गुप्त नवरात्रि विशेष रूप से उन तांत्रिकों, साधकों और योगियों द्वारा मनाई जाती है जो गोपनीय अनुष्ठानों, तीव्र साधना और आध्यात्मिक प्रथाओं के माध्यम से विशेष सिद्धियां प्राप्त करना चाहते हैं। ऐसा माना जाता है कि इन नवरात्रियों के दौरान की जाने वाली साधनाएं अधिक फलदायी होती हैं और तुरंत परिणाम देती हैं। जबकि सामान्य नवरात्रि में भक्त देवी दुर्गा के नौ रूपों यानी कि नवदुर्गा की पूजा करते हैं, गुप्त नवरात्रि में दस महाविद्याओं की पूजा की जाती है। अब ऐसे में इस दिन कुछ ऐसे मंत्र हैं, जिनका जाप करने से व्यक्ति के जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आ सकती है। आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।
सौभाग्य प्राप्ति के लिए आषाढ़ गुप्त नवरात्रि के दिन मंत्र जाप
आषाढ़ गुप्त नवरात्रि सौभाग्य प्राप्ति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। इन दिनों में देवी की गुप्त रूप से उपासना की जाती है, जिससे जीवन में सुख-समृद्धि और सौभाग्य की वृद्धि होती है। सुबह स्नान आदि से निवृत होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। देवी दुर्गा की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। स्फटिक या रुद्राक्ष की माला से इस मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करें। संभव हो तो नौ दिनों तक अखंड ज्योति प्रज्वलित करें। इस मंत्र का जाप करने से व्यक्ति के सौभाग्य में वृद्धि हो सकती है।
- ऊ ह्रीं दुं दुर्गायै नमः
- ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं सौं ॐ ह्रीं क्लीं ह्रीं श्रीं क्लीं सौं ॐ ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं सौं जगत्प्रसूत्यै नमः
- सर्वमङ्गलमाङ्गल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके । शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तु ते
सुख-शांति के लिए आषाढ़ गुप्त नवरात्रि के दिन मंत्र जाप
आषाढ़ गुप्त नवरात्रि तंत्र साधना और दस महाविद्याओं की उपासना के लिए विशेष मानी जाती है। इन दिनों में की गई मंत्र जाप से सुख-शांति, समृद्धि और सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिल सकती है।
- ॐ दुर्गे दुर्गति नाशिनि दुर्गा प्रणम्यहम्
- ॐ क्रीं कालिकायै नमः
- ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे
- ॐ कात्यायनी महामाये महायोगिन्यधीश्वरि, नंद गोप सुतं देवि पतिं मे कुरु ते नमः
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मनोकामना पूर्ति के लिए आषाढ़ गुप्त नवरात्रि के दिन मंत्र जाप
अगर आपकी कोई मनोकामना है। जिसे आप सिद्ध प्राप्त करना चाहते हैं तो आषाढ़ गुप्त नवरात्रि के दिन इस मंत्र का 108 बार जाप करें। इससे आपको लाभ हो सकता है।
- ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं महालक्ष्मी महालक्ष्मी एह्येहि सर्व सौभाग्यं देहि मे स्वाहा
- ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे
- देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि मे परमं सुखम्। रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि
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