किसी नए शहर में आना और अपने सपनों को जीना बहुत ही अलग अहसास होता है। कभी तो आपको डर लग रहा होता है और कभी खुशी के कारण दिल जोर-जोर से धड़क रहा होता है। कुछ ऐसा ही अहसास हुआ जब मैं अपना शहर छोड़कर नए शहर में नौकरी के लिए आई। मेरा नाम है सुमन पांचाल और मैं आज आपसे अपने एक एक्सपीरियंस को शेयर करने जा रही हूं। मैं पेशे से HR हूं और हमेशा से ही मुझे घर पर रहने की आदत थी। मैं उनमें से हूं जो घूमने के प्लान तो काफी बना लेती थी, लेकिन किसी ना किसी वहज से वो पूरे नहीं हो पाते थे।
घूमने के नाम पर मैं परिवार वालों के साथ तीर्थ स्थान तो कई घूमी हूं, लेकिन फिर भी कहीं ना कहीं कुछ कमी हमेशा रही है। मैंने पढ़ाई से लेकर नौकरी तक सब कुछ भोपाल में ही की और परिवार के साथ रहते हुए कभी दूर जाने का मन ही नहीं किया, लेकिन मेरी जिदंगी तब बदली जब मैंने इंदौर में एक नौकरी ज्वाइन कर ली। जिंदगी में जिसने घर वालों के बिना घूमना ना सीखा हो उसके लिए नया शहर और नया एक्सपीरियंस बहुत ही डरावना भी हो सकता है और अच्छा भी हो सकता है।
नए शहर में जाने से पहले डर लग रहा था कि अगर रहने को सही जगह ना मिली तो क्या होगा, अगर नया शहर पसंद नहीं आया तो क्या होगा, अगर मुझे ठीक से नौकरी करना नहीं आया तो घर वालों से क्या कहूंगी, लेकिन मन में सिर्फ एस आशा थी कि जो भी हो बस मैं खुद को साबित करके ही रहूंगी।
नए शहर में जाने से पहले मैंने बनाई थी एक चेक लिस्ट
हर शहर की अपनी अलग कहानी होती है और ऐसे में अगर मैं अपने शहर को छोड़कर किसी नए में जा रही हूं तो टू-डू-लिस्ट बनाना सबसे पहला काम था। मैंने अपनी लिस्ट में बहुत कुछ रखा था जैसे
- सुरक्षित स्थानों के बारे में पता करना
- बजट से बाहर रहने की जगह नहीं देखना
- सभी पब्लिक ट्रांसपोर्ट रूट्स के बारे में जान लेना
- कुछ टूरिस्ट स्पॉट और फूड प्लेसेस की लिस्ट बनाना
- नए रास्ते एक्सप्लोर करना
- उस शहर से जुड़े एप्स अपने फोन में डालना .... वगैराह-वगैराह
अपनी लिस्ट के हिसाब से मैं काम तो करने लगी, लेकिन ये भूल गई कि नया शहर और जिंदगी आपकी लिस्ट की मोहताज नहीं होती है। रहने के लिए जो भी पीजी मेरे बजट में थे वो सुरक्षित नहीं लग रहे थे और यकीन मानिए किसी नए शहर में अपने लिए एक बरेसा ढूंढने से ज्यादा मुश्किल और कुछ नहीं होता। आपकी लिस्ट के हिसाब से ऑफिस के पास, बजट में जो भी ऑप्शन मिलते हैं उनमें से कोई चुनना आसान नहीं होता।
किसी में खाने-पीने की व्यवस्था ठीक नहीं थी तो किसी में दीवार की सीलन ने परेशान कर रखा था, एक कमरे में तो गेट बंद करने के लिए कुंडी ही नहीं थी। अब जरा सोचिए मुझे कितना डर लगा होगा। मुझे पहले कुछ दिन ऐसा लगा कि मैं वापस चली जाऊं, ये शहर मेरे लिए है ही नहीं पर वापस जाने के लिए थोड़ी ना आई थी मैं।
बहुत कोशिशों के बाद एक ढंग का ठिकाना मिला तो नए ऑफिस और नई नौकरी ने परेशान कर दिया। शुरुआती दिन से इतनी रिस्पॉन्सिबिलिटी दे दी गई और सीखने का समय नहीं। पर यही तो शायद होती है दुनिया, मैंने अपनी रिस्पॉन्सिबिलिटी पूरी शिद्दत से निभाई और मुझे ये ऑफिस और टीम रास आने लगी।
धीरे-धीरे इंदौर एक सपनो का शहर लगने लगा। ऐसा नहीं है कि मुझे किसी भी कारण से भोपाल कम पसंद है, लेकिन इंदौन ने मेरे सपनों को उड़ान दी है।
इन टूरिस्ट स्पॉट्स ने की मेरी मदद
मुझे हमेशा से ही घूमने का बहुत शौक था और इंदौर जाकर शुरुआत में बहुत अकेलापन लगता था। ऐसे में टूरिस्ट स्पॉट्स ने ही मेरी मदद की।
- रजवाड़ा
- पातालपानी
- लालबाग पैलेस
- चौकी ढाणी
तो शहर के पास हैं, लेकिन इस शहर के पास मौजूद ये स्पॉट्स भी बहुत अच्छे हैं।
- मांडू
- महेश्वर घाट
- ओंकारेश्वर
- उज्जैन
- जनपाव हिल
- लोटस लेक

मैं अब भी फ्री होने पर जी भरकर घूमती हूं और अपनी सभी ख्वाहिशों को पूरा करती हूं। हर लड़की के लिए किसी नए शहर में जाकर अपनी लाइफ को नए सिरे से शुरू करना आसान नहीं होता, लेकिन मेरी उन्हें यही सलाह है कि आप खुदपर भरोसा रखें। शुरुआती समय थोड़ा मुश्किल होता है, लेकिन बाद में सब कुछ बहुत ही आसान लगने लगता है।
लेखक - सुमन पांचाल
(सुमन इंदौर की एक कंपनी में सीनियर HR पद पर हैं। उन्हें 8 साल का एक्सपीरियंस है और वो इसके पहले भोपाल शहर में ही अलग-अलग कंपनियों में काम कर चुकी हैं। उन्हें घूमने के साथ-साथ खाना बनाने का बहुत शौक है)
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