अमूमन जब भी प्रोटीन की बात आती है तो लोगों को लगता है कि प्रोटीन का मुख्य सोर्स नॉन-वेज ही है। जबकि वास्तव में ऐसा नहीं है। प्लांट बेस्ड प्रोटीन भी सेहत के लिए काफी अच्छे होते हैं। यहां तक कि, जब से लोग पर्यावरण के प्रति अधिक जागरुक हो रहे हैं, तब से वे प्लांट बेस्ड प्रोटीन का सेवन अधिक कर रहे हैं। प्लांट भी प्रोटीन के अच्छे सोर्स के रूप में काम करते हैं और इनसे आपको बहुत अधिक हेल्थ बेनिफिट्स मिलते हैं।
प्लांट बेस्ड प्रोटीन मुख्य रूप से प्लांट सोर्स से मिलते हैं। इनमें दाल, मटर, नट्स, बीज, क्विनोआ, जौ, गेहूं, पालक, ब्रोकोली और ब्रसेल्स स्प्राउट्स आदि शामिल हो सकते हैं। जो लोग वेजिटेरियन हैं या फिर वीगन डाइट फॉलो कर रहे हैं, उनके लिए प्लांट बेस्ड प्रोटीन का सेवन करना काफी अच्छा माना जाता है।
प्लांट बेस्ड प्रोटीन आपको आवश्यक अमीनो एसिड और अन्य पोषक तत्व भी प्रदान कर सकते हैं। तो चलिए आज इस लेख में सेंट्रल गवर्नमेंट हॉस्पिटल के ईएसआईसी अस्पताल की डाइटीशियन रितु पुरी आपको प्लांट बेस्ड प्रोटीन और उससे मिलने वाले फायदों के बारे में बता रही हैं-
मिलते हैं न्यूट्रिशनल बेनिफिट्स
अगर आप प्लांट बेस्ड प्रोटीन को अपनी डाइट का हिस्सा बनाते हैं तो इससे आपको एनिमल प्रोटीन की तुलना में अधिक न्यूट्रिशनल बेनिफिट्स मिलते हैं। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि इनमें सैचुरटिड फैट और कोलेस्ट्रॉल कम होता है। वहीं, दूसरी ओर इनके सेवन से आपको फाइबर, विटामिन, मिनरल्स और एंटी-ऑक्सीडेंट्स अपेक्षाकृत अधिक मिलते हैं। ऐसे में आपकी ओवर ऑल हेल्थ पर पॉजिटिव असर पड़ता है। साथ ही साथ, इससे क्रॉनिक बीमारियों से जुड़ा रिस्क भी काफी कम होता है।
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हेल्थ कंडीशन में मिलता है लाभ
जो लोग प्लांट बेस्ड प्रोटीन को अपनी डाइट का हिस्सा बनाते हैं, उन्हें कई तरह की हेल्थ कंडीशन में भी फायदा मिलता है। कुछ रिसर्च में यह बात सामने आई है कि प्लांट बेस्ड प्रोटीन का सेवन करने से हार्ट डिसीज होने का रिस्क काफी कम हो जाता है। इतना ही नहीं, अगर किसी को टाइप 2 डायबिटीज है या फिर आप अपने वजन को कम या मेंटेन करना चाहते हैं तो भी प्लांट बेस्ड प्रोटीन का सेवन करना काफी अच्छा माना जाता है।
डाइजेशन में हो सकती है समस्या
कई बार प्लांट बेस्ड प्रोटीन को डाइजेस्ट करना मुश्किल हो सकता है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि कुछ प्लांट बेस्ड इंग्रीडिएंट्स में फाइटेट्स और लेक्टिन आदि पाया जाता है, जिसके कारण इनका डाइजेशन मुश्किल हो जाता है। हालांकि, अगर आप इन्हें सही तरह से पकाते हैं या फिर भिगोकर, अंकुरित करके या फिर फरमेंटेशन की मदद से इन प्रोटीनों को अधिक डाइजेस्टेबल बना सकते हैं।
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कंप्लीट नहीं होता प्रोटीन
यूं तो प्लांट बेस्ड प्रोटीन को प्रोटीन का एक अच्छा सोर्स माना जात है। लेकिन अधिकतर प्लांट प्रोटीन को अपूर्ण माना जाता है, क्योंकि उनमें एक या अधिक आवश्यक अमीनो एसिड की कमी होती है। अमीनो एसिड प्रोटीन के बिल्डिंग ब्लॉक हैं, जिन्हें शरीर स्वयं उत्पन्न नहीं कर सकता है। हालांकि, कुछ प्लांट सोर्स जैसे कि क्विनोआ, सोया और चिया सीड्स कंप्लीट प्रोटीन हैं, जिनमें सभी नौ आवश्यक अमीनो एसिड होते हैं। इसके अलावा, अगर आप चाहें तो अलग-अलग प्लांट बेस्ड इंग्रीडिएंट्स को एक साथ मिक्स करके उसे कंप्लीट प्रोटीन बना सकते हैं। मसलन, आप बीन्स और चावल को एक साथ लें या फिर होल व्हीट ब्रेड पर पीनट बटर खाया जा सकता है।
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