हिंदू धर्म में ऐसी कई बातें बताई जाती हैं जो हमारे जीवन में कई घटनाओं से जुड़ी होती हैं। ऐसे ही जीवन और मृत्यु के कुछ रहस्य भी हैं जिनके बारे में जानना आपके लिए जरूरी होता है। घर में किसी भी व्यक्ति की मृत्यु के बाद कई तरह के संस्कार निभाए जाते हैं जो उनके करीबी लोगों द्वारा किए जाते हैं। ऐसे ही एक मान्यता यह भी है कि मृत व्यक्ति के शव को कभी भी घर पर अकेला नहीं छोड़ना चाहिए। ज्योतिष शास्त्र में भी शव के साथ कुछ विशेष नियमों और सावधानियों का उल्लेख किया गया है, जिनका पालन करना आवश्यक माना जाता है।
इनमें से एक महत्वपूर्ण नियम यह भी है की शव को अकेला न छोड़ें, इसका मतलब यह है कि अंतिम संस्कार से पूर्व किसी भी मृत व्यक्ति का शव जिस समय तक भी घर पर रखा होता है, उसे अकेला नहीं छोड़ना चाहिए और उसके पास किसी न किसी को जरूर मौजूद होना चाहिए। आइए ज्योतिर्विद पंडित रमेश भोजराज द्विवेदी से जानें इसके बारे में विस्तार से और इससे जुड़ी मान्यताओं के बारे में विस्तार से।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, मृत्यु के बाद आत्मा का शरीर से संबंध पूरी तरह से नहीं टूटता है। आत्मा को अपने अगले गंतव्य तक पहुंचने के लिए कुछ समय लगता है और इस दौरान वह शरीर के आस-पास ही मौजूद रहती है। ऐसे में यदि मृतक के शव को अकेला छोड़ दिया जाए, तो आत्मा भटक सकती है और उसके लिए समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं, यही नहीं मान्यता यह भी है कि यदि आप कभी शव को अकेला छोड़ते हैं तो आपके आने वाले जीवन में भी कई समस्याएं आ सकती हैं।
ज्योतिष शास्त्र में बताया जाता है कि शव के पास कुछ विशेष ऊर्जाएं और तरंगें होती हैं जो आत्मा को उसके अगले गंतव्य तक पहुंचाने में मदद करती हैं। यदि शव को अकेला छोड़ दिया जाए, तो ये ऊर्जाएं और तरंगें बाधित हो सकती हैं, जिससे आत्मा को परेशानी हो सकती है।
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ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शव के आस-पास नकारात्मक ऊर्जाएं और भूत-प्रेत जैसी नकारात्मक शक्तियां आकर्षित हो सकती हैं। यदि शव को अकेला छोड़ दिया जाए, तो ये नकारात्मक शक्तियां उसकी आत्मा को परेशान कर सकती हैं और उसके अगले गंतव्य तक पहुंचने में बाधा उत्पन्न कर सकती हैं।
इन नकारात्मक ऊर्जाओं से बचने के लिए शव के पास कुछ विशेष उपाय किए जाते हैं, जैसे कि दीपक जलाना, मंत्रों का जाप करना, धुप बत्ती जलाना और शव के पास परिवार के सदस्यों का रहना। इन उपायों से आत्मा को सुरक्षा और शांति मिलती है और वह अपने अगले गंतव्य तक आसानी से पहुंच सकती है।
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ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शव के साथ कुछ विशेष अनुष्ठान और रीति-रिवाजों का पालन करना आवश्यक है। इन अनुष्ठानों से मृतक की आत्मा को शांति और सुरक्षा मिलती है और वह अपने अगले गंतव्य तक आसानी से पहुंच सकती है। शव के साथ अनुष्ठान करने से न केवल उनकी आत्मा को लाभ होता है, बल्कि परिवार के सदस्यों को भी शांति और सांत्वना मिलती है। जब कोई व्यक्ति शरीर छोड़ता है तो ऐसा माना जाता है कि उसकी आत्मा कम से कम तरह दिनों के लिए आस-पास ही मौजूद होती है। ऐसे में शव को अकेला छोड़ने से व्यक्ति की आत्मा का अपमान होता है और इसका प्रभाव घर के सदस्यों में हो सकता है।
मृत्योपरांत शव से जुड़े कई ऐसे संस्कार होते हैं जिनका पालन जरूरी माना जाता है। इनमें से एक सबसे प्रमुख है मृत व्यक्ति के शव को कमरे के भीतर अकेला न छोड़ना। जिसका पालन हम सभी को करने की सलाह दी जाती है।
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