आषाढ़ मास हिंदू पंचांग का चौथा महीना होता है और इसका विशेष धार्मिक महत्व है। यह महीना भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। इस माह में भगवान विष्णु का जल स्नान करने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, आषाढ़ मास में भगवान विष्णु चार महीनों के लिए क्षीरसागर में शयन करते हैं, जिसे 'देवशयनी एकादशी' के नाम से जाना जाता है। इन चार महीनों को 'चातुर्मास' कहा जाता है। चातुर्मास के दौरान मांगलिक कार्य वर्जित होते हैं, लेकिन भगवान विष्णु की पूजा और भक्ति का महत्व कई गुना बढ़ जाता है। आषाढ़ माह में भगवान विष्णु को जल से स्नान कराने का अर्थ उन्हें शीतलता प्रदान करना है। ऐसी मान्यता है कि इस महीने में भगवान विष्णु के शरीर में ऊर्जा का संचार अधिक होता है, और उन्हें जल से स्नान कराने से वे प्रसन्न होते हैं। इससे भक्तों को भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है और उनके जीवन में सुख-समृद्धि आती है। आइए इस लेख में विस्तार से ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।
आषाढ़ माह में भगवान विष्णु का जल स्नान
पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान विष्णु सृष्टि के पालनहार हैं। वे जगत के पालक हैं। जब वर्षा ऋतु का आगमन होता है और नदियां, सरोवर जल से भर जाते हैं, तो इस शुद्ध और पवित्र जल से भगवान का अभिषेक करने का विधान है। ऐसा माना जाता है कि इस दौरान भगवान विष्णु का जल स्नान करने से वे प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों पर असीम कृपा बरसाते हैं। वहीं जल पवित्रता और शीतलता का प्रतीक माना जाता है। आषाढ़ माह में भगवान विष्णु का जल स्नान करने से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और कुंडली में स्थित ग्रहदोष दूर होता है। इस स्नान से व्यक्ति के पाप धुल जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह माना जाता है कि जो भक्त श्रद्धापूर्वक इस विधि का पालन करते हैं, उन्हें धन, धान्य, सुख-समृद्धि और आरोग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
आषाढ़ माह में भगवान विष्णु का जल स्नान करने के नियम
- भगवान विष्णु को स्नान कराने के लिए सबसे उत्तम समय ब्रह्म मुहूर्त होता है, यानी सूर्योदय से पहले का समय। इस समय वातावरण शांत और पवित्र होता है और नकारात्मक ऊर्जाएं कम होती हैं। यदि ब्रह्म मुहूर्त में संभव न हो तो सूर्योदय के बाद भी स्नान कराया जा सकता है, लेकिन दोपहर के समय स्नान कराने से बचना चाहिए।
- स्नान के लिए सबसे पहले गंगाजल का प्रयोग करें। यदि गंगाजल उपलब्ध न हो तो किसी भी पवित्र नदी का जल या साफ पानी का उपयोग कर सकते हैं।
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- दूध, दही, घी, शहद और चीनी का मिश्रण पंचामृत कहलाता है। यह भगवान को अत्यंत प्रिय है और इसका प्रयोग स्नान के बाद अभिषेक के लिए किया जाता है।
- तुलसी भगवान विष्णु को अति प्रिय है। स्नान के बाद तुलसी दल अर्पित करना शुभ माना जाता है।
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Image Credit- HerZindagi
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