ससुराल में रहना काफी कठिन होता है, यह बात मैंने काफी बार सुना था लेकिन अनुभव तब हुआ जब मेरी शादी हुई। मैं गांव में रहती थी। मैं ग्रेजुएशन फर्स्ट ईयर में थी तभी मेरी मां की तबीयत खराब रहने लगी, इस वजह से मेरे घरवाले ने मेरी शादी का सोचा। 18 की उम्र में मेरी शादी हो गई। उस वक्त खाना बनाने का मुझे कोई अनुभव नहीं था,क्योंकि मेरी मां ही सारा काम संभाला करती थीं। अचानक से शादी के बाद मुझे एक नई जिंदगी में कदम रखना पड़ा, लेकिन मुझे कुछ भी बनाना नहीं आता था। इस बात की जानकारी सिर्फ मेरे पति को थी।
शादी के 1 महीने तक मैं ससुराल में कोई काम नहीं किया,क्योंकि मेरे सास ससुर किसी रिश्तेदार के यहां गए थे। उस दौरान मेरे पति ही मेरे लिए कुक करते थे। कभी कभार हम बाहर खा लेते थे, लेकिन जब मेरे सास ससुर वापस आए तो उन्होंने मुझे रसोई का काम संभालने के लिए कहा। यह मुश्किल था लेकिन मैं ना नहीं कर पाई। मुझे साथ में पढ़ाई भी करनी थी, उन्होंने कहा बिरयानी बनाकर खिलाओ। उस दिन मेरे माता-पिता भी आने वाले थे और मैं बहुत घबरा गई। उस वक्त यूट्यूब का भी इतना चलन नहीं था।
पति ने दिया हर कदम पर साथ
मेरी घबराहट देखकर मेरे पति भी चिंतित हो गए और एक अच्छे पति की तरह उन्होंने बाहर से बिरयानी मंगवाई, सभी लोगों ने बड़े चाव से बिरयानी खाई,सबने खूब तारीफ की। लेकिन मेरी मां को तो सच पता था वह मुझसे कमरे में इस बारे में बात ही कर रही थी कि मेरी नंद ने सारी बातें सुन ली और जाकर मेरी सास को बता दी, वैसे तो मेरी सास बहुत ही अच्छी हैं लेकिन उन्हें झूठ पसंद नहीं है। उन्होंने मेरे पति को और मेरे माता-पिता को भी खूब खरी खोटी सुनाई। इस घटना ने मुझे काफी प्रभावित किया।
वहीं मेरे मन में एक और बात खटक रही थी कि मेरे पति के ऑफिस वाले सभी अपने बीवी के हाथ का बना लंच लेकर आते हैं, लेकिन मेरे पति को बाहर कैंटीन से खाना पड़ता है। इतना प्यार और सपोर्ट करने वाला पति है फिर भी मैं उनके लिए कुछ नहीं कर पा रही हूं। इन सभी बातों ने मुझे किचन में कदम रखने के लिए मजबूर किया और मैंने यह सोचा कि अब मुझे खुद को साबित करना है। अपने पति को भी गर्व महसूस करना है। मैं खाना बनाना सीखूंगी। इसके लिए मैंने कुछ किताबें खरीदी, यूट्यूब पर वीडियो देखने शुरू किया, लेकिन कुछ काम नहीं आया।
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती
मेरी इस कमी ने मुझे काफी ज्यादा परेशान किया। घर के काम के बाद पढ़ाई, और फिर खाना बनाने की प्रेक्टिस से मैं तंग आ गई थी, फिर मुझे याद आया कि क्यों न मैं अपनी मौसी के यहां जाऊं,मेरी मासी कुकिंग बहुत अच्छा करती हैं, मैने वहीं रहकर बारीकी से कुकिंग सीखी, सबसे पहले तो बिरयानी बनानी ही सीखी क्योंकि मेरे ससुराल वालों को बिरयानी काफी पसंद थी, कई बार मैने खराब बनाया, खाना बनाते वक्त जल भी गई, लेकिन वो कहते हैं ना की मेहनत करने वालों की हार नहीं होती,इन डेढ़ महीनों में मैंने वो सब कुछ सीखा जिससे मेरे अंदर की ये कमी निकल जाए।
ससुराल में बन गई सबकी फेवरेट कुक
डेढ़ महीने बाद जब मैं ससुराल लौटी तो मैं बहुत ही कॉन्फिडेंस थी, इसी वक्त मेरी ननद के ससुराल वाले आने वाले थे। उनकी खातीरदारी में जब मैने एक से बढ़कर एक पकवान बनाएं तो पहले मेरी सास यकीन नहीं कर पाई, लेकिन सच तो उनके सामने था। खाना खाकर मेहमानों ने जो तारीफ की इससे मेरी सास और पति का दिल गदगद हो गया। एक वो दिन था एक आज का दिन है, मेरे घर में अब हर फ्राइडे को बिरयानी जरूर बनती है। किटी पार्टी में भी मेरी सास मुझ से ही खाना बनवाती हैं। मुझे इस बात का गर्व है कि मैने वो चीज सीखी जो मेरे बस की नहीं थी, मैंने मेरे पति और मेरे मां बाप का सिर नहीं झुकने दिया, आज मैं अपने ससुराल में सबकी फेवरेट हूं, लोग मुझे किचन क्वीन के नाम से बुलाते हैं।
(अफशां परवीन)
(इस लेख में दिए गए विचार उनके अपने हैं)
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