हिंदू पंचांग के अनुसार हर महीने की 11वीं तिथि को एकादशी का व्रत रखा जाता है। एकादशी व्रत महीने में दो बार पड़ती है, पहली कृष्ण पक्ष के 11वें दिन और दूसरी शुक्ल पक्ष में। इस दिन भक्त जन भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए व्रत उपवास करते हैं और उनकी पूजा-आराधना भक्ति भाव से करते हैं। ऐसी मान्यता है कि जो व्यक्ति इस दिन सच्चे मन से विष्णु जी का पूजन करता है और व्रत उपवास करता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और जीवन में सौहार्द्र बना रहता है। इस दिन लोग पूजा के साथ एकादशी की कथा का भी पाठ करते हैं और मंदिरों में भी कीर्तन का आयोजन होता है।
कई लोग इस दिन निर्जला व्रत भी करते हैं। ऐसी मान्यता है कि जो इस दिन उपवास नहीं भी कर रहा है उसे भी भोजन में चावल को शामिल नहीं करना चाहिए।, इसके अलावा, भगवान् विष्णु को भोग में चावल से बनी कोई भी सामग्री नहीं चढ़ानी चाहिए। अगर आप भी प्रत्येक महीने एकादशी का व्रत रखती हैं, तो आपके लिए इसकी सही तिथि की जानकारी होनी जरूरी है। आइए, ज्योतिर्विद पंडित रमेश भोजराज द्विवेदी से जानें मई महीने में पढ़ने वाली एकादशी तिथियों और इनके पूजा के शुभ मुहूर्त के बारे में विस्तार से-
हिंदू पंचांग के अनुसार, मई के महीने में दो मुख्य एकादशी तिथियां पड़ेंगी। जिनमें से पहली एकादशी वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष के 11वें दिन 08 मई, गुरूवार को है। इसे मोहिनी एकादशी कहा जाएगा। वहीं, मई में दूसरी एकादशी तिथि ज्येष्ठ महीने के कृष्ण पक्ष के 11वे दिन 23 मई, शुक्रवार को पड़ेगी।
इन दोनों ही एकादशी तिथियों का अपना अलग महत्व है और इसमें विष्णु पूजन को विशेष रूप से फलदायी माना जाता है।
मई के महीने में मोहिनी एकादशी हिंदू पंचांग के वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाएगी। इस दिन भगवान विष्णु का पूजन विशेष रूप से फलदायी माना जाता है।
इस साल मोहिनी एकादशी पर पूजा का शुभ मुहूर्त दोपहर 02 बजकर 32 मिनट से 03 बजकर 26 मिनट तक विजय मुहूर्त है। यदि आप इस बीच पूजा अर्चना कर सकते हैं, तो बहुत लाभकारी हो सकता है। वहीं मोहिनी एकादशी का पारण 09 मई को करना शुभ होगा। पारण का समय 9 मई, प्रातः 05 बजकर 34 मिनट से लेकर प्रातः 08 बजकर 16 मिनट तक है।
हिंदू धर्म में किसी भी एकादशी तिथि की ही तरह मोहिनी एकादशी का भी विशेष महत्व है। एक पौराणिक कथा के अनुसार जब समुद्र मंथन से अमृत कलश निकला और उसका पान देवताओं के साथ असुरों ने भी करने के लिए छल का सहारा लिया। देवताओं और असुरों में अमृत कलश लेने के लिए युद्ध आरंभ हो गया और सभी देवताओं ने अपनी रक्षा और अमृत पान के लिए भगवान विष्णु का आह्वान किया। उस समय भगवान विष्णु ने अमृत कलश और देवताओं की रक्षा के लिए मोहिनी अवतार धारण किया। भगवान विष्णु ने मोहिनी अवतार लेकर असुरों को सम्मोहित कर दिया और उनसे अमृत कलश लेकर देवताओं को दे दिया। जब देवताओं ने उस अमृत का पान किया तो वो अमरत्व को प्राप्त हुए और तभी से भगवान विष्णु की मोहिनी अवतार में पूजा होने लगी।
ऐसा माना जाता है कि जिस दिन विष्णु जी ने मोहिनी रूप धारण किया था उस दिन एकादशी तिथि थी, इसलिए तभी से इस एकादशी को मोहिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस एकादशी के महत्व की बात करें तो स्वयं भगवान कृष्ण ने युधिष्ठिर से इसके महत्व के बारे में बताया था। इस दिन पूरी श्रद्धा और विधि-विधान से व्रत करने वाले को पुण्य फलों की प्राप्ति होती है और उनकी मनोकामनाओं की पूर्ति भी होती है।
इस साल मई महीने में पड़ने वाली दूसरी एकदशी ज्येष्ठ महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी यानी अपरा एकादशी है।
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अपरा एकादशी को बहुत पुण्यदायी दिन माना जाता है। इस शुभ दिन पर जगत के पालनहार भगवान विष्णु की पूजा करते हुए स्नान और दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। इसके अलावा इस दिन ब्राह्मणों को भोजन कराना और जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र, धन, अनाज और फल आदि का दान करना भी बहुत पुण्यदायी माना जाता है। अपरा एकादशी के दिन दान करने वालों को भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और उनके सभी दुख और कष्ट दूर हो सकते हैं।
जो भक्त अपरा एकादशी का व्रत करता है उसे पुण्य फलों की प्राप्ति होती है और जीवन में सकारात्मकता बनी रहती है।
यदि आप यहां बताई तिथि में सही विधि से पूजन करें तो आपको इसके शुभ फल मिल सकते हैं। आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर शेयर और लाइक जरूर करें। इसी तरह और भी आर्टिकल पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से। अपने विचार हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।
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