Hanuman Jayanti 2023: हनुमान जी के 10 स्वरूपों के महत्व के बारे में जानें

हनुमान जयंती पर भगवान के इन स्‍वरूपों की भी करें पूजा और जानें क्‍या है उनका महत्‍व।
Anuradha Gupta

श्री बजरंगबली के भक्‍त तो पूरी दुनिया में मौजूद हैं और हर भक्‍त को हनुमान जी जन्‍मदिन का इंतजार होता है। इस बार हनुमान जयंती 6 अप्रैल के दिन पड़ रही है। हनुमान जी के जन्‍मदिन को सभी अपने-अपने अंदाज में मनाते हैं। आज हम आपको इस अवसर पर बताएंगे कि हनुमान जी के कितने स्‍वरूप होते हैं और कौन से स्‍वरूप का क्‍या महत्‍व होता है। 

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1 हनुमान जी का भक्‍त स्‍वरूप

हनुमान जी भगवान श्री राम के सबसे बड़े भक्‍त थें। वो उन्‍हें अपना आराध्‍य मानते थे और उनकी पूजा करते थें। हनुमान जी की यह भक्‍ती हमें भी यह आस्‍था रखने पर मजबूर कर देती है कि आप जिन लोगों को अपना आदर्श मानते हैं उनके प्रति आपकी भावनाएं एक भक्‍त की होनी चाहिए। 

2 हनुमान जी का सेवक स्‍वरूप

हनुमान जी में सेवा भाव कूट-कूट कर भरा हुआ था। वह भगवान श्री राम और सीता माता के सेवक भी थे। इतना ही नहीं, जब श्री राम जी का वक्‍त वैकुंठ लौटने का आया तो अपनी अयोध्‍या की जिम्‍मेदारी श्री राम अपने भक्‍त एवं सेव श्री हनुमान जी को ही सौंप गए थे। ऐसा कहा जाता है कि हनुमान जी आज भी एक सेवक के तौर पर भगवान श्री राम की अयोध्‍या की निगरानी कर रहे हैं। 

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3 हनुमान जी का वीर स्‍वरूप

हनुमान जी का वीर स्‍वरूप हम सभी ने देखा है। वह अपने बल से पूरा पहाड़ ही उठा लाए थे और अपनी सूज-बूझ से पूरी लंका में आग लगा दी थी। ऐसे में जब हम श्री हनुमान जी के वीर स्‍वरूप की कल्‍पना करते हैं या फिर उनकी पूजा करते हैं, तो इससे हमारा भय दूर होता है। 

4 सूर्यमुखी हनुमान

भगवान हनुमान का सूर्यमुखी स्‍वरूप भगवान सूर्य को समर्पित है। हनुमान जी सूर्य देव को अपना गुरु मानते हैं और इसलिए सूर्यमुखी हनुमान जी की उपासना से आपको ज्ञान, ख्‍याति और उन्‍नति की प्राप्‍ती के साथ ही सम्‍मन भी प्राप्‍त होता है और इससे आपको सूर्य के समान ऊर्जा प्राप्‍त होती है। 

5 दक्षिणमुखी हनुमान

दक्षिण की ओर जब भगवान श्री हनुमान जी मुंह होता है, तब उन्‍हें दक्षिणमुखी कहा जाता है। वैसे भगवान नृसिंह का मुख भी दक्षिणमुखी होता है। अगर आप दक्षिणमुखी हनुमान जी की पूजा करती हैं तो आपके जीवन में भय, संकट और चिंता दूर हो जाती है। 

6 उत्तरमुखी हनुमान

देवताओं की दिशा ही उत्‍तर होती है। अगर आप किसी मंगल कार्य करने जा रहे हैं, तो आपको उत्‍तर दिशा की ओर मुख किए हुए हनुमान जी की पूजा करनी चाहिए। इससे आपको ऐश्‍वर्य और प्रतिष्‍ठा की प्राप्ति होती है। 

7 पंचमुखी हनुमान जी

श्री राम और लक्ष्‍मण की रावण से युद्ध के दौरान रक्षा करने के लिए हनुमान जी ने पंचमुखी रूप धारण किया था। इस स्‍वरूप में उत्‍तर दिशा में वराह मुख, दक्षिण में दिशा में नरसिंह का मुख, पश्चिम में गरुड़ का मुख और आकाश की तरफ हयग्रीव का मुख एवं पूर्व की ओर हनुमान जी का मुख देखने को मिलता है। पंचमुखी हनुमान जी उन्‍नति की राह में आने वाली बाधाओं को दूर करते हैं। अगर आपके घर का माहौल ठीक नहीं है तो पंचमुखी हनुमान जी की पूजा करने पर सारी समस्‍याएं दूर हो जाती हैं। 

8 रुद्र हनुमान जी

यह हनुमान जी का एक ऐसा स्‍वरूप है, जिसमें उन्‍हें आप क्रोध में देखेंगे। इनकी पूजा नहीं की जाती है मगर हनुमान जी के इस रूप से आपको भय लगेगा। ऐसा तब होगा, जब आपने ज्ञानवश कोई अपराध किया होगा और आप उसके लिए पशच्‍याताप भी नहीं करना चाहते होंगे, तब आपको हनुमान जी के रुद्र रूप का सामना करना पड़ेगा 

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