वर्तमान समय में जो ट्रेंड चल रहा है, उसके लिहाज से युवा अब शादी में विश्वास नहीं रखते। मगर उम्र में एक ऐसा पड़ाव आता है, जब हमें अकेलापन लगता है और पार्टनर की कमी महसूस होती है। इसलिए शादी बेशक देर से हो, मगर करना हर कोई चाहता है। कई लोगों को शादी में अड़चन आने और बार-बार तय होने के बाद टूटने की परेशानी का भी सामना करना होता है। वैसे यह कोई परेशानी की बात नहीं है। कई बार मन मेल नहीं खाता है, तो कई बार विचारों का मेल मुश्किल हो जाता है। मगर क्या आप जानते हैं कि यह होता सब ग्रहों की चाल और दशा के कारण ही है।
ऐसे में हमने इस विषय पर पंडित जी से बात की और जाना कि आखिर वो कौन से कारण होते हैं, जो बार-बार शादी के तय होने के बाद भी उसे रिश्ते अड़चन बनते हैं और शादी टूट जाती है। पंडित सौरभ त्रिपाठी कहते हैं, "ज्योतिष शास्त्र में कई दोष और अशुभ घडि़यों का जिक्र किया गया है, जो दो लोगों को रिश्ते में बंधने नहीं देते हैं। इनमें से कुछ तो ग्रहों के कमजोर होने पर बात टिकी होती है, तो कुछ कारण अलग-अलग तरह के दोषों का होता है।"
कौन से दोष हैं जो शादी में अड़चन पैदा कर सकते हैं?
कई बार ऐसा होता है कि एक व्यक्ति को अच्छे गुण, शिक्षा, रूप और व्यवहार के बावजूद विवाह में विलंब हो रहा होता है या रिश्ता तय होने के बाद भी किसी न किसी कारण से टूट जाता है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार, ऐसी बाधाओं के पीछे कुछ ग्रह दोष होते हैं जो विवाह योग को प्रभावित करते हैं। आइए जानते हैं कौन-कौन से प्रमुख दोष शादी में रुकावट या समस्या का कारण बन सकते हैं:
मांगलिक दोष
मांगलिक दोष शादी में अड़चन का बड़ा कारण हो सकता है। जब किसी व्यक्ति की कुंडली में मंगल ग्रह पहले, चौथे, सातवें, आठवें या बारहवें भाव में होता है, तब यह दोष बनता है। ऐसे व्यक्ति को मांगलिक कहा जाता है। मंगल को क्रूर ग्रह माना गया है और यह विवाह संबंधों पर सीधा प्रभाव डालता है। यदि मांगलिक दोष वाले व्यक्ति का विवाह गैर-मांगलिक से करवा दिया जाए तो यह वैवाहिक जीवन में कलह, तनाव, स्वास्थ्य समस्याएं या यहां तक कि दांपत्य जीवन के टूटने का भी कारण बन सकता है।
उपाय: मांगलिक दोष की शांति के लिए विशेष पूजन, मंगलवार को व्रत, हनुमान जी की उपासना और मांगलिक से ही विवाह करना शुभ माना जाता है।
शनि दोष
शनि ग्रह को न्याय का देवता माना जाता है। आप ने जैसे कर्म किए होंगे फल भी आपको वैसा ही मिलेगा। लेकिन जब यह अशुभ स्थिति में होता है तो जीवने में कई सारी कठिनाइयों के साथ विवाह में देरी भी होती है। यदि किसी शादी योग्य व्यक्ति की कुंडली में शनि सातवें भाव में है या फिर उस पर शनि की साढ़ेसाती या ढैया चल रही है, तो विवाह में देरी, अड़चन या शादी का बार-बार टूटने जैसे लक्षण हो सकते हैं।
उपाय: शनिवार का व्रत, घोड़े की नाल से बनी अंगूठी को सीधे हाथ की मिडिल फिंगर में पहनें, शनिवार के दिन लोहे की अंगूठी को सवा दो बजे सीधे हाथ की मिडिल फिंगर में धारण करें, शनि मंत्रों का जाप, पीपल की पूजा और काले तिल का दान किया जाता है।
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नाड़ी दोष
नाड़ी दोष का संबंध गुण मिलान से होता है। जब लड़का और लड़की की नाड़ी समान हो, तो नाड़ी दोष बनता है। यह दोष विशेष रूप से वैवाहिक जीवन में स्वास्थ्य से संबंधित समस्याएं, संतान में बाधा या आपसी सामंजस्य में कमी का कारण बन सकता है। इसलिए विवाह से पूर्व कुंडली मिलान में नाड़ी दोष को विशेष रूप से देखा जाता है।
उपाय: नाड़ी दोष की शांति के लिए विशेष पूजन, दान और कुंडली मिलान के अन्य गुणों की अधिकता से इसकी क्षति की पूर्ति की जाती है।
मांगलिक दोष, शनि दोष और नाड़ी दोष ऐसे प्रमुख कारण हैं जो वैवाहिक जीवन में रुकावट या समस्या उत्पन्न कर सकते हैं। हालांकि, इन दोषों के समाधान भी ज्योतिष में विस्तार से बताए गए हैं। अगर समय रहते सही उपाय कर लिए जाएं, तो इन दोषों का प्रभाव कम किया जा सकता है और सुखी वैवाहिक जीवन की ओर बढ़ा जा सकता है।
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