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    Who Ek Raat Part 4: चरण जिंदा था या नहीं ये देखने के लिए तीनों दोस्त भागे, लेकिन अभी उन्हें एक और बड़ी मुश्किल में फंसना था... स्टेशन पर उतरने का उनका फैसला बहुत गलत साबित हुआ

    Shruti Dixit

    उस वक्त किसी की कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या हुआ। चरण के सिर से खून बह रहा था। सुशांत ने चरण के पास जाकर देखा, सांस अभी भी चल रही थी, चरण बेहोश था। अगर गलती से मालगाड़ी इसी ट्रैक से गुजरी होती, तो चरण ना बच पाता। लोगों ये ठीक वैसा ही था, जैसे समोसे वाले ने बताया था। उस रेलवे कर्मचारी की तरह चरण भी वहीं था। पर ऐसा कैसे हो सकता है? ये लोग तो शायद सिर्फ 10 मिनट के लिए अलग हुए थे। तीनों को कोई होश नहीं था... 'सब कुछ छोड़ो पहले चरण को उठाओ', रीमा ने कहा। चरण को उठाते हुए ही समझ आया कि उसके सिर पर किसी पत्थर से मारा गया है। वो पत्थर जिससे मारा गया था, वह भी वहीं मौजूद था। पर ऐसा कैसे हुआ किसी को नहीं पता।

    'मैं पुलिस को फोन करती हूं, कुछ मदद मिलेगी।' रीमा ने हड़बड़ाते हुए कहा, लेकिन फोन काम नहीं कर रहा। उस वक्त उसके फोन में नेटवर्क नहीं था। रित्विक और सुशांत ने भी देखा, लेकिन तीनों के फोन में नेटवर्क चला गया था। 'शायद चरण के फोन में हो... मैं देखता हूं' सुशांत ने डरते हुए कहा। सुशांत, रित्वित, रीमा तीनों ही अब डर चुके थे। उनका धौलपुर में उतरने का फैसला बहुत गलत था। उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि अब क्या किया जाए। चरण के फोन में भी नेटवर्क नहीं था। ऐसा कैसे हो गया कि अचानक चारों के फोन ही बंद पड़ गए।

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    ना पुलिस, ना रेलवे कर्मचारी, ना कोई और, स्टेशन पर अब कोई नहीं था, जिस जगह चरण था, वहां से प्लेटफॉर्म भी 5 मिनट की दूरी पर था। इतने में तीनों को एक ट्रेन आती हुई दिखी। 'जल्दी करो मेरी मदद करो, चरण को पटरी से हटाना है।' सुशांत ने लगभग चीखते हुए कहा। बड़ी मुश्किल से तीनों ने चरण को हटाया। रीमा बहुत डरी हुई थी, रो रही थी, लेकिन उस वक्त उसने भी हिम्मत दिखाई। रित्विक के तो जैसे पैर ही जम गए थे। समझ नहीं आ रहा था कि उनका दोस्त है या नहीं। रित्विक सोच में डूबा ही था कि ट्रेन का हॉर्न तेजी से बजा। शायद ड्राइवर ने उन्हें देख लिया था। ड्राइवर गाड़ी धीरे करने की जगह तेजी से बढ़ाता चला गया। यह अजीब था, ट्रेन अगर स्टेशन पर रुकती है, तो भी उन्हें मदद मिल सकती है, लेकिन जितनी देर में चरण को पटरी से हटाकर इन लोगों ने सांस ली, ट्रेन प्लेटफॉर्म पर चली गई।

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    सुशांत और रीमा उस ओर भागे, लेकिन ट्रेन और उनके बीच की दूरी बहुत थी। जब तक वहां पहुंच पाते, ट्रेन आगे चली गई। ये दोनों देख रहे थे कि रित्विक के चिल्लाने की आवाज आई। कोई था वहां, दूर रित्विक को वही साया दिखा था, लेकिन इस बार वह साया अकेला नहीं था। उसके साथ कोई और भी था। 'ये वही लड़का और उसकी मां की आत्मा है, अब हमें नहीं छोड़ेंगे, हम नहीं बच पाएंगे', रीमा ने रोते हुए कहा। 'चुप रहो रीमा, इस वक्त चरण को लेकर चलो प्लेटफॉर्म पर शायद हम सुरक्षित रहेंगे, बाहर से स्टेशन मास्टर को भी बुला लाएंगे। चरण को यहां नहीं छोड़ सकते।' सुशांत उस वक्त भी सूझबूझ से काम ले रहा था। तीनों ने चरण को नहीं छोड़ा, सब साथ थे इसलिए शायद वह साया वापस नहीं आ रहा था।

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    तीनों ने अपनी पूरी ताकत लगाई, चरण को उठाया और प्लेटफॉर्म की तरह तेज कदमों से चलने लगे, तभी रित्विक ने देखा कि चरण के सिर से लगातार खून बह रहा था। 'अगर हमने जल्दी कुछ नहीं किया, तो चरण मर जाएगा।' रित्विक बोला। 'उसके सिर पर कपड़ा बांधना होगा। चलो बाहर जाते हैं,'सुशांत ने कहा। किसी तरह से चरण को लेकर प्लेटफॉर्म तक पहुंचे, लेकिन तीनों बुरी तरह से थक चुके थे। रीमा अपने सामान से दुपट्टा लेने भागी जिससे चरण का सिर बांध दिया जाए, लेकिन उन चारों का सामान गायब था। सामान कहां गया, कौन उसे ले गया कुछ पता नहीं।

    अब एक ही रास्ता था, तीनों दोस्तों को चरण को उठाते हुए दूसरे प्लेटफॉर्म पर जाना था जहां से बाहर निकल कर मदद मिले। पर यह इतना आसान नहीं था। सीढ़ियों को पार करते हुए जाना था, साथ ही यह भी ध्यान रखना था कि किसी भी तरह से चरण को चोट ना लगे। अगर उसके सिर से ऐसे ही खून बहता रहा, तो उसे बचाना मुश्किल था। सुशांत ने आस-पास देखा कि कोई सामान उठाने वाली गाड़ी मिल जाए जिससे चरण को पटरियों के सहारे ही दूसरे प्लेटफॉर्म पर ले जाएं।

    रित्विक अभी भी उस साए को ढूंढ रहा था क्योंकि सिर्फ वही था जिसे वो दो बार दिख चुका था। सुशांत के दिमाग में अभी कुछ नहीं चल रहा था। उसे बस चरण को बचाना था और रीमा की हालत तो वही जानती थी। उसने मना किया था सभी को, लेकिन फिर भी सब धौलपुर उतर गए। ये एक अजीब बात थी कि चारों के फोन काम नहीं कर रहे थे और स्टेशन के आस-पास कुछ भी नहीं था। पिछले एक साल से आस-पास कोई रेढ़ी वाला भी नहीं रहता है। शाम ढलते ही सब चले जाते हैं। अभी इन चारों के पास एक ही ऑप्शन था कि किसी तरह से स्टेशन मास्टर को ढूंढकर मदद मांगी जाए। सुशांत और रित्विक गाड़ी ले आए और तीनों ने किसी तरह से हाथ से चलाने सामान उठाने वाली गाड़ी में चरण को लेटा दिया। चरण की सांसें धीमी हो चली थीं, हाथ-पैर ठंडे हो रहे थे। उसे जल्दी ही अस्पताल ले जाना था।

    तीनों गाड़ी को धक्का देते हुए एक बार फिर प्लेटफॉर्म के नीचे उतरे और कोशिश करने लगे कि जहां तक हो सके गाड़ी को धक्का देकर पटरियों से निकाल लिया जाए। अंधेरा था और उन्हें दूर सिवाए उस माल गाड़ी के डिब्बों के कुछ नहीं दिख रहा था। ये व ही मालगाड़ी थी जो रित्विक को पहले दिखी थी। तीनों धक्का दे ही रहे थे कि अचानक कहीं से एक पत्थर आया और सुशांत के कंधे पर लगा। 'आह्ह...' सुशांत ने चिल्लायाय। तभी उन्हें साया दिखा, एक, दो, तीन, चार, पांच अलग-अलग साए। अंधेरे में उनकी तरफ बढ़े चले आ रहे थे। उन्हें लगा कोई मदद के लिए आ रहा है। पर यह उनकी कल्पना ही थी।

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    'कौन है, हमें मदद चाहिए...' रीमा ने चिल्लाया। सामने से कुछ लोग आ रहे थे। उनके मुंह पर कपड़ा था और हाथ में हथियार। ये लोग मदद के लिए नहीं आ रहे थे। सबने आते ही तीनों को घेर लिया। 'इसे गलत पटरी पर डाल दिया था, अभी तक मर गया होता। ये तीनों भाग गए होते देखकर, अब इन्हें भी ठिकाने लगाना पड़ेगा।' एक नकाबपोश ने कहा। चरण को मारने वाला कोई आत्मा नहीं यही लोग थे। सुशांत पर पत्थर भी इन्होंने ही चलाया था। चरण को वहीं गाड़ी पर छोड़कर बाकी तीनों को वो लोग पकड़ कर ले गए। 'इन्हें कैसे मारना है?' एक और नकाबपोश ने पूछा।

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    रित्विक, रीमा और सुशांत को अब सब समझ आ रहा था। यहां कोई भूत नहीं था, ये लोग गुंडे थे जो किसी वजह से डर फैलाए हुए थे। वो नहीं चाहते थे कि यहां रात में कोई आए। सभी उस बगीचे की ओर चल दिए। चरण बेचारा वहीं अधमरा सा पड़ा हुआ था और उसे छोड़ दिया गया। बगीचे की ओर जाते-जाते मालगाड़ी के खुले डिब्बे पर नजर पड़ी। वहां सभी कुछ पैकेट बांध रहे थे। बगीचे के अंदर देखा, तो सबके होश उड़ गए। एक के बाद एक गांजे के पौधे, बगल में कुछ गोलियां जो शायद ड्रग्स थीं। धौलपुर स्टेशन पर शहर के बीचों इन लोगों ने भूत के डर से ड्रग्स का कारोबार चला रखा था।

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    'इन्हें एक हाई डोज इन्जेक्शन देकर, पटरी पर फेंक आओ, यहां लेकर आने का क्या मतलब है?' बगीचे में मौजूद एक आदमी ने कहा। मानो वो यहां का मालिक हो। इंजेक्शन भरे जाने लगे, रीमा को जैसे पहले से ही बेहोशी आ रही थी। रित्विक और सुशांत दोनों ही डर रहे थे। उनका हाल भी वही होगा... पटरी पर उसी जगह मिलेगी उनकी लाश।

    क्या चारों दोस्त सुरक्षित रह पाएंगे? क्या चारों अपने घर जा पाएंगे। कहीं उनका हाल भी तो वैसे ही नहीं होगा जैसा बाकी लोगों का हुआ था। चरण तो शायद अब तक बचा ही ना हो। क्या होगा इन चारों का, जानिए 'वो एक रात-अंतिम पार्ट' में।

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