कौन था धृतराष्ट्र का 101वां पुत्र? जानें महाभारत युद्ध में क्यों दिया उसने पांडवों का साथ

महाभारत में कई ऐसे रहस्य छिपे हुए हैं जिनके बारे में आज भी कोई पता नहीं लगा पाया है। कभी स्थान को लेकर तो कभी पात्रों को लेकर महाभारत में बहुत कुछ ऐसा लिखा है जिसे समझ पाना या जान पाना किसी के लिए भी संभव नहीं।    

What happened to Yuyutsu after Mahabharata war

महाभारत ग्रंथ हिन्दू धर्म के प्राचीन ग्रंथों में से एक है। महाभारत में कई ऐसे रहस्य छिपे हुए हैं जिनके बारे में आज भी कोई पता नहीं लगा पाया है। कभी स्थान को लेकर तो कभी पात्रों को लेकर महाभारत में बहुत कुछ ऐसा लिखा है जिसे समझ पाना या जान पाना किसी के लिए भी संभव नहीं। ठीक ऐसा ही कुछ महाभारत में उल्लेखित है धृतराष्ट्र के 101वें पुत्र के बारे में। जी, हां हम सभी जानते हैं कि धृतराष्ट्र के 100 पुत्र थे। इसके अलावा, एक पुत्री थी जिसका नाम दुशाला था, लेकिन क्या आप जानते हैं कि धृतराष्ट्र का 100 पुत्रों के अलावा एक और पुत्र भी था। ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से आइये जानते हैं धृतराष्ट्र के 101वें पुत्र से जुड़ी रहस्यमयी बातें।

कौन था धृतराष्ट्र का 101वां पुत्र?

Yuyutsu Kaurava

धृतराष्ट्र के 101 वें पुत्र का नाम था युयुत्सु। युयुत्सु एक दासी पुत्र था। कथा के मुताबिक, जब गांधारी गर्भवती थीं तब उस समय में धृतराष्ट्र की सेवा एक दासी ने की थी। धृतराष्ट्र ने जब एक बार दासी से उसकी सेवा के बदले उसे वरदान मांगने को कहा, तब दासी ने संतान प्राप्ति की इच्छा जताई।

चूंकि धृतराष्ट्र दासी को दिया वरदान पूरा करने का वचन पहले ही दे चुके थे लिहाजा अपने वचन को धृतराष्ट्र को निभाना पड़ा। इसी दासी का पुत्र था युयुत्सु। हालांकि युयुत्सु कौरव होने के बाद भी अन्य कौरवों से बहुत भिन्न था। वह हमेशा धार्मिक और पुण्यकर कार्य ही करता रहता था।

Vikarna and Yuyutsu

साथ ही, वह हमेशा धर्म के साथ ही खड़ा रहता था। दुर्योधन के साथ ही एक ही समय पर युयुत्सु का भी जन्म हुआ था। इसी कारण से युयुत्सु दुर्योधन के बराबर ही था। हालांकि कौरवों ने हमेशा उसे दासी पुत्र ही समझा और अपने बराबर दर्जा नहीं दिया। युयुत्सु भी कौरवों के विरुद्ध थे।

यह भी पढ़ें:आखिर क्यों अपने ही बेटे के हाथों मारे गए थे अर्जुन

द्रौपदी के चीर हरण के दौरान भी एक मात्र युयुत्सु ही था जिसने दुर्योधन का विरोध किया था, लेकिन पिता धृतराष्ट्र की चुप्पी के कारण वह उस चीर हरण को रोक पाने में असमर्थ थे। इसलिए वह सभा छोड़कर चले गए थे। महाभारत युद्ध में युयुत्सु ने पांडवों की तरफ से युद्ध भी लड़ा था।

आप भी इस लेख में दी गई जानकारी के माध्यम से यह जान सकते हैं कि आखिर कौन है धृतराष्ट्र का 101वां पुत्र और क्यों उसने कौरवों के बजाय महाभारत युद्ध में पांडवों का साथ दिया था। अगर हमारी स्टोरीज से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो वो आप हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।

image credit: herzindagi, freepik, wallpapercraft

HzLogo

HerZindagi ऐप के साथ पाएं हेल्थ, फिटनेस और ब्यूटी से जुड़ी हर जानकारी, सीधे आपके फोन पर! आज ही डाउनलोड करें और बनाएं अपनी जिंदगी को और बेहतर!

GET APP