benefits of visiting prayagraj during maha kumbh 2025

Maha Kumbh 2025: महाकुंभ में स्नान से ही नहीं, बल्कि सिर्फ प्रयागराज आने से मिलते हैं ये लाभ

जिन लोगों के सामने इस साल महाकुंभ पड़ रहा है, वह बहुत सौभाग्यशाली हैं। वहीं, कई लोग ऐसे भी हैं जो किसी कारणवश महाकुम्भ नहीं जा पा रहे हैं तो कई प्रयागराज तक पहुंचकर भी महाकुम्भ में स्नान नहीं कर पाए।
Editorial
Updated:- 2025-01-28, 08:00 IST

महाकुंभ महा मेला प्रयागराज में लगा हुआ है, जिसका समापन 26 फरवरी को महाशिवरात्रि के दिन होगा। 144 साल बाद लगे इस महाकुंभ में रोजाना भक्तों की भारी भीड़ उमड़ रही है। अब तक 2 अमृत स्नान हो चुके हैं और अन्य 4 अमृत स्नान की तिथियां शेष हैं। ऐसा माना जा रहा है कि इस साल लगने वाले इस महाकुंभ में जो चला गया सो चला गया और उसने पुण्य प्राप्त कर लिए क्योंकि अगला 144 साल बाद वाला महाकुंभ 2169 वे साल में लगेगा।

तबतक तो हम से बहुत से लोग जीविती भी न रहें। संतों का भी यही कहना है की जिन लोगों के सामने इस साल महाकुंभ पड़ रहा है, वह बहुत सौभाग्यशाली हैं। वहीं, कई लोग ऐसे भी हैं जो किसी कारणवश महाकुम्भ नहीं जा पा रहे हैं तो कई प्रयागराज तक पहुंचकर भी महाकुम्भ में स्नान नहीं कर पाए। ऐसे में ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स ने हमें बताया कि सिर्फ महाकुंभ में अमृत स्नान से ही नहीं बल्कि प्रयागराज जाने भर से भी व्यक्ति को कई लाभ मिलेंगे।

महाकुंभ के दौरान प्रयागराज जाने के लाभ

maha kumbh ke dauran prayagraj jane ka mahatva

महाकुंभ के दौरान मात्र प्रयागराज जाने से ही पुण्यों की प्राप्ति होती है। व्यक्ति द्वारा किये गए कुकर्म नष्ट हो जाते हैं और उनके बुरे फल से व्यक्ति का बचाव होता है। महाकुंभ के दौरान प्रयागराज जाने से पुण्यों में वृद्धि होती है जिसके परिणाम स्वरूप व्यक्ति के जीवन में शुभता का आगमन होता है।

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महाकुंभ के दौरान प्रयागराज जाने से व्यक्ति की दिशा और दशा बदल जाती है। ऐसा माना जाता है कि महाकुंभ के दौरान अमृत स्नान नहीं भी कर पाए तो कोई बात नहीं, प्रयागराज जाने भर से ही व्यक्ति के कष्ट मिट जाते हैं, जीवन में चल रही परेशानियां सुलझने लगती हैं और उन्नति का मार्ग खुलता है।

maha kumbh 2025 ke dauran prayagraj jane ka mahatva

महाकुंभ के दौरान मात्र प्रयागराज जाने से ही नस इरफ महाकुंभ में भाग लेने जितना ही फल मिलता है बल्कि व्यक्ति की आध्यात्मिक उन्नति भी होती है। व्यक्ति को भगवान के उसके समीप होने का आभास होने लगता है। आध्यात्मिक उन्नति से नकारात्मक ऊर्जा भी दूर रहती है और दिव्यता बढ़ती है।

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