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Take eight hours sleep is myth

आठ घंटे सोना स्‍वास्‍थ के लिए होता है फायदेमंद महज एक मिथ है

स्‍लीपिंग हैबिट्स को लेकर लोगों के बीच कई मिथ हैं। इन मिथ्‍स के पीछे कुछ सच्‍चाइयां भी छुपी हुई हैं। तो चलिए जानते हैं कि किसी‍ मिथ के पीछे क्‍या सच्‍चाई है। 
Her Zindagi Editorial
Updated:- 2019-01-23, 18:59 IST

सोना स्‍वास्‍थ के लिए कितना जरूरी यह बात लगभग सभी को पता है। मगर लोगों में स्‍लीपिंग हैबिट्स को लेकर काफी मिथ हैं। आज हम इन्‍हीं मिथ्‍स और उनसे जुड़ी सच्‍चाइयों पर बात करेंगे। 

मिथ: आठ घंटे जरूर सोना चाहिए 

सच्‍चाई: एक रिसर्च के मुताबिक हर व्‍यक्ति की नींद से जुड़ी जरूरतें अलग-अलग होती हैं। किसी को 6 घंटे की नींद लेकर ताजगी महसूस हो जाती है तो किसी को 9 घंटे सोने के बाद भी नींद आती है। अगर किसी को 5 घंटे से भी कम नींद आती है, तब हेल्‍थ इशू हो सकते हैं। ऐसी महिलाएं डिप्रेशन और स्‍ट्रेश की शिकार होती हैं वहीं जिन महिलाओं को 9 घंटे से ज्‍यादा नींद आती है उनको मेटाबोलिक सिंड्रोम होता है। 

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मिथ: एलकोहॉल लेने से अच्‍छी नींद आती है

सच्‍चाई: सोने के 3 घंटे पहले अगर एलकोहॉल लेना है तो ली जा सकती है मगर सोने से ठीक पहले लेने से आपको रात भर ठीक से नींद नहीं आएगी। बीच-बीच में आपकी नींद टूटेगी भी। 

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मिथ: नींद में चलने वाले को उठाना नहीं चाहिए

सच्‍चाई: नींद में चलने वाले व्‍यक्ति को नींद में चलने से रोकना चाहिए क्‍योंकि नींद में चलने के दौरान वह खुद को चोट भी पहुंचा सकता है। 

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मिथ: उम्र बढ़ने के साथ-साथ नींद की ज्‍यादा जरूरत नहीं होती 

सच्‍चाई: जैसे जैसे हम बड़े होते जाते हैं हमारी नींद लेने का समय कम होता जाता है। ऐसा इसलिए नहीं क्‍योंकि हमें नींद कम लेनी चाहिए बल्कि एक रिसर्च के मुताबिक उम्र बढ़ने के साथ ही हमारे ब्रेन में कई चेंजेस होते हैं, जिनकी वजह से हमारी नींद कम हो जाती है। 

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मिथ: दोपहर में नहीं सोना चाहिए 

सच्‍चाई: लोगों का मानना है कि दिन में सोने से रात में अच्छी नींद नहीं आती मगर रिसर्च कहती हैं कि सोने का कोई वक्‍त नहीं होता यह अमेरिकन कलचर है कि रात में सोना जरूरी होता है। कई देशों में सोने को लेकर अलग –अलग कलचर फॉलो किया जाता है। भारत में कई लोग दिन में भी सोते हैं और इसमें कोई बुराई नहीं है। 

 

मिथ: गहरी नींद में सोने पर ही सपने आते हैं। 

सच्‍चाई: विज्ञान के मुताबिक सपने नींद की हर स्‍टेज में आ सकते हैं। स्‍लीप साइंस के मुताबिक नींद की स्‍लो वेव्‍स मेमोरी को बूस्‍ट करती है और तब ही हमें सपने आते हैं। 

 

 

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