घर के मुख्य द्वार पर चप्पल टांगने से क्या होता है?

वास्तु शास्त्र में घर के बाहर जूते-चप्पल को टांगना बुरी प्रभावों से बचने के लिए सहायक माना जाता है। आइए इस लेख में विस्तार से जानते हैं कि जूते-चप्पल को घर के बाहर टांगने का महत्व क्या है?
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हमारे देश में सदियों से बुरी नजर और नकारात्मक ऊर्जा से बचने के लिए तरह-तरह के उपाय किए जाते रहे हैं। इनमें से एक बहुत ही आम परंपरा है घर के बाहर जूते-चप्पल टांगना। अक्सर देखा जाता है कि लोग अपने घर के दरवाजे पर पुराने जूते या चप्पल टांग देते हैं, ताकि इन नकारात्मक शक्तियों से बचा जा सके। लेकिन क्या वास्तु शास्त्र इस मान्यता को सही ठहराता है? आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं कि वास्तु शास्त्र के अनुसार घर के बाहर जूते-चप्पल टांगने का क्या महत्व है और यह बुरी नजर से बचाव में कैसे मदद कर सकता है।

घर के मुख्य द्वार पर जूते-चप्पल टांगना शुभ या अशुभ

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वास्तु शास्त्र के अनुसार, हमारा घर सिर्फ बनाना नहीं है, बल्कि यह हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। घर में मौजूद वातावरण और ऊर्जा हमारे स्वास्थ्य, समृद्धि और मानसिक शांति को प्रभावित करती है।
जब घर में नकारात्मक ऊर्जा प्रवेश करती है, तो यह हमारे जीवन में कई तरह की समस्याएं पैदा कर सकती है। बुरी नजर भी एक तरह की नकारात्मक ऊर्जा है, जिसके बारे में माना जाता है कि यह किसी की ईर्ष्या या नकारात्मक भावनाओं के कारण उत्पन्न होती है और हमारे जीवन को प्रभावित कर सकती है। वास्तु शास्त्र में बुरी नजर और नकारात्मक ऊर्जा से बचने के लिए कई उपाय बताए गए हैं। इनमें से एक उपाय है - जूते-चप्पल को उल्टा टांगना।

जूते-चप्पल को उल्टा टांगने से माना जाता है कि घर में प्रवेश करने वाली नकारात्मक ऊर्जा जूतों में ही रह जाती है और घर के अंदर नहीं आ पाती है। इतना ही नहीं, ऐसा कहा जाता है कि घर के मुख्य द्वार पर जूते-चप्पल टांगने से व्यक्ति को सकारात्मक परिणाम मिल सकते हैं। भारत में कई घरों में यह माना जाता है कि घर के दरवाजे पर पुराने जूते या चप्पल लटकाने से बुरी नजर लगने से बचा जा सकता है। यह प्रथा उन जगहों पर बहुत आम है जहां लोग परंपराओं का पालन करते हैं। लोगों का मानना है कि दरवाजे पर जूते-चप्पल टांगने से बुरी नजर घर के अंदर नहीं आ पाती है। यह एक संकेत भी है कि घर के अंदर की पवित्रता बनी हुई है। इसलिए, जो कोई भी घर में प्रवेश करता है, वह इस पवित्रता का सम्मान करता है।

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वास्तु शास्त्र के अनुसार मुख्य द्वार का महत्व क्या है?

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वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर का मुख्य द्वार बेहद महत्वपूर्ण स्थान होता है। यह सिर्फ घर में प्रवेश करने का रास्ता ही नहीं होता, बल्कि यह सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जाओं का प्रवेश द्वार भी माना जाता है।
अगर मुख्य द्वार को वास्तु के अनुसार सही दिशा में बनाया जाए और उसे सजाया जाए, तो यह घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ाता है। इससे घर में रहने वाले लोगों का स्वास्थ्य, धन और सुख-शांति में वृद्धि होती है।

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Image Credit- HerZindagi

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