
हम फिल्मों में कई किरदारों को रीजनल भाषाओं में बोलते देखते हैं। यह बहुत ही आकर्षक लगता है और कई बार इसके कारण हमारी डिक्शनरी में कुछ शब्द भी ऐड हो जाते हैं। बिहारी शब्दों को अधिकतर स्लैंग के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। आपको शायद याद होगा जब संसद में लालू यादव 'बुड़बक' बोला करते थे, तब यह शब्द उनकी पहचान बन गया था। बिहारी भाषा में ऐसे कई शब्द हैं जिन्हें अब स्लैंग के तौर पर इस्तेमाल किया जाने लगा है। आम बोलचाल की भाषा में इनका चर्चा काफी ज्यादा है। तो चलिए आज हम आपको भी कुछ ऐसे ही शब्दों के बारे में बताते हैं जो आपकी डिक्शनरी का हिस्सा भी बन सकते हैं और जिन्हें आप रोजाना यूज भी कर सकती हैं। दोस्तों के साथ बात करते समय हंसी-मजाक में ये सभी शब्द बहुत काम आ सकते हैं।


यह शब्द बुड़बक का पर्यायवाची ही है। इसका इस्तेमाल मैथिली भाषा में किया जाता है। इसका अर्थ होता है ऐसा मूर्ख व्यक्ति जिससे कोई उम्मीद ही ना की जा सके।

अगर कोई चीज अचानक होती है तो उसे एकबायग कहा जाएगा। जैसे- "एकबायग ही भूकंप आ गया।" किसी भी कृत्य को अगर अचानक किया जाए, तो उसके लिए एकबायग इस्तेमाल होगा।
वैसे इनमें से किन शब्दों के अर्थ आपको पहले से पता थे? अगर आप भी किसी और शब्द का अर्थ जानना चाहें, तो हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।

एक होता है लड़ाकू सांड और एक होता है मरतरिया। यह एक ऐसा शब्द है जो उस इंसान की परिभाषा बन सकता है जिसे लड़ने का शौक हो। अगर कोई मरतरिया है, तो उसे बिना बात के लड़ने की कला अच्छे से आती होगी।
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बिहारी स्लैंग में बेइज्जती करने के लिए बहुत से शब्दों का इस्तेमाल किया जाता है। इसी में से एक है मौग। इस शब्द का अर्थ है डरपोंक। ऐसा व्यक्ति जो रिस्क लेने से भी डर जाए और भूत, प्रेत, पिशाच से भी डर जाए वो मौग होगा।

अब उस बिहारी शब्द की बात करते हैं जिसे बहुत ही ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है। बुड़बक का मतलब है बेवकूफ। "अरे तुम बुड़बक हो क्या?" जैसे वाक्य का मतलब है कि क्या तुम बेवकूफ हो?

वैसे तो गोबर छत्ता शब्द एक खाने की चीज को दिखाता है, लेकिन इसका दूसरा मतलब भी है। गोबर छत्ता मशरूम को कहा जाता है, लेकिन स्लैंग के हिसाब से इसका अर्थ होता है बेवकूफ। ऐसा व्यक्ति जिसे बिल्कुल दिमाग ना हो वो गोबर छत्ता कहलाता है।

बिहारी बोलचाल की भाषा में एक शब्द लफुआ होता है। बड़े-बुजुर्गों के मुंह से इसे अधिकतर सुना जाता है। लफुआ का अर्थ होता है ऐसा इंसान जो आवारा हो। उसके पास इधर-उधर घूमने के अलावा और कोई काम ना हो।

"झोंटा पकड़कर मार देब", जैसे वाक्य अधिकतर लड़ाई के वक्त बोले जाते हैं। झोंटा का अर्थ है बाल। झोंटा पकड़कर मारने का मतलब है बाल पकड़ कर मारना। झोंटा शब्द का इस्तेमाल कई तरह से किया जाता है। झोंटा संवार लो, जैसे वाक्य का अर्थ होगा- अपने बाल संवार लो।

बमकना यानी गुस्से में बम जैसे फट जाना। बहुत तेज गुस्सा आने को बमकना कहा जाता है। यह शब्द भी बुड़बक की तरह ही बहुत प्रचलित शब्द है। इसे बिहारी बोलचाल की भाषा में अलग-अलग तरह से इस्तेमाल भी किया जाता है। कुछ मामलों में बमकना का मतलब चमकना या चौंक जाना भी होता है। पर इसका सबसे कॉमन मीनिंग गुस्सा करना ही है।
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यह भी बोलचाल की भाषा का एक महत्वपूर्ण शब्द है। भुइंया का मतलब होता है जमीन। कोई जमीन खरीदता है, तो उसे कहा जाएगा, "भुइंया खरीद लिए क्या?"।