हिंदू धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व है, और यह पर्व साल में चार बार मनाया जाता है। इनमें से दो प्रमुख नवरात्रि चैत्र और शारदीय हैं, जिन्हें बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। वहीं, दो गुप्त नवरात्रि होती हैं, जिनका महत्व विशेष इच्छाओं की पूर्ति और गुप्त सिद्धियों के लिए होता है। इनकी पूजा गोपनीय तरीके से की जाती है। आषाढ़ मास में पड़ने वाली गुप्त नवरात्रि इन्हीं में से एक है। आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।
आषाढ़ गुप्त नवरात्रि कब से हो रहा है शुरू?
आषाढ़ गुप्त नवरात्रि 2025 26 जून से शुरू हो रही है और इसका समापन 04 जुलाई को होगा। इस बार गुप्त नवरात्रि पूरे नौ दिनों तक रहेगी। घट स्थापना का शुभ मुहूर्त 26 जून को सुबह 05:25 से 06:58 बजे तक या अभिजीत मुहूर्त में 11:56 बजे से 12:52 बजे तक रहेगा।
आषाढ़ गुप्त नवरात्रि की पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है?
आषाढ़ गुप्त नवरात्रि का पर्व तंत्र-मंत्र और शक्ति साधना के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह नौ दिवसीय उत्सव मां दुर्गा के नौ रूपों की गुप्त रूप से पूजा करने का समय होता है। जो भक्त गुप्त सिद्धियां प्राप्त करना चाहते हैं या विशेष मनोकामनाएं पूरी करना चाहते हैं, उनके लिए यह नवरात्रि विशेष फलदायी होती है।
आषाढ़ गुप्त नवरात्रि की शुरुआत शुक्रवार, 04 जुलाई 2025 से होगी और इसका समापन शनिवार, 12 जुलाई 2025 को होगा। इन नौ दिनों में देवी के विभिन्न रूपों की आराधना की जाएगी।
कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त: सुबह 05 बजकर 28 मिनट से सुबह 07 बजकर 10 मिनट तक।
अभिजीत मुहूर्त: सुबह 11 बजकर 58 मिनट से दोपहर 12 बजकर 54 मिनट तक
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आषाढ़ गुप्त नवरात्रि की पूजा का महत्व क्या है?
आषाढ़ गुप्त नवरात्रि के नौ दिनों में विशेष रूप से मां दुर्गा के नौ रूपों के बजाय दस महाविद्याओं की पूजा-अर्चना की जाती है। ये दस महाविद्याएं हैं। जैसे कि मां काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी और कमला देवी। इन देवियों की उपासना से साधक विशेष सिद्धियां प्राप्त करते हैं और अपनी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। आषाढ़ गुप्त नवरात्रि में की गई पूजा से कुंडली के सभी प्रकार के दोष, ग्रह बाधाएं, नजर दोष और तंत्र बाधाएं दूर होती हैं। यह नकारात्मक ऊर्जाओं से मुक्ति दिलाने में सहायक मानी जाती है।
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Image Credit- HerZindagi
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