बच्चे का जन्म किसी भी कपल के लिए जिंदगी की सबसे बड़ी खुशियों में से एक होता है। नवजात शिशुओं को अधिक देखभाल की जरूरत होती है। इस समय पर पेरेंट्स बच्चे की हर छोटी-छोटी हरकत को समझने की कोशिश करते हैं। यह समय पेरेंट्स के लिए भी काफी चैलेंजिंग होता है और इस समय पर काफी ऐसी चीजें भी होती हैं, जिन्हें लेकर अक्सर पेरेंट्स चिंतित हो जाते हैं पर असल में वो नॉर्मल होती हैं। वहीं, कुछ चीजों पर तुरंत ध्यान देने की जरूरत होती है। ऐसी ही एक सिचुएशन है, नवजात शिशुओं में होने वाले दौरे यानी सीजर्स, जिस पर तुरंत ध्यान देना चाहिए। इस लक्षणों की समझ अगर वक्त पर आ जाए, तो मेडिकल हेल्प मिलने में भी आसानी होती है। नवजात शिशुओं और छोटे बच्चों में दौरे के लक्षण और इन्हें मैनेज करने के टिप्स के बारे में एक्सपर्ट से जानते हैं। यह जानकारी, डॉ. प्राद्न्या गाडगिल दे रही हैं। वह, पीडियाट्रिक न्यूरोलॉजी एवं कॉम्प्लेक्स एपिलेप्सी, नारायणा हेल्थ एसआरसीसी चिल्ड्रेन्स हॉस्पिटल में सीनियर कंसल्टेंट हैं।
नवजात शिशुओं में दौरे कई बार पहले महीने में देखने को मिलते हैं। दरअसल, यह ब्रेन में हो रही अबनॉर्मल इलेक्ट्रिकल एक्टिविटी के कारण होता है। इसकी वजह से कपकपी आ सकती है और बच्चों के दिमाग के विकास में भी मुश्किल होती है। नवजात बच्चे में दौरा दिखने में आंशिक या पूरे शरीर में होने वाले झटके से अलग होता है, जैसा ज्यादातर बड़े बच्चों या वयस्कों में देखने को मिलता है।
शिशुओं में दौरे को पहचानना, कई बार डॉक्टरों के लिए भी मुश्किल होता है। कई बार बच्चों का अचानक से पैरों से साइकिल चलाने जैसी हरकतें, बार-बार मुंह हिलाना जैसे बच्चा कुछ चूस या बचा रहा हो या अचानक से घूरने लगना, नींद के दौरान झटके महसूस होना। कई हार इन लक्षणों को पहचानना मुश्किल हो जाता है। कई स्थितियों में बच्चों का शरीर अकड़ जाता है, नीला पड़ जाता है या चेहरे और शरीर के किसी हिस्से में झटके लगते हैं।
नवजात शिशुओ में दौरे, चाहे जिस किसी भी कारण से हो, ये मस्तिष्क की एक गंभीर समस्या का संकेत होते हैं और इन पर तुरंत ध्यान देने की जरूरत होती है। इसके अतिरिक्त, दौरे के पीछे के कारण इस खतरे को और बढ़ा देते हैं। इन कारणों का पता लगाकर ही इलाज की शुरुआत की जाती सकती है। डॉक्टर बच्चे की स्थिति के अनुसार, रक्त परीक्षण, ब्रेन स्कैन, सीएसएफ अध्ययन, संक्रमण के लिए जांच और ईईजी की सलाह दे सकते हैं।
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नवजात शिशुओं में दौरे का इलाज आमतौर पर एंटी-सीजर दवाओं से किया जाता है। इन उपचारों का लक्ष्य, दौरे को नियंत्रित करना और मस्तिष्क में चोट की संभावना को कम करना होता है। कई मामलों में ये दौरे, विटामिन की कमी के कारण भी हो सकते हैं। ऐसे में विटामिन की खुराक भी दी जाती है।
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नवजात शिशुओं और बच्चों में अगर आपको ऐसे कोई भी लक्षण नजर आते हैं, तो इन पर तुरंत ध्यान दें। अगर आपको स्वास्थ्य से जुड़ी कोई समस्या है, तो हमें आर्टिकल के ऊपर दिए गए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम अपने आर्टिकल्स के जरिए आपकी समस्या को हल करने की कोशिश करेंगे।
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