निर्जला एकादशी के दिन इस नियम से करें तुलसी चालीसा का पाठ, घर की आर्थिक स्थिति हो सकती है मजबूत

हिंदू धर्म में निर्जला एकादशी के दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करने का विधान है। इस दिन तुलसी चालीसा का पाठ करने का विशेष महत्व है। अब ऐसे में इस दिन किस नियम से चालीसा का पाठ करने से लाभ हो सकता है। इसके बारे में इस लेख में विस्तार से जानते हैं।
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निर्जला एकादशी के दिन तुलसी चालीसा का पाठ करने का बहुत महत्व है। यह दिन भगवान विष्णु को समर्पित होता है और तुलसी माता को भगवान विष्णु की अति प्रिय माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि तुलसी चालीसा का पाठ करने से घर में मां लक्ष्मी का आगमन होता है और धन वृद्धि होती है। तुलसी चालीसा के नियमित पाठ से आरोग्य और सौभाग्य का वरदान मिलता है। यह जीवन में पवित्रता लाता है और सुख-समृद्धि में वृद्धि करता है। निर्जला एकादशी पर भगवान विष्णु के साथ-साथ माता लक्ष्मी की भी पूजा की जाती है। अब ऐसे में अगर आप निर्जला एकादशी के दिन तुलसी चालीसा का पाठ कर रहे हैं तो किस नियम से करने से लाभ हो सकता है। इसके बारे में इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।

निर्जला एकादशी के दिन तुलसी चालीसा का पाठ करने का नियम

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  • हिंदू धर्म में निर्जला एकादशी का बहुत महत्व है। यह ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है और इसे सभी एकादशियों में सबसे कठिन और पुण्यदायी माना जाता है क्योंकि इस दिन बिना जल ग्रहण किए व्रत रखा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। भगवान विष्णु को तुलसी अत्यंत प्रिय है, इसलिए निर्जला एकादशी पर तुलसी की पूजा और तुलसी चालीसा का पाठ करना विशेष फलदायी माना जाता है।
  • निर्जला एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके बाद निर्जला व्रत का संकल्प लें।
  • सबसे पहले भगवान विष्णु की पूजा करें। उन्हें गंगाजल से शुद्ध करें, पीले वस्त्र पहनाएं, पीले फूल, तुलसी दल ध्यान रहे, एकादशी के दिन तुलसी दल नहीं तोड़ने चाहिए, इसलिए एक दिन पहले तोड़कर रख लें। पंचामृत, फल और धूप-दीप अर्पित करें।

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  • तुलसी के पौधे के पास घी का दीपक जलाएं।
  • तुलसी माता को लाल चुनरी, कलावा, फूल, कुमकुम और नारियल, मिठाई आदि अर्पित करें।
  • अब तुलसी चालीसा का पाठ नियमित रूप से करें।
  • चालीसा पाठ के बाद तुलसी माता की आरती करें।

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  • तुलसी चालीसा का पाठ करने के बाद तुलसी की परिक्रमा लगाएं। उसके बाद दान-पुण्य जरूर करें।

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Image Credit- HerZindagi

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