Vayas Puja 2025 date and muhurat

क्या होती है व्यास पूजा? जानें गुरु पूर्णिमा पर इसका शुभ समय और महत्व

आषाढ़ माह की गुरु पूर्णिमा के दिन व्यास पूजा की जाती है। इसे कुछ लोग वेद व्यास जयंती के रूप में भी मनाते हैं। लेकिन, क्या आप जानती हैं कि आखिर व्यास पूजा क्या होती है? अगर नहीं, तो आइए इसके महत्व और शुभ पूजन समय के बारे में पंडित जी से जानते हैं। 
Editorial
Updated:- 2025-07-08, 13:33 IST

हिंदू धर्म में गुरु पूर्णिमा का अत्यंत महत्व माना गया है। इस दिन शिष्य अपने गुरु के प्रति श्रद्धा, समर्पण और कृतज्ञता व्यक्त करते हैं। इस साल गुरु पूर्णिमा 10 जुलाई 2025 को मनाई जाएगी। गुरु पूर्णिमा को कई लोग व्यास पूर्णिमा के रूप में भी मनाते हैं। क्योंकि, इस दिन महर्षि वेदव्यास की जयंती होती है। महर्षि वेदव्यास को महापुराण महाभारत का लेखक और कई पुराणों का सूत्रधार माना गया है। साथ ही उन्हें आदि गुरु या प्रथम गुरु भी माना जाता है।

सनातन धर्म की मान्यताओं के मुताबिक, हर गुरु में वेदव्यास का अंश होता है। यही वजह है कि गुरु पूर्णिमा के दिन व्यास पूजा का महत्व होता है। व्यास पूजा कैसे की जाती है और इस बार पूजन का क्या शुभ मुहूर्त है इस बारे में हमें पंडित और ज्योतिषी की जानकारी रखने वाले श्री राधे श्याम मिश्रा ने बताया है।

व्यास पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है?

आषाढ़ शुक्ल की पूर्णिमा यानी गुरु पूर्णिमा के दिन व्यास पूजा होती है। इस साल गुरु पूर्णिमा 10 जुलाई 2025 को मनाई जा रही है। पंडित जी के मुताबिक, पूर्णिमा तिथि 10 जुलाई की रात 1 बजकर 36 मिनट से शुरू हो रही है। वहीं, इसका समापन 11 जुलाई की रात 2 बजकर 06 मिनट पर होगा। 

what is vayas puja

पूर्णिमा पर व्यास पूजा के लिए चार शुभ मुहूर्त बन रह हैं, जिसमें पहला ब्रह्म मुहूर्त है। इसमें सुबह 4 बजकर 10 मिनट से लेकर 4 बजकर 50 मिनट तक, व्यास पूजा के लिए शुभ मुहूर्त है।

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इसके अलावा अभिजीत मुहूर्त में भी पूजा की जा सकती है, जिसमें सुबह 11 बजकर 59 मिनट से लेकर 12 बजकर 54 मिनट तक, मुहूर्त है। फिर दोपहर 2 बजकर 45 मिनट से लेकर 3 बजकर 40 मिनट और शाम में 7 बजकर 21 मिनट से लेकर 7 बजकर 41 मिनट तक पूजन किया जा सकता है।

कैसे करें व्यास पूजा?

हिंदू धर्म की परंपराओं के मुताबिक, गुरु को ब्रह्मा, भगवान विष्णु और महेश का स्थान दिया गया है। इसके लिए ग्रंथों और वेदों में एक श्लोक भी है।

गुरु ब्रह्मा गुरु विष्णु, गुरु देव महेश्वर:,
गुरु साक्षात परम ब्रह्म, तस्माई श्री गुरुवाय नमः।

ऐसे में गुरु पूर्णिमा के दिन व्यास पूजा करना शुभ माना जाता है। व्यास पूजा करने के लिए आषाढ़ शुक्ल की पूर्णिमा के दिन सुबह जल्दी उठकर नहाने के बाद साफ कपड़े पहनें। इसके बाद मंदिर के पास महर्षि व्यास के लिए आसन बनाएं। आसन पर सफेद और साफ कपड़ा बिछाएं। 

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अगर आपके पास महर्षि व्यास का चित्र है तो उसे आसन पर बिठाएं। इसके बाद फूलों की माला अर्पित करें। माला और फूल अर्पित करने के बाद 'गुरुपरम्पारा सिद्धार्थ व्यास पूजाम करिश्येस्य' का जाप करें। इस मंत्र का अर्थ है कि मैं गुरु वंश की स्थापना के लिए महर्षि वेद व्यास की पूजा करता/करती हूं।

पूजा के दौरान भगवान ब्रह्मा, व्यास, शुकदेव, गोविंदस्वामी जी और गुरु शंकराचार्य के साथ अगर आपके कोई गुरु हैं तो उन्हें याद करें। इसके बाद महर्षि व्यास की शिक्षाओं को जीवन में उतारने का संकल्प लें। पूजा आदि करने के बाद अपने माता-पिता और गुरु का आशीर्वाद लें। 

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व्यास पूजा करने के बाद अन्न दान, वस्त्रों का दान और भूखों को भोजन करना भी शुभ माना गया है। आप चाहें तो गुरु पूर्णिमा के दिन व्यास जी का लिखा कोई वेद या अन्य धर्म ग्रंथ पढ़ सकते हैं। इसके अलावा पूरा दिन व्रत भी किया जा सकता है।

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Image Credit: Jagran.com and herzindagi

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FAQ
व्यास पूजा कब होती है?
आषाढ़ शुक्ल की पूर्णिमा यानी गुरु पूर्णिमा के दिन व्यास पूजा की जाती है।
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