अब चारों स्टेशन पर उतर गए थे। पर किसी स्टेशन पर इतना सन्नाटा शायद चारों में से किसी ने कभी नहीं देखा था। एक पल को रीमा को लगा कि वापस ट्रेन में बैठकर आगे के स्टेशन चली जाए, लेकिन ट्रेन अपने 1 मिनट के हॉल्ट के बाद खिसकने लगी। स्टेशन मास्टर और उसके साथ एक और रेलवे कर्मचारी उन लोगों को दूसरे प्लेटफॉर्म से देख रहे थे। इशारा करके उन्हें कहा कि इस तरफ आ जाओ। जिस प्लेटफॉर्म पर वो लोग थे, वहां और कोई भी मौजूद नहीं था। ऐसा सन्नाटा मानों किसी मरघट पर आ गए हों। उस वक्त हवा कुछ ज्यादा सर्द लग रही थी। लोगों का ना होना इस वक्त कुछ अजीब लग रहा था। इन चारों को इशारा करके वो रेलवे कर्मचारी आगे चले गए। मानो बस ट्रेन को विदा करने आए हों।
चारों ने अपना सामान उठाया और साथ ही रित्विक ने फोन का कैमरा ऑन कर लिया। 'और अब हम हैं धौलपुर स्टेशन में जहां रात के बाद कोई नहीं आता। यहां लोग हैं ही नहीं, आप देख रहे हैं किस तरह से सभी डरे हुए हैं। ट्रेन से सिर्फ हम ही उतरे हैं, और कोई भी नहीं। चारों ओर सन्नाटा है और इंसान तो छोड़िए कोई जानवर भी यहां नहीं दिख रहा। इस स्टेशन को भूतों का डेरा माना जाता है, लेकिन अभी हमें यहां उतरे हुए पांच मिनट होने को चले हैं और कोई भी भूत सामने नहीं आया।' रित्विक ने यूट्यूबर के अंदाज में बोलना शुरू किया। रित्विक इस वीडियो से अपने लिए कुछ व्यूज लेना चाहता था। 'ये सब बाद में करें, अभी यहां से चलते हैं। मुझे कुछ अच्छा नहीं लग रहा, प्लेटफॉर्म नंबर एक के रास्ते से बाहर चले जाते हैं।' रीमा ने झुंझलाते हुए कहा। एक तो रास्ते की थकान ऊपर से डर ने रीमा को चिड़चिड़ा बना दिया था।
तीनों दोस्तों ने एक दूसरे को देख इशारा किया और चलते बने। रित्विक और चरण अभी भी हंसी ठिठोली कर रहे थे। सामान उठाते हुए चारों ने चलना शुरू किया। 'तुम घबराओ मत रीमा, देखो हमने कहा था ना यहां कुछ भी नहीं है। मैं तो सोच रहा हूं कि वापसी के लिए ग्वालियर की ट्रेन कुछ देर में आ ही जाएगी, यहीं स्टेशन पर इंतजार कर लें।' सुशांत ने कहा, एक रात पहले से जागा हुआ सुशांत अब भागा दौड़ी नहीं करना चाहता था। रीमा के चक्कर में दोस्तों ने धौलपुर उतरने का प्लान तो बना लिया था, लेकिन सही मायने में सुशांत को लग रहा था कि थोड़ा ज्यादा हो गया। इसी के साथ, रीमा का डर भी खत्म करना था और सुशांत यह भी नहीं चाहता था कि रीमा इतनी जल्दी गेट से बाहर निकलते ही उनसे अलग हो जाए।
'रीमा अभी तक तुमने अपना नंबर हमें नहीं दिया, कम से कम सुशांत को ही दे दो.... हेहे... मतलब तुम दोनों एक ही फील्ड में हो, काम ही आएगा।' चरण ने चुटकी लेते हुए कहा। रीमा और सुशांत दोनों ने एक दूसरे को देखा और फिर नंबर शेयर करने लगे। अभी तक चारों उसी प्लेटफॉर्म में खड़े थे जहां पर वो उतरे थे। इतने में रित्विक ने अपना वीडियो बनाना फिर से शुरू कर दिया और दोस्तों से कहा कि उसे दो मिनट दे दें। 'देखिए जनाब अब हम प्लेटफॉर्म के इस बाजू से उस बाजू जाने वाले हैं और कोई भी नहीं है। हेलो मिस चुड़ैल आप कहां हैं? आपने ही सबको डरा कर रखा हुआ है, पर आप दिखने का नाम ही नहीं ले रहीं।'
'ये तो फिर शुरू हो गया। रीमा तुम अभी भी बहुत शांत हो, देखो ना हम यहां उतर गए हैं। अब तुम घर जल्दी पहुंच जाओगी। कोई दिक्कत नहीं है। तुम्हें इतना डरना नहीं चाहिए। लोगों ने कुछ बातें सुनी और उसके एवज में कोई कहानी बनाकर बस जाने दिया। अच्छा मैं तुमसे एक बात पूछना चाहता था....' सुशांत ने इतना कहते हुए एक ठहराव लिया। 'मैं सोच रहा था कि दिल्ली वापस जाते समय क्या तुम हमारे साथ चलोगी, बोलोगी तो हम भी धौलपुर आ जाएंगे। नहीं मतलब सफर साथ में कट जाएगा। फिर वहां पहुंच कर कभी कभार मिल लिया करेंगे, मतलब ऐसा नहीं कि कोई जबरदस्ती है। तुम्हारा मन नहीं तो हम नहीं मिलेंगे, मतलब वो काम एक जैसा है ना, तो दोनों ही मदद हो जाएगी। ' सुशांत बेचारा रीमा को कुछ बोलना चाह रहा था, लेकिन उसके मुंह से कुछ निकल रहा था।
'बस दोस्त, वो समझ गई है। चुप हो जा अब।' चरण ने चुटकी लेते हुए कहा। रीमा भी इतनी देर में मुस्कुरा दी। रीमा को भी सुशांत भा गया था और दोनों ने रास्ते में इतनी बातें की थीं कि अब वह अपना सा लगने लगा था। 'दिल्ली मैं अपने कजिन के साथ जा रही हूं, पर हां, दिल्ली पहुंच कर जरूर मिल सकते हैं। नंबर तो है ही तुम्हारे पास।' रीमा ने मुस्कुराते हुए कहा। चरण भी सुशांत को देखकर मुस्कुरा दिया और बोला, 'सब कुछ तो ठीक है, लेकिन सुशांत इतना शर्मा क्यों रहा है यार। मतलब रीमा केस स्टडी वगैराह में मदद कर सकती है। इसमें इतना शर्माना क्यों... क्यों रीमा सही कहा ना मैंने?' चरण ने एक ही सेंटेंस में रीमा और सुशांत को पानी-पानी कर दिया। तीनों मुस्कुरा ही रहे थे कि चरण ने कहा, 'चल यार रित्विक, इन दोनों की तो पटरी मिल गई, हम चलते हैं कहीं और...' पर रित्विक ने कोई जवाब नहीं दिया।
जब सबने पलट कर देखा, तो रित्विक नहीं था। तीनों को जैसे सांप सूंघ गया। रित्विक प्लेटफॉर्म पर था ही नहीं। दोनों दोस्तों ने आवाज लगानी शुरू कर दी थी, लेकिन रीमा के गले से तो जैसे आवाज ही नहीं निकल रही थी। कोई दूर-दूर तक दिख नहीं रहा था। 'अरे कहां मर गए स्टेशन मास्टर, हमारे दोस्त को ढूंढो कोई, रित्विक कहां चला गया यार...' चरण बहुत परेशान हो गया था। 'देखो स्टेशन पर कोई नहीं है, सामान यहां रखो और रित्विक को अलग-अलग होकर ढूंढो।' सुशांत ने कहा। 'जैसे ही वो मिले फोन कर देना, हम तुरंत स्टेशन से बाहर निकल जाएंगे।'
'मैं अकेले नहीं... ठीक है मैं उस तरफ देखती हूं।' रीमा डरी हुई थी, लेकिन ये तीनों उसकी वजह से आए थे। उसने भी रित्विक को ढूंढने की तैयारी कर ली। तीनों अलग-अलग हुए और स्टेशन पर रित्विक-रित्विक की आवाजें आने लगीं। सुशांत और चरण अंधेरे वाले रास्ते में गए और रीमा प्लेटफॉर्म के दूसरी तरफ रित्विक को देखने चली गई। तभी रीमा को पास से ही रित्विक आता हुआ दिखा। 'रित्विक... कहां चले गए थे तुम।' रीमा ने चीखते हुए कहा। 'अरे वीडियो बनाते-बनाते आगे चला गया था यार, वो पीछे की तरफ से एक पगडंडी जाती है, मुझे ऐसा लगा जैसे वहां कोई खड़ा है। कोई आदमी था। उसने मुझे देख लिया, मालगाड़ी के दो-तीन डिब्बे भी वहीं खड़े हुए हैं। तुम इतना घबराई हुई क्यों हो?' रित्विक ने रीमा से पूछा।
'कहीं जा रहे थे तो बताकर जाना था, सुशांत, चरण और मैं तुम्हें ढूंढने लगे। हमें लगा कि तुम भी बाकियों की तरह...' रीमा रो दी। रित्विक को समझ आ गया कि उसने गलती कर दी थी। 'कोई बात नहीं, अब सबको बुला लो, और चलो, बहुत देर रह लिए यहां।' रित्विक ने कहा। घड़ी ने 11.15 बजा दिए थे। अब रीमा और रित्विक तो मिल गए थे, लेकिन सुशांत और चरण अंधेरे में किस ओर निकले पता नहीं। रित्विक ने चरण को फोन लगाया और घंटी बजी, लेकिन किसी ने उठाया नहीं। 'शायद इसका फोन साइलेंट पर होगा...' रित्विक ने कहा, 'इसकी पुरानी आदत है।' रीमा ने सुशांत को फोन लगाया और सुशांत ने उठा लिया.. 'हां, रित्विक मिल गया है।
तुम लोग फौरन आ जाओ हम निकलेंगे यहां से।' रीमा की आवाज में घबराहट थी। इतने में मालगाड़ी का तेज हॉर्न बजा और वो धड़धड़ाते हुए निकल गई। ऐसा लगा जैसे कोई तूफान आ गया हो। उसके जाने के बाद एक बार फिर से सन्नाटा।
'अरे वहां प्लेटफॉर्म खत्म होने पर मैंने देखा कुछ औजार जैसे पड़े हुए थे। एक अजीब सा भुतहा घर भी है वहां। ' सुशांत ने आते हुए कहा। 'चरण कहां है?' उसने पूछा। 'हमें लगा तुम्हारे साथ होगा, उसका फोन नहीं लग रहा है।' रित्विक ने कहा। रीमा अब रोने लगी थी, उसे लग रहा था कि स्टेशन पर उतर कर सबसे बड़ी भूल कर दी है। 'वह बगीचे के पास जा रहा था, तुम्हें खोजने के लिए,' रीमा ने हिचकते हुए कहा।
'चरण उसी तरफ गया था, उसे लगा कि रित्विक वीडियो बनाता हुआ उधर गया होगा, क्योंकि रित्विक को ऐसे वीडियोज पसंद हैं।' सुशांत ने दबी हुई आवाज में कहा। 'उसी जगह के पास बाकी लोगों की लाश मिली है।' रीमा का चेहरा अब सफेद पड़ चुका था। जैसे ही उसने यह बात बोली, दोनों दोस्तों ने आव देखा ना ताव दौड़ पड़े उसी जगह।
रीमा भी पीछे-पीछे भाग रही थी। अब उस वीरान सी जगह पर चरण-चरण की आवाजें आ रही थीं। फोन की घंटी बजे जा रही थी। तभी पटरी के पास से कुछ चमकता हुआ सा दिखा। शायद चरण का फोन गिर गया था तभी तो वहां था, सुशांत और रित्विक पास जाने को हुए तो उनके पैरों तले जमीन खिसक गई, चरण वहां था।
पटरी पर, उसी तरह जैसे बाकियों की लाश मिली थी। हालांकि, मालगाड़ी दूसरी पटरी पर थी इसलिए उसका शरीर बच गया, लेकिन उसके सिर से खून बह रहा था। दौड़ते-दौड़ते रीमा आई और चिल्ला दी। चरण के सिर पर किसी ने वार किया था, जैसे किसी औजार से मारा हो। तीनों इसे देख रहे थे, लेकिन …
क्या सच मुच चरण मर चुका था? क्या वाकई उनका दोस्त उन्हें छोड़कर जा चुका था? आखिर चरण का ये हाल किसने किया? चरण जिंदा भी था या नहीं? वहां, चरण के साथ क्या हुआ और आगे इन तीनों के साथ क्या होने वाला था? पढ़िए 'वो एक रात' भाग 4 में।
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