हर साल माघ मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन सकट चौथ का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन को कुछ लोग तिलकुटा चौथ भी कहते हैं। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन कोई भी स्त्री अगर व्रत करती है, तो उसे संतान प्राप्ति का सुख मिलता है। इसलिए हर कोई इस दिन गणेश भगवान की आराधना करता है। साथ ही, इस व्रत को पूरी श्रद्धा के साथ रखता है। कई सारे लोग इस दिन अपने हाथों से मिट्टी के शिव पार्वती और गणेश जी की प्रतिमा को बनाकर उसकी पूजा करते हैं। वहीं इस दिन एक खास तरह का प्रसाद तैयार होता है, जिसका भोग भगवान को लगाया जाता है। चलिए आपको भी बताते हैं तिलकुट का प्रसाद क्यों सकट चौथ पर बनाया जाता है।
निर्जला व्रत करती हैं सुहागिन महिलाएं
सकट चौथ सबसे बड़ी तिथियों में से एक होती है। इस दिन जो भी सुहागिन स्त्री व्रत करती है उसे संतान प्राप्ति का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस दिन हर महिला अपने बच्चे की लंबी उम्र के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। साथ ही, भगवान के लिए खास तरह का प्रसाद तैयार करती हैं, जिसे तैयार करके पहले भगवान को भोग लगाया जाता है। इसके बाद इसे खाकर वो अपना व्रत भी पूरा करती हैं।
क्यों भगवान को चढ़ाया जाता है तिलकुट का प्रसाद
इस व्रत को लेकर हर किसी की अपनी-अपनी मान्यता है। किसी के यहां इस व्रत में तिल के लड्डू रखे जाते हैं, तो किसी के यहां इसका सूखा प्रसाद तैयार किया जाता है, जिसे गुड के साथ बनाते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि ऐसा कहा गया है कि तिल भगवान गणेश को बहुत प्रिय होते हैं। इसलिए महिलाएं इस दिन तिलगुड के लड्डू या सूखा प्रसाद तैयार करती हैं। इसलिए भगवान को उनका प्रिय प्रसाद दिया जाता है, ताकि वो जीवन में आने वाले सारे संकटों को दूर कर सके।
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सकट चौथ पर बनाया जाता है तिलकुट का बकरा
इस दिन गणेश जी को भोग के रूप में तिलकुट का प्रसाद चढ़ाया जाता है। वहीं इस दिन कई सारे घरों में तिलकुट का बकरा बनाया जाता है, जिसकी बलि दी जाती है। ऐसा इसलिए ताकि हमारे बच्चों की सारी बलाएं उस बकरे के साथ चली जाए। जिस तरह का संकट भी हमारे बच्चों के जीवन को परेशान कर सकता है, वो दूर हो सके। इसलिए कई सारे घरों में तिलकुट का बकरा बनाकर इसकी बलि दी जाती है।
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तिलकुट को महिलाएं घर पर ही तैयार करके इसे पूजा में रखती हैं, फिर भगवान को भोग लगाने के बाद इसका प्रसाद सबको दिया जाता है। आपको बता दें कि ये त्योहार इस साल 17 जनवरी को मनाया जाएगा। इसलिए महिलाएं पहले ही सामान लाकर इसे बनाने की तैयारी कर लेती हैं।
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