घर में किसी की मृत्यु हो जाने के कितने दिन बाद मंदिर जाना चाहिए?

कुछ ऐसी परिस्थियां होती हैं जब मंदिर जाना शास्त्रों में वर्जित माना गया है, जैसे कि घर में अगर किसी की मृत्यु हो जाए तो मंदिर नहीं जाना चाहिए, लेकिन क्या आप ये जानते हैं कि कितने दिन बाद मंदिर जा सकते हैं।  
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मंदिर जाना बहुत शुभ और सकारात्मक माना जाता है। शास्त्रों में बताया गया है कि रोजाना मंदिर जाने से नकारात्मक प्रभावों से दूरी बनी रहती है और व्यक्ति के आतंरिक दोष दूर होते हैं। हालांकि, मंदिर जाने से जुड़े कुछ सरल नियम भी हैं जिनका पालन करना आवश्यक है ताकि किसी प्रकार का दोष न लगे। ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स ने हमें बताया कि कुछ ऐसी परिस्थियां होती हैं जब मंदिर जाना शास्त्रों में वर्जित माना गया है, जैसे कि घर में अगर किसी की मृत्यु हो जाए तो मंदिर नहीं जाना चाहिए। यहां तक कि घर में स्थापित मंदिर को भी स्पर्श नहीं करना चाहिए, लेकिन क्या आप ये जानते हैं कि कितने दिन तक मंदिर नहीं जाना चाहिए या घर में किसी की मृत्यु के कितने दिन बाद मंदिर जाना सही है। चलिए जानते हैं इस बारे में।

घर में किसी की मृत्यु के कितने बाद मंदिर नहीं जाते हैं?

घर में जब किसी की मृत्यु हो जाए तो सूतक लग जाते हैं जिसके कारण मंदिर जाना या घर के मंदिर में भी पूजा बंद हो जाती है। मृत्यु के दिन से लेकर तेरहवीं तक मृतक की आतम की शांति के लिए अलग-अलग विधियां की जाती हैं और आखिर में ब्राह्मण भोग कराकर मृतक को अंतिम विदा दी जाती है।

ghar mein kisi ki mrityu ho jane ke kitne din baad mandir jate hain

शास्त्रों में बताया क्ग्य है कि तेरहवीं हो जाने के बाद चौदहवें दिन जिस घर में मृत्यु हुई है उस घर के लोग मंदिर जा सकते हैं। चौदहवें दिन सबसे पहले ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और फिर स्वच्छ वस्त्र धारण कर घर में स्थापित मंदिर को साफ करें। सबसे पहले घर में विराजित भगवान को स्नान-ध्यान कराएं।

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घर में विराजित भगवान का भोग लगाएं। घर में बैठकर ही अपने नित्य पूजा-पाठ को संपन्न करें। फिर इसके बाद, बाहर आप जिस भी मंदिर जाना चाहें वहां जा सकते हैं। इस बात का ध्यान रखें कि हमेशा पहले घर में बैठे भगवान की सेवा-पूजा करनी चाहिए इसके बाद मंदिर जाने की परंपरा निभानी चाहिए।

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शास्त्रों में यह भी बताया गया है कि घर में किसी की मृत्यु हो जाने के बाद जब आप तेरहवीं के पश्चात चौदहवें दिन मंदिर जाते हैं तो ऐसे में मंदिर में भगवान के दर्शन करने के बाद हमेशा कुछ न कुछ दान किसी जरूरतमंद को अवश्य करना चाहिए। फिर चाहे आप किसी को सिर्फ एक मुट्ठी अनाज ही दान क्यों न दें।

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image credit: herzindagi

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FAQ

  • मंदिर में प्रवेश करते समय क्यों छूनी चाहिए मंदिर की सीढ़ियां?

    मंदिर में प्रवेश करने से पहले मंदिर की सीढ़ियों को छूना एक धार्मिक परंपरा है जो भगवान के प्रति सम्मान और भक्ति का प्रतीक है।