भगवान गणेश को दूर्वा का जल चढ़ाने से मिलते हैं ये लाभ, ज्योतिष से जानें

हिंदू धर्म में भगवान गणेश की पूजा मुख्य रूप से बुधवार के दिन करने का विधान है। इस दिन बप्पा को प्रसन्न करने के लिए कई तरह के उपाय किए जाते हैं। आइए इस लेख में विस्तार से जानते हैं।
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सनातन धर्म में बुधवार का दिन भगवान गणेश को समर्पित है। इस दिन विशेष रूप से बप्पा की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में आ रही सभी विघ्न दूर हो सकते हैं। इस दिन बप्पा को प्रसन्न करना बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। आपको बता दें, भगवान गणेश प्रथम पूजनीय देवता माने जाते हैं और इनकी पूजा सभी बाधाओं को दूर करने के लिए उत्तम फलदायी माना जाता है। आपको बता दें, अगर किसी जातक की कुंडली में बुधदोष है तो इस दिन कुछ ऐसे उपाय हैं। उसे करने से व्यक्ति की मनोकामनाएं पूरी हो सकती है। अब ऐसे में बुधवार के दिन बप्पा को प्रसन्न करने के लिए उन्हें दूर्वा का जल चढ़ाने का विधान है। आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।

भगवान गणेश को दूर्वा जल किस विधि से चढ़ाएं?

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हमेशा ताजी और हरी दूर्वा का ही उपयोग करें।
दूर्वा में तीन या पांच गांठें होनी चाहिए। ऐसी दूर्वा को त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु, महेश का स्वरूप माना जाता है और यह अधिक शुभ मानी जाती है।
एक साफ पात्र तांबे का लोटा, कलश या कोई भी साफ बर्तन में शुद्ध जल लें। गंगाजल उपलब्ध हो तो उत्तम है, अन्यथा सामान्य शुद्ध जल भी ले सकते हैं।
दूर्वा की 21 गांठों का एक समूह बनाएं। आप चाहें तो 21, 101, या 1001 दूर्वा भी चढ़ा सकते हैं, अपनी श्रद्धा अनुसार। आमतौर पर 21 गांठों का प्रयोग शुभ माना जाता है।
सबसे पहले गणेश जी की मूर्ति या तस्वीर को साफ स्थान पर स्थापित करें।
दूर्वा जल चढ़ाते समय ऊं गं गणपतये नमः या श्री गणेशाय नमः मंत्र का जाप करते रहें। आप गणेश अथर्वशीर्ष का पाठ भी कर सकते हैं।
यदि आप दूर्वा के समूह को सीधे जल में डालकर अर्पित कर रहे हैं, तो धीरे-धीरे जल के साथ दूर्वा को गणेश जी के चरणों में अर्पित करें।
यदि आप दूर्वा से जल छिड़क रहे हैं, तो दूर्वा के समूह को जल में डुबोकर, उसे बाहर निकालकर, गणेश जी की मूर्ति पर धीरे-धीरे जल की बूंदें छिड़कें। यह ध्यान रखें कि दूर्वा गणेश जी के मस्तक और चरणों पर अर्पित की जाए। ऐसा माना जाता है कि दूर्वा को गणेश जी के माथे, पेट और पैरों पर चढ़ाना विशेष फलदायी होता है।

भगवान गणेश को दूर्वा जल चढ़ाने का महत्व

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धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, दूर्वा में अमृत का वास होता है और यह पवित्रता का प्रतीक है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार अनलासुर नामक एक राक्षस ने तीनों लोकों में हाहाकार मचा दिया था। भगवान गणेश ने अनलासुर को निगल लिया, जिससे उनके शरीर में अत्यधिक गर्मी उत्पन्न हो गई। इस गर्मी को शांत करने के लिए सभी देवी-देवताओं ने उन्हें दूर्वा अर्पित की, जिससे उनकी व्याकुलता शांत हुई। तभी से गणेश जी को दूर्वा अर्पित करने की परंपरा चली आ रही है। इसलिए भगवान गणेश को दूर्वा जल चढ़ाने से व्यक्ति के जीवन में आ रही सभी बाधाएं दूर हो सकती है।

इसे जरूर पढ़ें - गणेश जी की पूजा कैसे करें? जानें संपूर्ण विधि और सामग्री

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Image Credit- HerZindagi

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FAQ

  • गणेश जी का प्रिय मंत्र कौन सा है?

    वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥
  • गणेश के 8 अवतार कौन से हैं?

    इन आठ दोषों का नाम काम, क्रोध, मद, लोभ, ईर्ष्या, मोह, अहंकार और अज्ञान है। गणपति जी का कौन सा अवतार किस दोष को खत्म करता है ये उनकी कथाओं में बताया गया है। श्रीगणेश ने इस रुप में राक्षस मत्सरासुर के पुत्रों को मारा था। ये राक्षस शिव भक्त था और उसने शिवजी की तपस्या करके वरदान पा लिया था कि उसे किसी से भय नहीं रहेगा।