त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग भारत के महाराष्ट्र राज्य के नाशिक जिले में स्थित एक प्रसिद्ध और पवित्र तीर्थस्थल है। यह बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है, जिन्हें शिव के सबसे पवित्र स्वरूप माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सावन माह में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा-अर्चना करने से व्यक्ति का जीवन सुखमय बना रहता है। बता दें, द्वादश ज्योतिर्लिंग में से आठवां त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग है। ऐसा कहा जाता है कि इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने और पूजा-अर्चना करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं भी पूर्ण हो सकती है। इसका वर्णन शिव पुराण में भी विस्तार से किया गया है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिव्य ज्योतिर्लिंग में त्रिदेवों की पूजा विशेष रूप से करने का विधान है। आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग के बारे में विस्तार से जानते हैं।
बेहद रोचक है त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग की कथा
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार महर्षि गौतम और उनकी पत्नी ब्रह्मगिरी पर्वत पर एक आश्रम में निवास करते थे। लेकिन आश्रम में कई ऐसे ऋषि-मुनि थे, जो महर्षि गौतम के प्रति ईर्ष्या का भाव रखते थे और उन्हें दिखाने की हर समय कोशिश करते थे। ईर्ष्यालु ऋषियों ने महर्षि गौतम को आश्रम से बाहर निकालने की योजना बनाई और उनपर गौ हत्या का आरोप लगाया। तभी इस पाप से मुक्ति के लिए गौतम ऋषि ने मां गंगा को धरती पर लाने का विचार किया और एक शिवलिंग की स्थापना कर तपस्या में लीन हो गए।
गौतम ऋषि की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव प्रकट हुए। भगवान शिव ने गौतम ऋषि ने वर मांगने के लिए कहा, तभी महर्षि जी ने देवी गंगा को इस स्थन पर प्रकट होने का वरदान मांगा, लेकिन मां गंगा ने यह शर्त रखी कि यदि भगवान शिव इस स्थान पर रहेंगे। तभी वह वहां रहेंगी। इस शर्त को मानते हुए भगवान शिव ने त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग का रूप धारण किया और वह वहीं फंस गए। फिर मां गंगा गोदावरी के रूप में बहनें लगी।
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त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग में बसते हैं त्रिदेव
त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर में तीन छोटे-छोटे शिवलिंग हैं। जिन्हें त्रिदेव- ब्रह्मा, विष्णु और महेश का रूप में पूजा जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, ऐसा कहा जाता है कि त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी हो सकती है और सभी पापों से भी छुटकारा मिल सकता है।
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