राहुल ऊपर गया तो देखा कि सुनैना अपना सामान बांध रही थी। 'मैं अब तुम्हारे साथ एक कमरे में नहीं रह सकती, अपना सामान गेस्ट रूम में ले जा रही हूं।' सुनैना ने अपना फैसला सुनाया और जाने लगी तो राहुल ने उसका हाथ पकड़ कर उसे रोक लिया। 'रुक जाओ सुनैना,' राहुल ने कहा। 'मैं जानता नहीं कि नीचे मुझे क्या हो गया था, मैं तो बस अपने मन की बात तुमसे कई दिनों से कहना चाहता था।' राहुल ने सुनैना को समझाया, लेकिन वो सुनने को तैयार नहीं थी। 'मैंने भी कई दिनों तक तुम्हारा इंतजार किया है राहुल, कई दिनों तक तुम्हें समझने की कोशिश की। कई बार तुमसे कहा कि बात करो, लेकिन तुमने क्या किया? शादी के बाद पहली बार तुमने इतनी देर तक मुझसे बात की है, लेकिन देखो क्या किया। आज तो तुमने मेरे और समीर के रिश्ते पर भी सवाल उठा दिया। जानते ही कितना हो तुम मुझे, क्या पता है तुम्हें मेरे बारे में? एक समीर ही है इस घर में जिसने मुझे थोड़ी सी खुशी दी, लेकिन तुम ये बात नहीं समझोगे, तुम्हें तो लगता है कि हर औरत तुम्हारी गर्लफ्रेंड की तरह ही है,' सुनैना ने गुस्से में बोल दिया और राहुल एक टक उसे देखता रहा।
'मैं तुम्हारी नाराजगी समझ रहा हूं। बस एक बार मेरी बात सुन लो। सुनैना मैं नहीं जानता नीचे मुझे क्या हो गया था, तुम मुझसे दूर रह रही थीं और समीर के साथ हंस-खेल रही थीं बस उसी बात की जलन, मुझे अच्छा लगता अगर तुम मेरे साथ भी हंसती, लेकिन मैं तो तुम्हें कुछ दे ही नहीं पाया। मैंने तुम्हें दुख देने का कभी नहीं सोचा था, लेकिन खुद से ही नहीं लड़ पाया। हां, गर्लफ्रेंड थी मेरी, मुझे नहीं पता कि तुम कैसे जानती हो उसके बारे में। पर ये सच है कि मैं शुरुआत में तुम्हें भी वैसा ही समझ रहा था। इतने दिन तुम मेरे साथ थी और मुझे अच्छा लगा। मैं कोशिश करता था तुमसे बात करने की, लेकिन कभी हिम्मत नहीं जुटा पाया। मैं तुम्हें कैसे समझाऊं कि क्या चल रहा है मेरे अंदर। मुझे माफ कर दो सुनैना। आज मैं तुम्हें बताना चाहता हूं कि तुम मेरे लिए बहुत जरूरी हो। मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता किसी और से। नौकरी से भी मुझे कोई आपत्ती नहीं है, बल्कि तुम्हें तो मेरी या किसी और की परमीशन की जरूरत भी नहीं है। ये तुम्हारा फैसला है।' राहुल ने कहा और रोने लगा।
बचपन से हमारे समाज में सिखाया जाता है कि लड़के रोते नहीं हैं, लेकिन ये गलत है। अगर बचपन से ही लड़कों को भी यही सिखाया जाए कि रोने से दिक्कत नहीं। अपनी भावनाओं को बहने देना ही सही है, तो शायद लड़के अपनी पत्नियों के साथ भी सही व्यवहार कर पाएं। राहुल आज पहली बार अपने इमोशन्स खुलकर बाहर ला रहा था। सुनैना ने जब उसे रोते देखा, तो रुक गई। आज अगर राहुल से वो दूर हो जाएगी तो शायद राहुल अपनी बात कहने से हमेशा डरेगा। 'सुनैना मैं जानता हूं कि तुम मुझसे नाराज हो और होना भी चाहिए, पर मैं अपने मन की बात किसी से नहीं कह सकता था। मेरी मां को तुम पसंद आ गईं और तुमसे शादी करने के लिए उन्होंने मुझे फोर्स किया। मैं अभी शादी के लिए तैयार नहीं था और मैंने अपना सारा गुस्सा तुमपर ही निकाल दिया। मुझे कभी नहीं लगा था कि मैं ऐसी हालत में रहूंगा, मैं तुम्हें सच में अपनाना चाहता हूं, बस थोड़ा वक्त दे दो। बस यही नहीं कह पाया मैं तुमसे, मुझे माफ कर दो सुनैना, मैं तुम्हारा गुनहगार हूं।' राहुल ने रोते-रोते कहा और फिर अपना मुंह झुका लिया।
आज सुनैना ने वाकई राहुल को जाना था। सुनैना और राहुल घंटों बातें करते रहे। कभी एक रोता तो कभी दूसरा। 'चलो एक काम करते हैं, आज से हम पहले दोस्त बन जाते हैं। फिर बाद में सोचेंगे कि पति-पत्नी बनना भी है या नहीं। हम दोनों ने ही बस शादी कर ली, लेकिन अपनी जिंदगी को बेहतर बनाने की कोशिश तो कर सकते हैं ना,' सुनैना ने कहा और राहुल को थोड़ा सा आराम मिल गया। रात तो ऐसे ही निकल गई। सुबह होते-होते सुनैना का गुस्सा तो शांत हो गया था साथ ही राहुल का मन भी। सुनैना का सामान राहुल ने खुद ही गेस्ट रूम में शिफ्ट करवाया।
ये देखकर घर वालों को लग रहा था कि सुनैना और राहुल का रिश्ता और खराब हो गया है, लेकिन सच तो ये था कि उनका रिश्ता अभी और बेहतर हो गया था। 'सुनैना मेरे लिए भी आज कुछ अच्छा नाश्ता बनाओगी?' राहुल ने पूछा। मां ने देखा कि दोनों का ही चेहरा सूजा हुआ था। पर दोनों के चेहरे पर मुस्कान ही थी। दोनों ने घर वालों को अपना फैसला बताया और आखिर में राहुल ने सबसे माफी मांगी। 'मां, मेरी शादी जबरदस्ती हुई इसमें कोई शक नहीं, लेकिन सुनैना को या किसी और को इसकी गलती नहीं दी जा सकती। मैं कोशिश करूंगा कि आपकी और सुनैना दोनों की उम्मीदों पर खरा उतरूं। जब तक ऐसा है, तब तक मैं और सुनैना दोस्त बनकर इस घर में रहेंगे।' राहुल ने मां से कहा।
'और मैं? मेरा क्या होगा?' समीर ने प्यार से पूछा। 'हम तीनों दोस्तों की तरह ही रहेंगे,' राहुल ने कहा और भाई से भी माफी मांगी।
सुनैना और राहुल अपनी शादी के लिए आगे क्या फैसला लेते हैं, ये तो नहीं पता, लेकिन सुनैना अब घर की सदस्य जरूर बन गई है। हमारे समाज में लोगों को लगता है कि बहू शादी के बाद घर की मालकिन बन जाती है, बहू और सास दोनों के रिश्ते को भी ऐसे ही देखा जाता है और लड़कों को लेकर भी एक तय धारणा बना ली जाती है, लेकिन सच मानें तो बहू को पहले घर का सदस्य बनाना जरूरी होता है।
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