समीर का दिया हुआ तोहफा सुनैना को इतना पसंद आया कि एक ही दिन में उसके चेहरे पर रौनक आ गई। सुनैना इस घर के बाग में भी गुनगुनाते हुए, चहकते हुए पौधों की देखभाल कर रही थी और कुछ नए पौधे लगा रही थी। वो आज खुश लग रही थी, आज उसने सुबह उठकर राहुल की तरफ देखा भी नहीं। तैयार हुई, खुद किचन में जाकर अपना नाश्ता बनाया, सबके आने से पहले खा लिया और गार्डन में चली आई। सुनैना को महसूस हो चुका था कि इस घर को अपना घर बनाने में उसे बहुत समय लगेगा, लेकिन अगर वो कोशिश करे, तो इस घर का एक कोना तो अपने हिसाब से सजा सकती है।
राहुल सुबह उठा और उसने अपने बगल में सुनैना को नहीं देखा। अभी कुछ ही दिन हुए थे, लेकिन राहुल को आदत हो गई थी उठते ही सुनैना का चेहरा देखने की। राहुल तैयार होकर नीचे गया, नाश्ते की टेबल पर भी सिर्फ मां-पापा ही थे। एक मन आया वो सुनैना के बारे में पूछ ले, लेकिन इतने दिनों से जो व्यवहार उसने दिखाया है उसके बाद आखिर वो पूछे भी तो कैसे। 'तेरी शादी ना ही करवाई होती तो अच्छा होता, कम से कम सुनैना ही खुश रह लेती...' राहुल की मां ने उसे कहा। 'मना तो किया था शादी के लिए, आपने सुना ही नहीं... और सुनैना खुश क्यों नहीं है, इतने बड़े घर की बहू बन गई है?' राहुल ने तीखे स्वर में जवाब दिया।
'पत्नी के लिए पति का साथ भई जरूरी होता है राहुल...' पिता जी ने कहा। 'तेरी पसंद की लड़की इस घर में नहीं आ पाई, इसका अफसोस हमें भी है, लेकिन यह भी तो सोच कि उसने किसी और से शादी कर ली, वो खुश है, तू तो गया था ना उसे भगाने के लिए, गया था ना अपना घर छोड़कर, फिर भी नहीं आई वो तेरे साथ, कम से कम उसका साथ तो दे दे, जो अपना घर छोड़कर आई है तेरे लिए...' मां ने कहा। राहुल का 6 महीने पहले ही ब्रेकअप हुआ है। राहुल उस लड़की के लिए घर वालों से लड़ा, घर छोड़कर चला गया, लेकिन उस लड़की ने राहुल के साथ आने से मना कर दिया। राहुल बड़े घर का लड़का था और जब उसे पता चला कि उसने घर ही छोड़ दिया है, तो राहुल ने बिल्कुल कन्नी काट ली।
राहुल का दिल कुछ ऐसा टूटा कि वो अपने घर वापस आने को भी तैयार नहीं था। ऊपर से मां ने उसकी शादी तय कर दी। शादी के बाद राहुल सुनैना को देखता तो उसे वही लड़की दिखती थी। इसलिए राहुल उसपर भरोसा नहीं कर पा रहा था। राहुल व्यवहार का बुरा नहीं था, लेकिन वो सुनैना को अपना नहीं पा रहा था। जाने-अनजाने में राहुल और उसकी मां दोनों ही सुनैना के गुनहगार बन गए थे।
राहुल तैयार होकर बाहर जा रहा था कि उसने बाग में सुनैना और समीर को देखा। सुनैना समीर की किसी बात पर खिलखिला कर हंस रही थी। समीर के चेहरे पर भी मुस्कुराहट थी और आंखों में चमक। पता नहीं क्यों राहुल को आज उन्हें देखकर जलन होने लगी। सुनैना अपनी मस्ती में गुलाब के पौधे की छंटाई कर रही थी। अचानक उसे एक कांटा चुभा और समीर ने उसका हाथ पकड़ कर उसपर पानी डाल दिया। राहुल दूर से देखता हुआ जा रहा था और उसे ऐसा लगा कि जैसे किसी ने उसके मुंह पर तमाचा मार दिया हो।
पीछे से राहुल की मां भी आ गईं और ये देखकर उन्हें भी अच्छा नहीं लगा। समीर और सुनैना दोनों देवर भाभी की तरह नहीं दोस्तों की तरह बात कर रहे थे। राहुल मुड़ा और चला गया। दिन भर उसके दिमाग में सुनैना की शक्ल ही घूमती रही। उसका खिलखिला कर हंसना और समीर का उसका हाथ पकड़ना। राहुल जानता था कि उसके भाई के लिए सुनैना भाभी ही थी। पर जलन का क्या करे। रात को घर पहुंचा तो उसने देखा कि सुनैना हरी साड़ी में एकदम तैयार खड़ी थी। होठों पर गुलाबी सी लिपस्टिक, आंखों में काजल और कानों में सुंदर बालियां। खुले हुए बाल और हाथों में चूड़ियां। राहुल सुनैना को देखकर मन ही मन खुश हो गया। बिल्कुल वैसी ही लग रही थी सुनैना जैसे बगीचे में गुलाब खिल आया हो।
पीछे से समीर और मां दोनों आ गए। समीर उन दोनों को बाहर घुमाने ले जा रहा था। 'आ गया तू? हम थोड़ा बाहर घूमकर आते हैं, सुनैना को भी अच्छा लगेगा, खाना बनाकर रख दिया है, तुम और पापा खा लेना' राहुल की मां ने कहा तो उसे थोड़ा बुरा लगा। आज वो सोचकर आया था कि शाम को सुनैना के साथ थोड़ा वक्त बिताएगा। पर खीज के कारण मां से कुछ कह नहीं पाया। तीनों चले गए और 2 घंटे तक राहुल ऐसे ही बेचैनी से देखता रहा। आज सुबह से ही सुनैना ने उसकी तरफ देखा भी नहीं था। रोज जहां सुनैना राहुल से बात करने की जिद करती थी, आज उसकी खामोशी राहुल को परेशान कर रही थी।
तीनों के आते-आते देर रात हो गई थी। सुनैना वापस आई और कमरे में जाकर चेंज करके लेट गई। आज वो एक किताब अपने साथ लेकर आई थी। राहुल हमेशा की तरह ही अपना काम करने में लगा था। कमरे में एकदम खामोशी थी। फिर राहुल ने सुनैना से पूछ ही लिया, 'आज का दिन कैसा था तुम्हारा?' सुनैना चौंक गई कि आज अचानक राहुल उससे कैसे बात कर रहा है। पर उसके मन में शादी के तुरंत बाद वाला व्यवहार घर कर चुका था, इस बार बेरुखी दिखाने की बारी सुनैना की थी। 'अच्छा था,' सुनैना ने कहा और फिर किताब में अपना ध्यान लगा लिया। राहुल समझ गया था कि सुनैना उसके पास आने से पहले ही उससे दूर हो चुकी थी।
राहुल भी अपना सा मुंह लेकर काम में लग गया। अगली सुबह एक बार फिर राहुल के उठने से पहले ही सुनैना कमरा छोड़कर जा चुकी थी। मानो वो राहुल को देखना ही नहीं चाहती। नीचे पहुंचा तो आज कुछ अलग माजरा था। सलवार-कमीज पहने सुनैना अकेले ही अपना नाश्ता कर रही थी। राहुल और उसकी मां उसी समय टेबल पर पहुंचे तो राहुल ने बोल दिया, 'क्या सबके साथ नाश्ता करने का मन नहीं है?' सुनैना को उसकी आवाज में छुपा ताना समझ आ गया। 'बहू तुम्हारे घर में अलग नाश्ता करते होंगे, हमारे यहां सब एक साथ खाते हैं, इससे प्यार बढ़ता है' मां ने बोला ही था कि सुनैना का चेहरा एक बार फिर उतर गया।
'अब तो ये घर भी उनका अपना घर ही है ना मां...' समीर ने पीछे से आते हुए कहा। 'हर रोज किसी को यह जताया जाए कि वो अपने घर में नहीं रह रहा, तो उसे कैसा लगेगा?' समीर का सवाल मां को चुभ गया। हालांकि, समीर की बात सही थी। सुनैना के लिए उसका अपना घर अब यही था। राहुल की बेरुखी का जवाब कैसे देगी सुनैना की सास उसे। राहुल की जबरदस्ती शादी करके उन्होंने अपने घर में एक अजीब सा माहौल कर दिया है।
"भाभी आपने आज मेरे लिए पराठे नहीं बनाए, मुझे तो आपके हाथ के गोभी के पराठे ही खाने हैं...' समीर ने हक से सुनैना से कहा और सुनैना मुस्कुरा दी। 'बनाए हैं ना...' उसने कहा और समीर की तरफ पराठों से भरा केसरोल कर दिया। 'अरे वाह, मां... भाभी तुमसे भी अच्छे पराठे बनाती हैं, ' समीर ने कहा और मां झेंप गईं। उन्होंने भी सुनैना को देखा और चुप चाप एक पराठा अपनी प्लेट में रख लिया। 'मां आप आज ओट्स नहीं खाएंगी? वो आपने कहा था इसलिए मैंने नहीं...' सुनैना बोल ही रही थी कि मां ने कहा, 'क्यों मैं पराठे नहीं खा सकती क्या? अब ये तुम्हारा भी घर है, अगर तुम्हें पराठे पसंद हैं, तो हम भी वही खाएंगे...' मां ने कहा और सुनैना मुस्कुरा दी। उसकी आंखों में आंसू आ गए।
आज राहुल खाने की टेबल पर सबका मुंह तक रहा था। परिवार वालों के साथ सुनैना का व्यवहार अच्छा था, लेकिन राहुल के साथ नहीं। राहुल की ये जलन सुनैना और समीर के लिए एक बड़ा तूफान लाने वाली थी, लेकिन क्या? जानने के लिए पढ़ें घर की मालकिन- पार्ट 4।
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