ही भोजन करना चाहिए। अर्थी को पीठ दिखाकर आगे बढ़ना भी असम्मानजनक माना जाता है। कुछ क्षण रुककर, मृतक आत्मा के लिए प्रार्थना करते हुए और फिर आगे बढ़ना चाहिए।
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यदि आप वाहन चला रहे हैं और अर्थी दिखाई दे, तो हॉर्न न बजाएं और वाहन को धीरे चलाएं। मृतक के प्रति सम्मान दर्शाना चाहिए।
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यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि ये मान्यताएं सामाजिक और सांस्कृतिक परंपराओं पर आधारित हैं। इनका पालन करना या न करना व्यक्तिगत आस्था और विश्वास पर निर्भर करता है। हालांकि, किसी भी संवेदनशील स्थिति में सम्मान और सहानुभूति बनाए रखना हमेशा उचित होता है।
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