क्‍या आप जानती हैं मैटर्निटी और सैनिटरी पैड में अंतर ?

अगर आपको मैटर्निटी और सैनिटरी पैड्स में फर्क नहीं पता तो एक बार यह आर्टिकल जरूर पढ़ें। 

Difference between maternity and sanitary pads

महिलाओं को हर महीने पीरियड्स के दर्द से गुजरना पड़ता है। दर्द के साथ ब्‍लीडिंग की तकलीफ उन्‍हें सहनी होती है। मगर जब महिलाएं बच्‍चे को जन्‍म देती हैं तब उनकी यूट्रेस से बहुत ज्‍यादा मात्रा में ब्‍लीडिंग होती है और यह ब्‍लीडिंग डिलीवरी के बाद 2 से छह सप्‍ताह तक होती रहती है।

वैज्ञानिक भाषा में इस ब्‍लीडिंगको लोचिया कहा जाता है। डिलीवरी की वजह से वेजाइना का साइज भी बड़ा हो जाता है, इसलिए यह ब्‍लीडिंग और भी तेज होती है। ऐसे में साधारण सैनिटरी नैपकिन्‍स मददगार साबित नहीं होते हैं। ज्‍यादा ब्‍लीडिंग होने से इंफेक्‍शन होने का खतरा भी बढ़ जाता है ऐसे में सही रख-रखाव इस वक्‍त बहुत जरूरी होता है। इस लिए डॉक्‍टर सैनिटरी पैड की जगह मैटर्निटी पैड यूज करने की सलाह देते हैं।

Difference between maternity and sanitary pads

दोनों में क्‍या होता है अंतर

प्रेगनेंसी के समय जब बच्‍चा पेट में होता है तो शरीर को ज्‍यादा खून की जरूरत होती है और इसलिए ब्‍लड का वॉल्‍यूम 30 से 50 फी‍सदी बढ़ जाता है। जब बच्‍चे का जन्‍म होता है तो उसके बाद अतिरिक्‍त ब्‍लड शरीर से वेजाइना के द्वारा निकलता है। इस वक्‍त ब्‍लड का बहाव बहुत तेज होता है और साधारण सैनिटरी पैड्स इस वक्‍त ब्‍लड के हैवी फ्लो को रोक नहीं बाते हैं। ऐसे में मैटर्निटी पैड्स की जरूरत होती है। यह पैड्स सैनिटरी पैड्स की तुलना में बहुत बड़े होते हैं। अधिक ब्‍लीडिंग होने पर यह फ्लो को आसानी से सोख लेते हैं।

Difference between maternity and sanitary pads

बेहद आरामदायक होते हैं मैटर्निटी पैड्स

प्रेगनेंसी के वक्‍त वेजाइना में स्टिचेस आते हैं। हैवी फ्लो को रोकने के लिए ऐसे में अगर साधारण सैनिटरी पैड का यूज किया जाता है तो इससे स्टिचेस में तकलीफ होने का डर रहता है। क्‍योंकि साधारण सैनिटरी पैड्स में जो मटीरियल यूज होता है वह हार्ड होता है। वहीं मैटर्निटी पैड्सस में सॉफ्ट मटीरियल यूज होता है। यह साधारण सैनिटरी नैपकिन के मुकाबले मोटे भी होते हैं और कम्‍फर्टेबल भी।

कितने पैड करें यूज

डिलिवरी के बाद कई महिलाओं को बहुत ज्‍यादा ब्‍लीडिंग होती है तो कई महिलाओं को बहुत कम इसलिए शुरुआत में 2-3 मैटर्निटी पैड्स का इस्‍तेमाल होता है। मगर कुछ दिनों बाद 1 पैड से भी काम चल जाता है। डिलीवरी के बाद हर महिला को कम से कम 2 पैकेट अपने पास जरूर रखने चाहिए। और शुरुआती दिनों में कम से कम 3 बार पैड जरूर बदलना चाहिए।

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