एक दिन और बीत गया और राहुल और सुनैना एक बार फिर बात नहीं कर पाए। दुनिया के लिए सुनैना अब इस घर की मालकिन हो गई थी। राहुल की पत्नी, लेकिन दोनों को ही पता था कि वो क्या कर रहे हैं। आज राहुल रोज से कुछ जल्दी उठ गया। सुनैना खिड़की के पास खड़ी अपने बालों को झटक रही थी। सलवार कमीज पहने सुनैना बेहद सुंदर लग रही थी। पिछले कुछ दिनों से राहुल ने महसूस किया था कि सुनैना को देखते रहना उसे अच्छा लगता है। पर सुनैना की बेरुखी और उसका अपना ईगो उसे बात नहीं करने देता। कई बार पुरुष इस बात को लेकर शिकायत करते हैं कि उन्हें महिलाएं समझ नहीं आतीं, लेकिन सच तो ये है कि वो कभी उन्हें समझने की कोशिश ही नहीं करते हैं। राहुल और सुनैना के बीच सब कुछ ठीक हो सकता था, लेकिन राहुल ने जितनी बार सुनैना की बातों को नजरअंदाज किया था, अब सुनैना खुद कुछ भी करना नहीं चाहती थी।
राहुल के साथ भी यही हो रहा था कि एक बार धोखा खाने के बाद उसे कुछ भी अच्छा नहीं लग रहा था। सुनैना अपने बालों को संवार कर नीचे चली गई। राहुल नींद में होने का बहाना करते हुए उसे चुप चाप देखता रहा। सुनैना नीचे जाकर फिर अपने रूटीन में लग गई। आज उसने सबके लिए इडली-सांबर बनाया था, सब खुशी से खा भी रहे थे, लेकिन राहुल नीचे आया, तो सुनैना टेबल से चली गई। यह सब होते घर वाले देख रहे थे, लेकिन गलती तो राहुल की ही थी। सुनैना फिर एक बार बाग में जाकर बैठ गई। हल्की गुनगुनी धूप के बीच कुछ ही दिनों में बाग बहुत सुंदर हो गया था। वहां सुनैना की सास भी आ गईं, 'तुमने तो कुछ ही दिनों में इस घर की रंगत ही बदल दी है, अच्छा लग रहा है, इसे अपना घर मानने लगी हो...' सुनैना ने पहली बार अपनी सास के मुंह से अपना घर शब्द सुना था।
देर-सवेर ही सही सुनैना को लग रहा था कि उसके दो घर हैं। एक जहां वो पैदा हुई और दूसरा यहां। पर अभी भी वो खालीपन मौजूद था जिसके कारण सुनैना परेशान हो रही थी। अभी भी राहुल से उसका रिश्ता अच्छा नहीं था। मां और भाभी को बात करता देख, समीर आ गया। 'आज तो साउथ इंडियन खाकर मजा आ गया, ऐसे ही रोज नाश्ता करवाया तो मेरा तो पेट ही निकल आएगा' कहकर वो हंसने लगा और सुनैना भी खिलखिला दी। राहुल ये सब देख रहा था और आज उसे और भी ज्यादा बुरा लग रहा था।
समीर और सुनैना का आपस में बात करना उसे खटकने लगा था। शाम होते-होते सुनैना ने किचन में गुनगुनाना शुरू कर दिया। आजकल बगीचे के अलावा वो अपना ज्यादातर समय किचन में ही बिताती थी। अलग-अलग तरह के पकवान बनाती थी। शाम को राहुल और समीर भी जल्दी घर आ गए थे। आज समीर अपने साथ एक फॉर्म भी लेकर आया था। खाने की टेबल पर उसने सबसे सामने वो फॉर्म सुनैना को पकड़ा दिया। 'ये लीजिए... घर के पास जो कॉलेज है ना, उसमें प्रोफेसर की भर्ती निकली है, बॉटेनी पढ़ानी है। आप अप्लाई कर दीजिए। फिर बस रोज गरमागरम नाश्ता नहीं मिला करेगा और आप वहां सुनैना जी बन जाएंगी,' समीर ने कहा। सुनैना के साथ सभी चौंक गए। दरअसल, सुनैना के भाई मोहित ने पहले ही समीर को इसके बारे में बता रखा था।
मोहित और समीर ने घंटों इसके बारे में बात की थी कि किस तरह से सुनैना को इस घर में खुश रखा जाए। मोहित को राहुल के अफेयर के बारे में भी पता चल गया था और मोहित ने गुस्से में सुनैना के माता-पिता को सब बताने की धमकी दी थी। समीर ने ही बात को संभाला और कहा कि वो सुनैना को खुश रखेगा। मोहित और समीर की अच्छी दोस्ती हो गई थी और समीर इतने दिनों से इसी कोशिश में था कि सुनैना किसी तरह से खुश रहे। तभी तो उसने सुनैना से दोस्ती की। समीर जानता था कि कभी ना कभी घर वालों को उसकी ये बात अच्छी नहीं लगेगी, लेकिन घर की खुशी बनी रहे इसके लिए समीर ने ये करना ही ठीक समझा।
'तुमने किससे पूछकर सुनैना के लिए नौकरी का फॉर्म लिया?,' इस बार राहुल ने समीर से सख्त शब्दों में पूछा। राहुल के मन में पिछले दो तीन दिनों से जो चल रहा था उसे आखिर उसने बोल ही दिया। 'सुनैना मेरी बीवी है और वो क्या करती है क्या नहीं, इसका फैसला अब तुम लोगे? क्या कभी इसके बारे में मुझसे सलाह लेने के बारे में सोचा? मैं नहीं चाहता कि वो नौकरी करे, और तुम देवर हो, देवर की तरह रहो... उसके लिए क्या भला है क्या बुरा मैं देख लूंगा,' राहुल ने बात खत्म की तब तक माहौल बदल चुका था। अभी तक सुनैना जो गुनगुना रही थी, वो चुप हो गई थी। 'समीर ने मुझसे बात की थी, सुनैना के लिए नौकरी का प्रस्ताव अच्छा है, वो घर में दिन भर मेरी तरह बैठकर अपनी जिंदगी क्यों बर्बाद करे?' मां ने कहा।
'हां, आप ही तो लेती हैं सारे फैसले, ये भी ले लिया। पहले जबरदस्ती मेरी सुनैना से शादी करवा दी, इस घर में उसे ले आईं और अब बोल रही हैं जाओ बाहर जाकर नौकरी करो,' राहुल गुस्से में ये भूल गया था कि सुनैना वहीं खड़ी है। 'राहुल, तमीज से बात करो... मां हैं वो तुम्हारी, तुम्हारा भला ही चाहेंगी...' पिता जी ने कहा, लेकिन राहुल कहां सुनने वाला था। वो बोलता जा रहा था और समीर और सुनैना की दोस्ती पर भी सवाल उठा गया, 'आखिर तुमको क्यों फिक्र है उसकी? भाभी है, 10 दिन पहले आई है, रहने दो घर में?' राहुल ने कहा और समीर आग बबूला हो गया।
'आपको क्या लगता है, दुनिया भर के पास यही काम है कि आपके मूड के ठीक होने का इंतजार करे? अगर आपकी पत्नी है, तो उसे ठीक से रखने की जिम्मेदारी भी आपकी ही होनी चाहिए ना, पर बाहर से मन भरेगा तभी तो आप घर पर देखेंगे, आप घर पर पत्नी को लाए हैं, ये घर उसका घर बने ऐसा सोचने की जगह इसे आप बस एक पिंजरा बनाकर रख रहे हैं, ' समीर ने कहा। बात को आगे बढ़ते देखकर सुनैना रोने लगी और बोली, 'बस करो, मत लड़ो मेरे लिए,' उसने फॉर्म उठाया और फाड़ दिया। 'यही चाहते थे ना तुम राहुल? लो, फाड़ दिया फॉर्म, मैं कहीं घर के बाहर नहीं निकलूंगी, आखिर ये मेरा घर नहीं है जहां अपनी मर्जी से कुछ कर पाऊं। आखिर मुझे फिर से तुमने ये अहसास करवा दिया कि मैं पराए घर की हूं। मेरा अपना घर तो कोई है ही नहीं, जब मेरे माता-पिता ने मेरी मर्जी नहीं पूछी, तो तुम क्यों पूछोगे। मैं क्या चाहती हूं, थोड़े दिनों में भूल जाऊंगी। अब नहीं करती हूं डिस्टर्ब तुम्हें, काम करने देती हूं तुम्हारा, अकेले बैठी रहती हूं घर पर, लेकिन जब तक समीर नहीं आता किसी से बात भी नहीं करती। अब उससे भी बात बंद कर दूंगी। तुम्हें एक ट्रॉफी वाइफ चाहिए थी ना, एक सुंदर लड़की बनकर आ गई तुम्हारे घर की बहू। बस, उसे रहने दो ऐसे ही।' सुनैना ने कहा और खाना खाए बिना ही चली गई।
राहुल को अब समझ आया कि उसने क्या कर दिया है। उसने अपने और सुनैना के रिश्ते को बचाने की जगह, उसमें एक लंबी दरार पैदा कर दी है। राहुल तो अपना दुख, जलन और अपराध बोध में इतना अंधा हो गया था कि उसने बाकी लोगों के बारे में सोचना ही छोड़ दिया था। आज उसने सुनैना के सामने ये भी कह दिया कि जबरदस्ती शादी की है। आज सुनैना के मुंह पर उसका नाम आया, लेकिन उसने ये क्या कर दिया।
सुनैना ऊपर कमरे में जाकर रोने लगी, राहुल टेबल पर बैठा अकेला सोचता रहा। आज एक ही झटके में उसने मां, पत्नी, भाई और पिता सभी को नाराज कर दिया था।
क्या सुनैना और राहुल का रिश्ता सुधर पाएगा? क्या कभी समीर से वाकई सुनैना बात बंद कर देगी? क्या सुनैना अब कभी इस घर को अपना पाएगी? जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग, घर की मालकिन-अंतिम भाग।
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