आषाढ़ गुप्त नवरात्रि में पूजा-पाठ के दौरान दीपक जलाते समय न करें ये 3 बड़ी भूल, निष्फल हो सकती है पूजा

आषाढ़ गुप्त नवरात्रि तंत्र-मंत्र और सिद्धियों के लिए बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है। इस दौरान पूजा में दीपक का विशेष स्थान है, पर इससे जुड़ी कुछ गलतियां ऐसी हैं, जो आपकी पूजा को निष्फल कर सकती हैं। गुप्त नवरात्रि में मनोवांछित फल पाने के लिए, दीपक जलाते समय इन 3 बड़ी भूलों से बचना अत्यंत आवश्यक है। आइए ज्योतिषाचार्य के अनुसार इस बारे में विस्तार से जानते हैं।
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आषाढ़ गुप्त नवरात्रि का पर्व तंत्र-मंत्र और गुप्त सिद्धियों के लिए विशेष महत्व रखता है। यह नौ दिन 10 महाविद्याओं के रूपों की गुप्त रूप से उपासना करने के लिए समर्पित होते हैं। इन दिनों में की गई पूजा-अर्चना और साधना का फल कई गुना अधिक मिलता है, पर इसके लिए कुछ विशेष नियमों और सावधानियों का पालन करना बेहद जरूरी है। पूजा-पाठ में दीया का अपना एक विशेष स्थान है, क्योंकि इसे अग्नि का प्रतीक और साक्षात देवी-देवताओं का स्वरूप माना जाता है। दीपक, नवरात्रि की पूजा को पूर्णता प्रदान करता है। हालांकि, दीया जलाने से जुड़े कुछ ऐसे नियम हैं, जिनकी अनदेखी करने पर आपकी पूरी पूजा निष्फल हो सकती है और आपको मनोवांछित फलों की प्राप्ति में बाधा आ सकती है। गुप्त नवरात्रि जैसे पवित्र अवसर पर की गई छोटी सी गलती भी आपके प्रयासों पर पानी फेर सकती है। ऐसे में, सही विधि से दीया जलाना बेहद जरूरी होता है। तो, आइए ज्योतिषाचार्य अरविंद त्रिपाठी से जानते हैं कि आषाढ़ गुप्त नवरात्रि में दीपक जलाते समय आपको किन 3 बड़ी गलतियों से बचने की जरूरत है।

आषाढ़ गुप्त नवरात्रि में दीपक जलाते समय न करें ये 3 बड़ी भूल

गुप्त नवरात्रि के दौरान दीपक जलाते समय विशेष सावधानी बरतनी चाहिए, ताकि आपकी साधना सफल हो और 10 महाविद्याओं का पूर्ण रूप से आशीर्वाद मिले। गलतियों से बचकर आप आषाढ़ गुप्त नवरात्रि में अपनी पूजा-अर्चना को सफल बना सकती हैं और आपके सभी कष्ट दूर होने के साथ-साथ मनोकामनाएं भी पूरी हो सकती हैं। हालांकि, इससे पहले आपको दीपक जलाने से जुड़े तीन गलतियों के बारे में जान लेना बेहद महत्वपूर्ण है।

how to lighting up Diya during gupt navratri

दीपक की सही दिशा का ध्यान न रखने की गलती

दीपक को सही दिशा में रखना पूजा के शुभ फल को प्रभावित करता है। अक्सर लोग दीपक को बिना सोचे-समझे कहीं भी रख देते हैं, जबकि ऐसा करने से बचना चाहिए। ज्योतिषशास्त्रों के मुताबिक, गलत दिशा में दीपक रखने से पूजा का सकारात्मक प्रभाव कम हो सकता है। अगर आप घी का दीपक जला रही हैं, तो हमेशा उस दीपक को देवता के दाईं ओर रखना चाहिए। कहते हैं कि घी का दीपक समृद्धि और सकारात्मकता को आकर्षित करता है। यदि आप तेल का दीपक जला रही हैं, तो दीपक को देवता के बाईं ओर रखना चाहिए। ऐसी मान्यता है कि तेल का दीपक संकटों को दूर करने और शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने के लिए जलाया जाता है। दीपक की लौ का मुख हमेशा पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए, क्योंकि यह ज्ञान और प्रकाश की दिशा मानी जाती है। यदि पूर्व संभव न हो तो उत्तर दिशा की ओर भी मुख किया जा सकता है।

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दीपक को बीच में ही बुझने या अधूरा छोड़ने की गलती

पूजा के दौरान दीपक का बुझना या उसमें पर्याप्त सामग्री न होना अशुभ माना जाता है। दीपक में तेल या घी कम देना, जिससे वह पूजा के बीच में ही बुझ जाए या दीपक को पूरा जलने से पहले ही बुझा देना आदि से आपको बचने की जरूरत है। दीपक जलाने से पहले यह सुनिश्चित कर लें कि उसमें पर्याप्त मात्रा में तेल या घी हो, ताकि वह पूरी पूजा अवधि तक जलता रहे। गुप्त नवरात्रि में कम से कम अखंड ज्योति जलाने का विधान है, जो नौ दिनों तक लगातार जलती रहती है।अगर अखंड ज्योति संभव न हो, तो कम से कम पूजा के समय तक दीपक अवश्य जलना चाहिए। दीपक में पर्याप्त मात्रा में रुई की बाती का उपयोग करें, ताकि वह ठीक से जलती रहे। अगर किसी कारणवश दीपक बीच में बुझ जाए, तो उसे तुरंत फिर से प्रज्वलित करें। इसके साथ ही, देवी से क्षमा याचना भी करें।

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दीपक की स्वच्छता पर ध्यान न देना या अशुद्ध सामग्री का इस्तेमाल करना

ज्योतिषाचार्य के मुताबिक, दीपक में उपयोग की जाने वाली सामग्री और दीपक की स्वच्छता का भी पूजा पर गहरा प्रभाव पड़ता है। पूजा में अशुद्ध या निम्न गुणवत्ता वाले तेल या घी का उपयोग करना, पुरानी या गंदी बाती का उपयोग करना या पूजा से पहले दीपक को साफ न करना आदि गलतियों से आपको दूर रहना चाहिए। हमेशा शुद्ध देसी घी या तिल के तेल का ही प्रयोग करना शुभ माना जाता है। गुप्त नवरात्रि के दौरान दीपक जलाने में शुद्धता का ध्यान रखना बहुत जरूरी होता है। दीपक जलाने के लिए हमेशा नई और स्वच्छ रुई की बाती का उपयोग करें और पूजा से पहले दीपक को अच्छी तरह से साफ कर लें। दीया में पिछली पूजा का जला हुआ तेल या कालिक नहीं होनी चाहिए। इसके अलावा, जिस स्थान पर दीपक रखा जा रहा है, वह स्थान भी स्वच्छ और पवित्र होना चाहिए।

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Image credit- Freepik


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