
हिन्दू धर्म में देवी-देवताओं को प्रसन्न करने का सबसे सरल मार्ग है भक्ति। भक्ति से व्यक्ति न सिर्फ भगवान से मनोवांछित वरदान प्राप्त कर सकता है बल्कि स्वयं भगवान को भी पा सकता है। यूं तो भगवान की भक्ति के कई मार्ग हैं लेकिन सबसे प्रिय माना जाता है संगीत। हमारे <strong>एक्सपर्ट ज्योतिषाचार्य डॉ राधाकांत वत्स</strong> द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार शास्त्रों, ग्रंथों और पुराणों में भी इस बात का उल्लेख मिलता है कि भगवान को संगीत अति प्रिय है और जो भी कोई व्यक्ति संगीत के माध्यम से उनकी उपासना करता है उससे भगवान जल्दी प्रसन्न भी हो जाते हैं और उस व्यक्ति के सभी कष्ट भी हर लेते हैं। ऐसे में आज हम आपको उन 4 देवी-देविताओं के बारे में बताने जा रहे हैं जिनके प्रिय वाद्य बजाने या उन वाद्यों की ध्वनि रेडियो, यूट्यूब आदि के जरिये सुनने से व्यक्ति और उसके पूरे परिवार पर असीम कृपा बरसती है और उस घर से दुख-दर्द सदैव के लिए दूर हो जाता है।


श्री कृष्ण को बांस से बनी बांसुरी अति प्रिय है और यह श्री कृष्ण का वाद्य यंत्र भी है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अगर रोजाना मुरली बजाई जाए या रोजाना मुरली की ध्वनि सुनी जाए तो इससे नकारात्मक ऊर्जा (नकारात्मक ऊर्जा हटाने के उपाय) नष्ट होती है।

रोजाना नियमित रूप से अगर सुबह-शाम घर में मुरली की ध्वनि बजाई जाए तो इससे क्लेश उत्पन्न करने वाले दोषों का नाश होता है और घर में शांति स्थापित होती है एवं श्री कृष्ण के साथ-साथ राधा रानी का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है।

माता सरस्वती का वाद्य यंत्र वीणा है। आयुर्वेद में मौजूद मंत्र और संगीत चिकित्सा के मुताबिक, वीणा की ध्वनि में स्थित ऊर्जा खाट पर पड़े व्यक्ति को भी पैरों पर खड़ा कर सकती है। ऐसे में रोजाना वीणा बजाने या सुनने से व्यक्ति को रोगों से छुटकारा मिल सकता है।
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रोजाना वीणा बजाने या सुनने से व्यक्ति को माता सरस्वती का आशीर्वाद भी प्राप्त होता और व्यक्ति में ज्ञान, तीव्र बुद्धि एवं धैर्य जैसे सद्गुणों का संचार होता है।

भगवान शिव जिन्हें नटराज भी कहा जाता है उनका संगीत से संबंध होना तो स्वाभाविक है। भगवान शिव (भगवान शिव का पाठ) का वाद्य यंत्र डमरू उन्हें अति प्रिय है। डमरू की ताल पर तो स्वयं महादेव भी थिरकते हैं। ऐसे में अगर रोजाना डमरू बजाया जाए या इसकी ध्वनि को सुना जाए तो शिव जी शीघ्र प्रसन्न हो भक्तों पर कृपा बरसाते हैं।

ज्योतिष और धर्म शास्त्रों के अनुसार, डमरू से निकलने वाली तरंगे वातावरण में स्थित समस्त नकारात्मकता के साथ-साथ व्यक्ति के भीतर मौजूद अवगुणों को नष्ट कर देती हैं। व्यक्ति के मन के विकार डमरू की ध्वनि से खत्म हो जातें हैं।
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इस संसार में एकतारा संगीत वाद्य की नारद जी ने ही की थी और तभी से एकतारा देवर्षि नारद का प्रिय वाद्य यंत्र बन गया। भगवान विष्णु की भक्ति भी देवर्षि नारद इसी इकतारे को बजा-बजाकर और इसकी धुन से अपने सुरों की लय मिलाते हुए करते हैं।

ऐसा माना जाता है कि इकतारे को बजाने या सुनने से कई लाभ मिलते हैं जिनमें भगवत भजन, सकारात्मक सोच, समाज में मान-सम्मान, धन-धान्य से भरा घर, जीवन में सफलता और भगवान विष्णु एवं माता लक्ष्मी की असीमा कृपा शामिल है।
तो ये थे वो वाद्य यंत्र जिनकी ध्वनि सुनने से देवी-देवता प्रसन्न होकर भरपूर आशीर्वाद देती हैं। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर जरूर शेयर करें और इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ। आपका इस बारे में क्या ख्याल है? हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।
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