फैमिली प्लानिंग और मां बनने के लिए सही वक्त का चुनाव किसी भी महिला का अपना निजी फैसला होता है, लेकिन अगर सेहत के लिहाज देखा जाए तो लेट प्रेग्नेंसी की कुछ दुश्वारियां भी होती है। इस आर्टिकल में हम इसी बारे में बात कर रहे है कि अधिक उम्र में मां बनने से किस तरह की स्वास्थ्य समस्याएं पेश आ सकती हैं और उनसे बचने के लिए क्या सावधानी बरती जा सकती है।
दरअसल, इस बारे में हमने लखनऊ की गाइनोकॉलजिस्ट डॉ. संगीता सिंह से बात की और उनसे मिली जानकारी यहां आपके साथ शेयर कर रहे हैं। डॉ. संगीता सिंह बताती हैं कि महिलाओं के लिए 20 से लेकर 30 साल तक की उम्र प्रेग्नेंसी के लिए उपयुक्त मानी जाती है, क्योंकि इस दौरान प्रजनन अंग और प्रेग्नेंसी के लिए जरूरी हार्मोन सही ढंग से काम करते हैं। लेकिन इसके बाद जैसे-जैसे उम्र बढ़ती जाती है, वैसे ही प्रजनन क्षमता भी प्रभावित होती है।
मिसकैरिज और प्रीमैच्योर डिलीवरी का खतरा
हमारी हेल्थ एक्सपर्ट डॉ. संगीता सिंह बताती हैं कि बढ़ती उम्र में जहां गर्भधारण में कठिनाई पेश आती है, वहीं गर्भधारण करने के बाद प्रेग्नेंसी के दौरान भी कई सारी स्वास्थ्य समस्याएं पेश आती हैं। जैसे कि अधिक उम्र में प्रेग्नेंसी में मिसकैरिज का खतरा बना रहता है, तो वहीं इसके चलते प्रीमैच्योर डिलीवरी की संभावना भी बढ़ जाती है।
बन सकती है ‘प्लेसेंटा प्रिविया' की स्थिति
इसके अलावा लेट प्रेग्नेंसी में ‘प्लेसेंटा प्रिविया' का खतरा भी काफी हद तक बढ़ जाता है। बात करें ‘प्लेसेंटा प्रिविया' की तो इस स्थिति में प्रेग्नेंसी के आखिरी दिनों में प्लेसेंटा गर्भाशय ग्रीवा के मुख को ढ़क देता है और इसके कारण भारी ब्लीडिंग की समस्या होने लगती है। ऐसी स्थिति में मां और गर्भ में पल रहे बच्चे दोनों की जान को खतरा होता है, जिससे बचने के लिए सी-सेक्शन के जरिए डिलीवरी कराना जरूरी हो जाता है।
होने वाले बच्चे पर भी पड़ता है इसका नकारात्मक प्रभाव
लेट प्रेग्नेंसी का बच्चे की सेहत पर भी काफी हद तक प्रभाव पड़ता है। हमारी हेल्थ एक्सपर्ट बताती हैं कि अध्ययन बताते हैं कि अधिक उम्र में गर्भधारण करने वाली महिलाओं में डाउन सिंड्रोम से ग्रसित बच्चे होने की संभावना बढ़ जाती है।
लेट प्रेग्नेंसी की मुश्किलें कम कर सकती हैं ये सावधानियां
जाहिर है कि लेट प्रेग्नेंसी के चलते कई सारी मुश्किलें पेश आ सकती हैं, लेकिन इसकी वजह से मातृत्व सुख से वंचित नहीं रहा जा सकता है। हां, आपको कुछ सावधानियों का जरूर ध्यान रखना चाहिए ताकि किसी भी तरह की गंभीर समस्याओं का खतरा कम किया जा सके। चलिए इन सावधानियों के बारे में जान लेते हैं।
- प्रेग्नेंसी के दौरान रेगुलर चेकअप कराते रहें ताकि किसी भी तरह की गंभीर स्थिति की सही समय पर पहचान हो सके और उचित इलाज हो सके।
- बढ़ती उम्र में महिलालाओं में फाइब्रॉएड ट्यूमर और सिस्ट की समस्या आम हो जाती है। ऐसे में अगर अधिक उम्र में मां बनने की प्लानिंग कर रही हैं या प्रेग्नेंट हैं तो आपको फाइब्रॉएड ट्यूमर और सिस्ट जैसी समस्याओं की पहचान करने के लिए अल्ट्रासाउंड जरूर करा लेनी चाहिए।
- अधिक उम्र बनने वाली महिलाओं को अपने आहार का भी विशेष ध्यान रखना चाहिए। इसके लिए आप किसी न्यूट्रिशनिस्ट की सलाह ले सकती हैं और अपने लिए एक हेल्दी डाइट प्लान तैयार कर सकती हैं।
- वहीं एक उम्र के बाद महिलाओं में हार्मोनल असंतुलन भी काफी हद तक बढ़ जाता है, ऐसे में प्रेग्नेंसी के दौरान थकान और कमजोरी की समस्या बढ़ सकती है। इससे बचने के लिए जरूरी है कि हार्मोनल असंतुलन का उचित इलाज किया जाए।
- इन सब बातों के साथ ही प्रेग्नेंसी की मुश्किलों और शारीरिक समस्याओं का सामना करने के लिए मानसिक संबल की सबसे अधिक जरूरत पड़ती है। ऐसे में जीवनसाथी का सहयोग आपके लिए काफी मददगार हो सकता है। इसलिए पार्टनर के साथ अपनी सभी समस्याओं पर खुलकर बात करें और किसी भी तरह की मदद लेने से संकोच न करें।
- जितना संभव हो तनाव मुक्त रहने की कोशिश करें, क्योंकि आप मानसिक रूप से जितना बेहतर महसूस करेंगी, वो आपके और आपके होने वाले बच्चे दोनों की सेहत के लिए लाभकारी होगा।

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