हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष धार्मिक महत्व है। इसे भगवान विष्णु की आराधना के लिए सबसे पवित्र तिथियों में से एक माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन व्रत और पूजन करने से व्यक्ति को पापों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का आगमन होता है। एकादशी तिथि प्रत्येक माह में दो बार आती है, पहली शुक्ल पक्ष में और दूसरी कृष्ण पक्ष में। इस प्रकार, पूरे वर्ष में कुल 24 एकादशी तिथियां होती हैं, वहीं जब साल में अधिक मास या मलमास होता है तब इनकी संख्या 26 हो जाती है। एकादशी व्रत के दिन श्रद्धालु उपवास करते हैं, दिन भर भगवान विष्णु का स्मरण करते हैं और रात में भजन-कीर्तन करते हैं।
यह व्रत न केवल आध्यात्मिक दृष्टि से लाभकारी होता है, बल्कि मानसिक और शारीरिक रूप से भी व्यक्ति को शुद्ध करता है। हर महीने की ही तरह अप्रैल 2025 में भी दो प्रमुख एकादशी व्रत पड़ेंगे। कामदा एकादशी और वरुथिनी एकादशी। इन दोनों व्रतों का धार्मिक महत्व अत्यंत उच्च है। आइए ज्योतिर्विद पंडित भोजराज द्विवेदी से जानें अप्रैल में पड़ने वाली दोनों एकादशी तिथियों के शुभ मुहूर्त और महत्व से जुड़ी सभी बातें।
अप्रैल महीने में पड़ने वाली दोनों एकादशी तिथियों का विशेष महत्व है, क्योंकि यह दिन भगवान विष्णु को समर्पित होता है और इसे उपवास, भक्ति और पूजा-अर्चना के साथ मनाया जाता है। अप्रैल 2025 में दो एकादशी व्रत पड़ रहे हैं, जो क्रमशः चैत्र शुक्ल पक्ष और वैशाख कृष्ण पक्ष में पड़ेंगे।
पहली एकादशी कामदा एकादशी होगी, जो 8 अप्रैल 2025 को मनाई जाएगी। मान्यता है कि इस व्रत को रखने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और पापों से मुक्ति मिलती है। वहीं दूसरी एकादशी वरुथिनी एकादशी है, जो 24 अप्रैल 2025 को मनाई जाएगी। इस व्रत से आर्थिक परेशानियों से राहत मिलती है और भाग्य में उन्नति होती है। दोनों ही एकादशियों का पालन भक्ति भाव और नियमपूर्वक करने से विशेष पुण्य फल प्राप्त होता है।
चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को कामदा एकादशी के रूप में मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि जो भक्त कामदा एकादशी का उपवास करता है उसकी समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
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कामदा एकादशी का हिंदू धर्म में अत्यंत विशेष महत्व है। यह चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को आती है और हिंदू कैलेंडर के अनुसार साल की पहली एकादशी मानी जाती है। इसका नाम ही इस बात का संकेत देता है कि यह व्रत 'कामनाओं की पूर्ति करने वाली एकादशी' है। मान्यता है कि जो व्यक्ति श्रद्धा और नियमपूर्वक इस एकादशी का व्रत करता है, उसकी सभी इच्छाएं पूरी होती हैं। धार्मिक ग्रंथों में वर्णित कथा के अनुसार, कामदा एकादशी का व्रत करने से बड़े से बड़ा पाप भी नष्ट हो सकता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना, व्रत और भजन-कीर्तन का विशेष महत्व होता है। कहा जाता कि इस व्रत के प्रभाव से व्यक्ति को स्वर्ग लोक की प्राप्ति भी हो सकती है।
यह एकादशी जीवन में सुख, समृद्धि और मानसिक शांति लाती है। विशेष रूप से जो लोग प्रेम संबंधों, संतान सुख या किसी विशेष कामना को लेकर चिंतित रहते हैं, उनके लिए यह एकादशी अत्यंत फलदायी मानी जाती है। इस दिन विधि पूर्वक व्रत रखने, कथा सुनने और भगवान श्रीहरि का स्मरण करने से न केवल सांसारिक सुखों की प्राप्ति होती है, बल्कि मोक्ष का मार्ग भी प्रशस्त होता है।
हिंदू पंचांग के अनुसार वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को वरुथिनी एकादशी के रूप में मनाया जाता है। मान्यता है कि जो व्यक्ति इस दिन श्रद्धा भाव से व्रत-उपवास करता है, उसके सभी बिगड़े काम बनने लगते हैं।
वरुथिनी एकादशी का हिंदू धर्म में अत्यंत पावन महत्व है। यह एकादशी वैशाख मास के कृष्ण पक्ष में आती है और धर्म, पुण्य और रक्षा प्रदान करने वाली एकादशी मानी जाती है। 'वरुथिनी' शब्द का अर्थ होता है-रक्षा करने वाली। यह व्रत नकारात्मक ऊर्जा, पापों और बाधाओं से व्यक्ति की रक्षा करता है और जीवन में सुख, समृद्धि एवं उन्नति का मार्ग प्रशस्त करता है।
पुराणों में इस बात का वर्णन है कि इस व्रत को करने से व्यक्ति को उसी प्रकार पुण्य फल की प्राप्ति होती है जैसे किसी राजा को दान देने, तपस्या करने या तीर्थ यात्रा करने से होती है। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को करने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और भविष्य में उत्तम फलों की प्राप्ति होती है। इस दिन व्रत रखकर भगवान विष्णु की उपासना, कथा श्रवण, दान-पुण्य और ब्राह्मण सेवा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। वरुथिनी एकादशी मोक्ष और समस्त संकटों से मुक्ति दिलाने वाली एक श्रेष्ठ तिथि मानी जाती है।
किसी भी अन्य एकादशी तिथि की ही तरह कामदा और वरुथिनी एकादशी का व्रत और पूजन भी किया जाता है। इसके लिए आप यहां बताए नियमों का पालन कर सकते हैं।
यदि आप एकादशी व्रत का पालन करते हैं तो आप यहां बताई बातों को ध्यान में रखते हुए इस व्रत का पूजन करें, जिससे उसका पूर्ण फल मिल सके।
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