सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित होता है और इस दौरान उनकी पूजा-अर्चना का विशेष महत्व होता है। भक्त तरह-तरह से महादेव को प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं, जिनमें से एक है शिवलिंग पर काले तिल चढ़ाना भी शामिल है। ऐसा माना जाता है कि शिवलिंग पर काले तिल चढ़ाने से शनि देव के अशुभ प्रभावों को कम किया जा सकता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान शिव को तिल बहुत प्रिय हैं। विशेष रूप से सावन के महीने में काले तिल चढ़ाने से कई प्रकार के लाभ मिलते हैं। यह भी माना जाता है कि तिल चढ़ाने से व्यक्ति को पितृ दोष से मुक्ति मिलती है और पितरों को शांति प्राप्त होती है। यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में शनि से संबंधित कोई दोष है, तो सावन में शिवलिंग पर काले तिल चढ़ाने से उसका प्रभाव कम होता है। अब ऐसे में शिवलिंग पर काले तिल किस मुहूर्त में चढ़ाने से लाभ हो सकता है। इसके बारे में इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।
सावन में शिवलिंग पर काले तिल किस मुहूर्त में चढ़ाना चाहिए?
सावन में शिवलिंग पर काले तिल आप ब्रह्म मुहूर्त में विशेष रूप से चढ़ाएं। यह समय सौभाग्य प्राप्ति के लिए बेहद शुभ माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि शिवलिंग पर काले तिल चढ़ाने से पितृ दोष, शनि दोष और कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है। यह उपाय उन लोगों के लिए विशेष फलदायी माना जाता है जिनकी कुंडली में शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या चल रही हो। इसके अलावा, काले तिल अर्पित करने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है, आर्थिक स्थिति में सुधार होता है, और धन संबंधी परेशानियां खत्म होती हैं। यह लंबी आयु और दरिद्रता से मुक्ति दिलाने में भी सहायक माने जाते हैं।
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सावन में शिवलिंग पर काले तिल चढ़ाने का महत्व
काले तिल का संबंध पितरों से माना जाता है। शिव पुराण के अनुसार, तिल की उत्पत्ति भगवान विष्णु के पसीने से हुई है। सावन में शिवलिंग पर काले तिल चढ़ाने से पितृ दोष शांत होता है और पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिससे परिवार में सुख-शांति आती है। काले तिल का गहरा संबंध शनि ग्रह से भी है। जिन लोगों की कुंडली में शनि की साढ़ेसाती, ढैय्या या अन्य शनि दोष होता है, उन्हें सावन में शिवलिंग पर काले तिल चढ़ाने से लाभ मिलता है। यह शनि के अशुभ प्रभावों को शांत करता है और जीवन में आ रही बाधाओं को दूर करता है। राहु और केतु के अशुभ प्रभाव भी इससे कम होते हैं। भगवान शिव को काले तिल अत्यंत प्रिय हैं, इसलिए उन्हें अर्पित करने से वे शीघ्र प्रसन्न होते हैं और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।
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