एंग्जायटी चिंता का एक रूप है जो आजकल के तनावपूर्ण जीवन का हिस्सा बन चुकी है। जब व्यक्ति बहुत ज्यादा किसी चीज के बारे में सोचने लगता है तो उसे एंग्जायटी होती है यह न सिर्फ आपके मेंटल हेल्थ को प्रभावित करती हैं बल्कि आपके शारीरिक स्वास्थ्य पर भी खराब असर पड़ता है। आजकल कम उम्र के लोग भी एंग्जायटी से जूझ रहे हैं। अगर आप भी उन्हीं में से हैं तो लाइफस्टाइल में कुछ खास बदलाव करके इसे नियंत्रित कर सकते हैं। हम आपके यहां एक्सपर्ट के बताएं कुछ लाइफस्टाइल चेंजेस के बारे में जानकारी दे रहे हैं जो एंग्जायटी से निपटने में आपकी मदद कर सकते हैं। चलिए जानते हैं इस बारे में हेल्थ एक्सपर्ट लवनीत बत्रा जी से
एंग्जायटी से डील करने के टिप्स
- एक्सपर्ट बताती है कि विटामिन डी का लो लेवल कई तरह की मानसिक बीमारियां जैसे डिप्रेशन, एंग्जायटी, सिक्सोफ्रेनिया का कारण बनता है। ऐसे में आप विटामिन डी की सही मात्रा का सेवन जरूर करें। कम से कम 10 मिनट हर रोज से सूरज की रोशनी लें। साथ ही विटामिन डी सप्लीमेंट्स का सेवन करें।
- इसके अलावा आप ओमेगा 3 फैटी एसिड युक्त खाद्य पदार्थों को डाइट में शामिल कर सकते हैं। एक्सपर्ट बताती हैं कि ओमेगा 3 फैटी एसिड का सेवन एंग्जायटी को 20 फीसदी तक कम कर सकता है। यह मस्तिष्क को शांत करने और तनाव को कम करने में मदद करता है।
- आर्टिफिशियल स्वीटनर का जरूरत से ज्यादा सेवनएंग्जायटी को बढ़ा सकता है। यह मस्तिष्क की केमिस्ट्री को प्रभावित करता है। आर्टिफिशियल स्वीटनर की जगह पर आप नेचुरल मिठास जैसे शहद,गुड का इस्तेमाल कर सकते हैं।
- इसके अलावा आप डीप ब्रीदिंग एक्सरसाइज को रूटीन में जरूर शामिल करें, गहरी सांस लेने से शरीर में ऑक्सीजन का स्तर बढ़ता है जिससे मस्तिष्क को शांति मिलती है यह मानसिक स्थिति को सुधारने का बेहतरीन तरीका है।
- नींद की कमी से एंग्जायटी और तनाव की समस्या बढ़ जाती है, इसलिए कोशिश करें कि आप हर रोज 7 से 8 घंटे की नींद लें। सोने और जागने का सही समय बनाएं।
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- इसके अलावा कुछ लोग खाने-पीने में काफी लापरवाही करते हैं। इस वक्त का खाना उस वक्त में खाते हैं, अनियमित खान की आदतें आपकी मानसिक स्थिति को और खराब कर सकती है।
- रोजाना कुछ देर ही सही, लेकिन व्यायाम करें। इससे शरीर में एंडोर्फिन रिलीज होता है जो आपको खुशी और शांति का एहसास दिलाता है।
- अल्कोहल का अत्यधिक सेवन करने से बचें, क्योंकि यह मस्तिष्क में केमिकल इंबैलेंस को प्रभावित करता है, इससे भी मानसिक स्थिति बिगड़ सकती है।
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