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गणपति स्थापना 10 दिनों के लिए ही क्यों की जाती है? 90% लोग नहीं जानते होंगे इसका रहस्य

हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से चतुर्दशी तक का समय गणपति उत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस दौरान गणपति की स्थापना पूरे 10 दिनों के लिए की जाती है और चतुर्दशी के दिन गणपति का विसर्जन कर दिया जाता है। आइए जानें इसके रहस्य के बारे में।
Editorial
Updated:- 2025-08-26, 19:18 IST

हिंदू धर्म में गणेश उत्सव का विशेष महत्व है। इसका आरंभ गणेश चतुर्थी के साथ होता है और इसका समापन अनंत चतुर्दशी या गणेश चतुर्दशी के साथ होता है। भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन लोग घर में गणपति की स्थापना करते हैं और पंडाल में भी गणपति स्थापित किए जाते हैं। आमतौर पर गणपति की स्थापना 10 दिनों के लिए की जाती है और अनंत चतुर्दशी के दिन उनका विसर्जन करके उन्हें विदा कर दिया जाता है। वैसे कई लोग डेढ़, पांच या 7 दिन में भी गणपति का विसर्जन कर देते हैं, लेकिन आगे हम पौराणिक कथाओं की मानें तो गणपति की स्थापना 10 दिनों के लिए ही करने की परंपरा है।
वास्तव में गणपति विसर्जन 10 दिन के बाद ही किया जाता है और इसे ही शुभ माना जाता है। क्या आपने कभी अपने सोचा है कि इस परंपरा और 10 दिनों का रहस्य क्या है? आखिर क्यों इतने दिनों के लिए ही गणपति की स्थापना होती है और उनका विसर्जन किया जाता है। आइए एस्ट्रोलॉजर अमिता रावल से जानें इसके रहस्य के बारे में।

10 दिनों के लिए ही क्यों की जाती है गणपति स्थापना

गणेश विसर्जन के 10 दिनों के रहस्य का प्रमुख करण महाभारत से जुड़ी एक मान्यता है। पौराणिक कथाओ के अनुसार ऐसा माना जाता है कि भाद्रपद महीने के शुक्र पक्ष के चतुर्थी को ही गणेश जी का जन्म हुआ था और अन्य कथाओं के अनुसार गणेश चतुर्थी के दिन से ही गणपति ने महाभारत की रचना शुरू की थी। महाभारत ग्रंथ की रचना के लिए गणेश जी से महर्षि वेदव्यास जी ने प्रार्थना की। उसके उत्तर में गणपति ने कहा कि अगर वह लिखना आरंभ करेंगे तो उसके समापन से पहले कलम नहीं रोकेंगे, यही नहीं गणपति ने यह भी कहा कि यदि कलम रुकी तो वो महाभारत की रचना बंद कर देंगे। तब महर्षि वेदव्यास ने कहा कि आप रचना आरंभ करें।

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इसके बाद भगवान गणेश जी ने महाभारत की रचना शुरू की और बिना रुके हुए 10 दिन तक महाभारत लेखन का काम करते रहे। जिस दिन लेखन समाप्त हुआ उस दिन अनंत चतुर्दशी थी। उस समय गणेश जी लेखन करते हुए धूल मिट्टी से लथपथ हो गए हे। ऐसे में उन्होंने खुद को साफ़ करने और स्नान करने के लिए सरस्वती नदी में डुबकी लगा दी। उसी समय से यह प्रथा है कि गणपति की स्थापना गणेश चतुर्थी के दिन की जाती है और उनका विसर्जन अनंत चतुर्दशी के दिन किया जाता है।

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दस दिनों का रहस्य क्या है?

हिंदू धर्म में संख्या 10 को पूर्णता का प्रतीक माना जाता है। जीवन के दस मूल गुणों-धैर्य, साहस, ज्ञान, भक्ति, दया, प्रेम, त्याग, विनम्रता, सत्य और विवेक का प्रतिनिधित्व ये 10 दिन करते हैं। गणपति की स्थापना और पूजा के ये दस दिन हमारे जीवन में नकारात्मक विचारों और ऊर्जा को दूर करने का समय माना जाता है। इन दिनों में हम गणपति बप्पा की आराधना करके अपने भीतर सकारात्मक भावों को जागृत करते हैं और परिवार में सुख-शांति का वातावरण लाते हैं। इसमें से गणेश चतुर्थी जो गणेश उत्सव का पहला दिन होता है वो नए आरंभ और ऊर्जा का प्रतीक होता है। वहीं गणेश चतुर्दशी त्याग और समर्पण का प्रतीक मानी जाती है जब बप्पा को विदा किया जाता है।

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10 दिनों में गणपति के विसर्जन का रहस्य

गणपति विसर्जन केवल एक धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि जीवन के गहरे सत्य का बोध कराता है। मिट्टी से बनी गणेश प्रतिमा का जल में मिल जाना यह दर्शाता है कि मनुष्य भी मिट्टी से बना है और अंततः उसे प्रकृति में ही विलीन होना होता है। ऐसे में व्यक्ति को घमंड जैसे विचारों से दूर रहना चाहिए।
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