वृंदावन में कैसे आए चार धाम? जानें इनके दर्शनों का क्या फल मिलता है

बड़ा चार धाम हो या छोटा चार धाम, अगर किसी कारण से कोई व्यक्ति इन दोनों यात्राओं को न कर पाए तो उसे वृंदावन जाना चाहिए क्योंकि वृंदावन में बड़े और छोटे दोनों चार धाम मौजूद हैं। 
significance of four dham in vrindavan

चार धाम यात्रा हिंदू धर्म में एक अत्यंत पवित्र और महत्वपूर्ण तीर्थयात्रा मानी जाती है। ऐसा कहना गलत नहीं होगा कि मनुष्य के जन्म से लेकर उसकी मृत्यु तक के बीच के समय में अगर वो इन चार धामों जो बद्रीनाथ, द्वारका, पुरी और रामेश्वरम हैं इनकी यात्रा कर लेता है तो उसे न सिर्फ मोक्ष की प्राप्ति होती है बल्कि भगवान विष्णु और भगवान शिव दोनों का परम सानिध्य भी मिलता है। इन चारों स्थानों की यात्रा को बड़ा चार धाम कहते हैं। वहीं, इसके अलावा एक छोटा चार धाम भी होता है जिनमें यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ शामिल हैं।

छोटे चार धामा की यात्रा करने से भी कई लाभ मिलते हैं जैसे कि व्यक्ति के सभी पाप धुल जाते हैं, उसे मानसिक शांति मिलती है और वह जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्त होकर आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त करता है। ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स ने हमें बताया कि बड़ा चार धाम हो या छोटा चार धाम, अगर किसी कारण से कोई व्यक्ति इन दोनों यात्राओं को न कर पाए तो उसे वृंदावन जाना चाहिए क्योंकि वृंदावन में बड़े और छोटे दोनों चार धाम मौजूद हैं। आइये जानते हैं क्या है इसके पीछे की कहा और वृंदावन के चार धामों का महत्व।

वृंदावन में चार धाम कहां हैं?

वृंदावन में चार धाम नामक एक मंदिर मौजूद है। ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर में छोटे और बड़े चार धामों का अंश मौजूद है। ऐसे में अगर कोई व्यक्ति चार धामा की यात्रा पर न जा पाए तो वह वृंदावन के इस चार धाम मंदिर में दर्शन कर परिक्रमा लगा सकता है। इससे चार धाम की यात्रा जितना ही पुन्य प्राप्त होगा।

वृंदावन में चार धाम कैसे से आए?

vrindavan ke 4 dham ki katha

पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार नंद बाबा और माता यशोदा ने भगवान श्री कृष्ण से चार धामा की यात्रा का अनुग्रह किया, लेकिन दोनों की स्थिति ऐसी नहीं थी कि वह चलकर इस यात्रा को पूर्ण कर सकें। ऐसे में तब श्री कृष्ण ने चारों धामों का आवाहन कर उनका अंश वृंदावन में स्थापित कर दिया जिसका नाम पड़ा चार धाम मंदिर।

भगवात पुराण में भी इस मंदिर का उल्लेख मिलता है और ऐसा बताया गया है कि इस मनीर के दर्शन मात्र से चार धामा की यात्रा का पुण्य मिल जाता है। इसके अलावा, यह भी शास्त्रों में वर्णित है कि माता यशोदा और बाबा नंद के लिए श्री कृष्ण ने चार धामा ही नहीं बल्कि सारे तीर्थ ब्रज मंडल में ही बुला लिए थे जो आज भी मौजूद हैं।

यह भी पढ़ें:क्या बांके बिहारी जी की फोटो घर में रख सकते हैं?

वृंदावन में चार धाम का क्या महत्व है?

vrindavan ke chaar dham ki katha

वृंदावन में चार धाम मंदिर के दर्शन करने से व्यक्ति को आत्मिक और मानसिक सुख की प्राप्ति होती है। साथ ही, शारीरिक कष्ट भी दूर हो जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि वृंदावन में चार धाम मंदिर की 11 परिक्रमा लगाने से व्यक्ति को 11 बार चार धामा की यात्रा करने जितना पुण्य फल प्राप्त होता है और आध्यात्मिक शक्ति बढ़ती है।

अगर हमारी स्टोरीज से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो वो आप हमें कमेंट बॉक्स में बता सकते हैं और अपना फीडबैक भी शेयर कर सकते हैं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।

image credit: herzindagi

HzLogo

HerZindagi ऐप के साथ पाएं हेल्थ, फिटनेस और ब्यूटी से जुड़ी हर जानकारी, सीधे आपके फोन पर! आज ही डाउनलोड करें और बनाएं अपनी जिंदगी को और बेहतर!

GET APP

FAQ

  • ब्रज के 7 ठाकुर जी कौन से हैं? 

    ब्रज के 7 ठाकुरों के नाम हैं मदन मोहन जी, गोविंद देव जी, गोपीनाथ जी, जुगल किशोर जी, राधावल्लभ जी, बांके बिहारी जी और राधा रमण जी।